उत्तर प्रदेश में विधानसभा चुनाव से पहले बीजेपी (भारतीय जनता पार्टी) के नेतृत्व वाले एनडीए (नेशनल डेमोक्रेटिक अलाइंस) में पार्टनर और सन ऑफ मल्लाह उर्फ मुकेश सहनी की वीआईपी (विकासशील इंसान पार्टी) को डकैत से राजनेता बनीं दिवंगत फूलन देवी की याद आई है।

वीआईपी ने चुनाव से पहले सूबे भर में फूलन की मूर्ति लगाने का प्लान बनाया है, जिसके तहत 18 जिलों में उनकी प्रतिमाएं स्थापित की जाएंगी। हालांकि, सहनी की पार्टी के इस फैसले का वाराणसी में विरोध हुआ है, जो कि पीएम नरेंद्र मोदी का संसदीय क्षेत्र भी है। वीआईपी इसके अलावा 25 जुलाई को हर साल पूर्व “बैंडिट क्वीन” की पुण्यतिथि भी मनाएगी।

बिहार में जेडीयू-बीजेपी के गठबंधन का हिस्सा रहने वाली वीआईपी ने कहा है कि वह फूलन की मूर्तियां उन जगहों पर लगवाएगी, जहां पर निषादों का बोलबाला रहा है।

वैसे, शुक्रवार को वाराणसी पुलिस ने देवी की प्रतिमाओं को तब जब्त कर लिया, जब स्थानीय लोगों ने इन्हें निषाद बहुल सूजाबद के आसपास स्थापित करने पर आपत्ति जताई थी। वहां की कोतवाली के एसीपी दिनेश सिंह ने बताया कि वीआईपी ने जिला प्रशासन और पुलिस कमिश्नरेट से इसके लिए (मूर्ति लगाने और कार्यक्रम करने) अनुमति नहीं ली थी।

सिंह के मुताबिक, स्थानीय फूलन की मूर्तियां थाने ले आए थे। हमने पार्टी दफ्तर के पदाधिकारियों को सूचित किया कि जिले में सीआरपीसी की धारा 144 लागू कर दी गई है और इस तरह की हरकत दोबारा न दोहराई जाए। पार्टी ने जरूरी अनुमति प्राप्त किए बिना मूर्तियों को (सरकारी भूमि पर) रखने के लिए भी माफी मांगी।

इसी बीच, पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष लौतन राम निषाद ने बताया, “यूपी में हमारी दस्तक पर हमने फैसला लिया था कि हम 25 जुलाई को 18 जिलों में कभी बैंडिट क्वीन रहीं फूलन देवी की मूर्तियां लगाकर उनका “शहादत दिवस” मनाएंगे। गरिमामय जीवन के लिए उनका संघर्ष महिलाओं के लिए प्रेरणा है।”

पार्टी ने जिन जिलों को मूर्तियां लगाने के लिए चुना है, उनमें संत रविदास नगर, मिर्जापुर, गोरखपुर, महाराजगंज, प्रयागराज, औरया, आगरा और बलिया आदि हैं। बकौल लौतन राम, “इनमें से किसी भी जिले में प्रशासन ने हमें बिहार में मुकेश साहनी के आवास पर मुंबई के कलाकारों द्वारा बनाई गई मूर्तियों को स्थापित करने की अनुमति नहीं दी। सुनहरे रंग से रंगी और 18 फीट ऊंची मूर्तियों को चार दिन पहले यूपी के 18 जिलों में ले जाया गया था।”

दरअसल, फूलन निषाद समुदाय से ताल्लुक रखती थीं। समाजवादी पार्टी से वह सांसद चुनी गई थीं, जबकि जुलाई 2001 में उनकी हत्या कर दी गई थी। राजनीतिक विश्लेषकों और जानकारों की मानें तो वीआईपी इस कदम के जरिए चुनाव से पहले निषाद वोटबैंक को साधना चाहती है। बता दें कि सहनी, मौजूदा समय में बिहार के पशुपालन और मत्स्य मंत्री हैं, जबकि वीआईपी प्रमुख भी हैं। दो जुलाई को उन्होंने यूपी में अपनी पार्टी को लॉन्च किया था।