महाराष्ट्र में राकांपा प्रमुख शरद पवार के राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी और सीएम उद्धव ठाकरे से मातोश्री में मिलने के बाद अब शिवसेना प्रमुख उद्धव ने अपने वर्षा बंगले पर गठबंधन की सहयोगी पार्टियों की बैठक बुलाई है। पूरे देश में इसे लेकर सियासी सरगर्मियां तेज हैं। हालांकि, विधानसभा के स्पीकर नाना पटोले का कहना है कि राज्य में इमरजेंसी या सियासी संकट जैसा कुछ नहीं है और परिस्थितियां भी मौजूदा सरकार के खिलाफ नहीं हैं।
बताया गया है कि उद्धव की तरफ से बुलाई गई बैठक में शिवसेना, राकांपा और कांग्रेस के नेता कोरोनावायरस से खराब होती स्थिति और लॉकडाउन खोलने पर चर्चा करेंगे। हालांकि, राजनीतिक विशेषज्ञों का मानना है कि मुलाकात के जरिए तीनों ही पार्टियां हाल के समय में उभरे विवादों को सुलझाने की कोशिश करेंगी।
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दरअसल, महाराष्ट्र में कोरोना फिलहाल सरकार के नियंत्रण से बाहर है। साथ ही इन स्थितियों में उद्धव ठाकरे लॉकडाउन खोलने के तरीकों पर भी विचार नहीं कर पा रहे हैं। ऐसे में हाल ही में कुछ खबरों में कहा गया था कि शरद पवार सीएम ठाकरे से कोरोना की बिगड़ती स्थिति और लॉकडाउन न खोल पाने को लेकर नाराज हैं। एक दिन पहले की कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने भी इशारों में महाराष्ट्र में खुद को साइड प्लेयर बताते हुए कोरोना केसों के बढ़ने की जिम्मेदारी शिवसेना पर मढ़ दी थी। इसके बाद ही शिवसेना ने कोरोना से निपटने की तरकीब निकालने के लिए तीनों दलों की बैठक बुलाई है।
गौरतलब है कि राकांपा प्रमुख पवार सोमवार को सीधे सीएम से मिलने के बजाय पहले गवर्नर भगत सिंह कोश्यारी से मिले थे, इसमें उनके साथ राकांपा के ही प्रफुल्ल पटेल भी शामिल थे। हालांकि, उन्होंने इसे सिर्फ शिष्टाचार भेंट बताकर टालने की कोशिश की। पटेल ने कहा कि हम सिर्फ राज्यपाल जी के यहां चाय पीने गए थे। गवर्नर साहब ने खुद पवार साहब को चाय पर बुलाया था। हम वहां सिर्फ शिष्टाचार भेंट के लिए गए थे और इस मुलाकात में कोई राजनीति नहीं है। हालांकि, शिवसेना के नेता संजय राउत ने बाद में ट्विटर पर कहा कि सरकार की स्थिरता को लेकर चिंता करने की कोई जरूरत नहीं है।
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पवार ने भी राउत की बात दोहराते हुए कहा, “महाराष्ट्र सरकार पर कोई खतरा नहीं है। सभी विधायक हमारे साथ हैं। उन्हें इस समय में तोड़ना जनता को तोड़ने की कोशिश जैसा होगा।”
शरद पवार को राजनीति में काफी परिपक्व नेता माना जाता है। पिछले लोकसभा चुनाव से पहले ही वे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से भी कई बार मिले थे। शरद पवार की राज्यपाल कोश्यारी से इस बैठक पर कई राजनीतिक विशेषज्ञों की नजरें तन गईं। दरअसल, पवार राज्य सरकार के कामकाज में राज्यपाल कोश्यारी के हस्तक्षेप के धुर-विरोधी रहे हैं। लेकिन बीते कुछ समय में उन्होंने राज्यपाल की तरफ से सरकार के कामों पर जताए गए विरोध पर चुप्पी साधी है।
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