पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (PDP) की प्रमुख महबूबा मुफ्ती रविवार को पिता मुफ्ती मोहम्मद सईद के चौथे पर आयोजित शोक सभा में रो पड़ीं। इस मौके पर पीडीपी के विधायक महबूबा मुफ्ती से मिलने पहुंचे। उम्मीद की जा रही है कि महबूबा पिता की जगह जम्मू-कश्मीर का सीएम पद संभालेंगी। पीडीपी सूत्रों के मुताबिक, मुलाकात के दौरान महबूबा ने सरकार गठन के बारे में कोई बात नहीं की। उन्होंने विधायकों से अपने-अपने विधानसभा क्षेत्रों में जाने को कहा। जम्मू-कश्मीर में बीते शुक्रवार से राज्यपाल शासन लगा हुआ है। पार्टी सूत्रों का कहना है कि महबूबा मुफ्ती का इस हफ्ते शपथ लेना मुश्किल लग रहा है। उनके सीएम बनने में हो रही देरी के कारण जम्मू-कश्मीर की राजनीति में अटकलों का बाजार गर्म हो गया है। खासतौर पर कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी के साथ रविवार को हुई महबूबा मुफ्ती की 10 मिनट की मुलाकात के बाद।
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सूत्रों के हवाले से खबर आ रही है कि महबूबा मुफ्ती सत्ता की बागडोर संभालने से पहले बीजेपी को स्पष्ट संकेत देना चाहती हैं कि सरकार उनकी मर्जी से ही चलेगी। इसी बात को स्पष्ट करने के लिए उन्होंने चार अहम बातें कही हैं। पहली- महबूबा की सरकार में बीजेपी को डिप्टी सीएम पद नहीं दिया जाएगा। दूसरी- बड़े पोर्टफोलियो पीडीपी के पास रहेंगे। तीसरी- संवदेनशील मुद्दों पर बीजेपी कोई बयानबाजी नहीं करेगी। चौथी- जम्मू-कश्मीर को केंद्र से ज्यादा मदद मिले।
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आपको बता दें कि सोनिया गांधी के साथ मीटिंग के तुरंत बाद केंद्रीय मंत्री और बीजेपी कद्दावर नेता नितिन गडकरी महबूबा मुफ्ती से मिलने पहुंचे थे। उन्होंने भी यही कहा कि वह संवदेना प्रकट करने आए हैं, लेकिन बात यह भी कि सोनिया के साथ महबूबा मुफ्ती की मुलाकात के बाद बीजेपी बेचैन है।
गौरतलब है कि 87 सदस्यों वाली जम्मू-कश्मीर विधानसभा में पीडीपी के 28, जबकि बीजेपी के 25 विधायक हैं। सरकार बनाने के लिए 44 सीटों की जरूरत है। वहीं, सीपीआई (एम)-1, कांग्रेस-12, एनसी-15, जम्मू-कश्मीर पीपुल्स कॉन्फ्रेंस (जेकेपीसी)-2, जम्मू-कश्मीर पीपुल ड्रेमोक्रेटिक (सेकुलर)-1 और 3 इंडिपेंडेंट हैं। महबूबा मुफ्ती अगर चाहें तो कांग्रेस और नेशनल कॉन्फ्रेंस के साथ मिलकर सरकार बना सकती हैं। इन तीनों दलों की सीटें 55 हैं और बहुमत के लिए 44 सीटों की जरूरत है।