Coronavirus: घातक कोरोना वायरस के संक्रमण के बीच अलग-अलग राज्यों में फंसे प्रवासियों को वापस बुलाने के लिए केंद्र सरकार की गाइडलाइंस में बदलाव के बाद भी नीतीश सरकार लोगों को वापस बुलाने में ‘बे’बस नजर आती है। दरअसल बिहार के उप मुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी का एक वीडियो सोशल मीडिया में वायरल हुआ है। वीडियो में वह कथित तौर पर कहते हैं कि दूसरे राज्यों में फंसे प्रवासियों को बस ना होने के चलते बुलाया नहीं जा सकेगा।

ट्विटर पर वायरल हो रहे वीडियो में जब सुशील मोदी से एक पत्रकार सवाल पूछता है कि मजूदरों को वापस लाने के लिए क्या सरकार गाड़ी का इंतजाम करेगी? या फंसे हुए मजूदर वापस कैसे आएंगे? इसके जवाब में डिप्टी सीएम कहते हैं, ‘भारत सरकार ने रेल चलाने की अनुमति तो दी नहीं है। बसों से ही लोग आएंगे।’ इसपर पत्रकार पूछता है कि क्या बस मुहैया कराएंगे? सुशील मोदी कहते हैं, ‘हमारे पास कहां बसें हैं, इतने राज्यों से लोगों को आना है। जो लोग आएंगे, राज्य सरकारें उसकी व्यवस्था करेंगी। दोनों राज्यों के बीच में एक सहमति बनेगी। जिन राज्यों से आने वाले हैं उन राज्यों के लोग भी चाहते हैं कि एक बार सभी अपने घर चले जाएं।’

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वीडियो सोशल मीडिया में वायरल होने के बाद लोगों ने प्रदेश के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को निशाने पर ले लिया है। एक यूजर लिखते हैं, ‘अभी तक कहा जा रहा था कि लॉकडाउन नियमों की वजह से बाहर फंसे मजदूरों और छात्रों को वापस नहीं लाया जा रहा। अब जब केंद्र ने दिशा-निर्देशों में बदलाव कर दिए तब बिहार सरकार कह रही है कि उनके पास बसें ही नहीं हैं। 15 साल सरकार चलाने के बाद भी नीतीश कुमार बे’बस’ क्यों हैं?’

आरजेडी नेता और राज्यसभा सांसद मनोज झा ने भी सुशील मोदी को निशाने पर लिया है। उन्होंने लिखा कि इस बे-बसी का फौरी तौर पर समाधान है। बसें किराये/भाड़े पर ले लीजिए जैसे चुनावी भीड़ जुटाने के लिए उत्तरप्रदेश और झारखंड से लेते हैं। कोई और बहाना ढूंढिए। इसी तरह एक यूजर लिखते हैं, ‘बिहार वालों सब याद रखना कौन कौन मुसीबत मे काम आ रहा है। इनके पास 300एमपी और मुख्मंत्री के लिए उड़न खटोला का इंतजाम हो सकता है इलेक्शन मे लेकिन गरीब बिहारी के लिए बस की नहीं है।’

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उल्लेखनीय है कि बुधवार को बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कोरोना वायरस संक्रमण को काबू करने के लिए देशभर में लागू लॉकडाउन के कारण दूसरे राज्यों में फंसे हुए प्रवासी मजदूरों, छात्र-छात्राओं, श्रद्धालुओं, पर्यटकों एवं अन्य लोगों के आवागमन को लेकर केन्द्र सरकार द्वारा जारी दिशा-निर्देशों में छूट दिए जाने का स्वागत किया था। नीतीश ने इस छूट के लिए केन्द्र सरकार का धन्यवाद करते हुए कहा कि ये निर्णय उपयुक्त एवं स्वागतयोग्य हैं।

उन्होंने कहा था, ‘यह हमारा आग्रह था और उस पर केन्द्र सरकार ने सकारात्मक निर्णय लिया है। इससे बड़ी संख्या में दूसरे राज्यों में फंसे हुए बिहार आने के इच्छुक प्रवासी मजदूरों, छात्र-छात्राओें, श्रद्धालुओं, पर्यटकों तथा अन्य लोगों को यहां आने में सुविधा होगी और उन्हें बड़ी राहत मिलेगी।’ मुख्यमंत्री ने कहा कि केन्द्र सरकार द्वारा जारी दिशा-निर्देशों का अनुपालन जनहित में है और सबको इसका पालन करना चाहिए।

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उन्होंने कहा था कि बिहार सरकार ने इस मामले में केन्द्र सरकार द्वारा आपदा प्रबंधन अधिनियम के अन्तर्गत जारी दिशा-निर्देशों का हमेशा अनुपालन किया है। कोरोना वायरस पर चर्चा के लिए गत 27 अप्रैल को प्रधानमंत्री के साथ वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग में नीतीश ने कहा था कि राजस्थान के कोटा में कोचिंग संस्थानों में बिहार के छात्र भी बड़ी संख्या में पढ़ते हैं।

उन्होंने कहा था, ‘केंद्र सरकार के दिशा-निर्देशों के अनुरुप हम बंद का पालन कर रहे हैं। गृह मंत्रालय द्वारा जारी आपदा प्रबंधन कानून के अनुसार अन्तरराज्यीय आवागमन पर प्रतिबंध है, जब तक नियमों में संशोधन नहीं होगा, तब तक किसी को भी वापस बुलाना नियम संगत नहीं है। केन्द्र सरकार इसके लिए आवश्यक दिशा-निर्देश जारी करे।’उन्होंने कहा था कि कोटा ही नहीं, देश के अन्य हिस्सों में भी बड़ी संख्या में बिहार के छात्र पढ़ते हैं। (एजेंसी इनपुट)