Coronavirus in India: कोरोना वायरस का संकमण फैलने से रोकने के लिए लागू लॉकडाउन की वजह से देशभर के विभिन्न इलाकों में फंसे प्रवासी कामगारों को उनके गृह प्रदेश में पहुंचाने के लिए रेलवे द्वारा चलाई जा रहीं है श्रमिक विशेष रेलगाड़ियों से सबसे अधिक श्रमिक बिहार पहुंचे। हालांकि इस बीच चौंकाने वाला मामला सामने आया है जहां करीब 50 प्रवासी मजदूर एक ट्रक में सवार होकर गुजरात के सूरत से पटना पहुंच गए।

मंगलवार को पटना पहुंचे इन मजदूरों से 3500 रुपए किराया लिया गया। खबर के मुताबिक इन मजदूरों की किसी बॉर्डर पर स्क्रीनिंग भी नहीं की गई। मामले में पुलिस ने संज्ञान लेते हुए कहा कि जब हम इसकी जानकारी मिली। तुंरत वहां पहुंच गए। सभी प्रवासियों को गर्दनीबाग हाई स्कूल में रखा जाएगा और जांच होगी।

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बता दें कि देश के विभिन्न हिस्सों में एक मई से ‘श्रमिक विशेष’ रेलगाड़ियों के माध्यम से करीब 70 हजार फंसे हुए प्रवासी श्रमिकों को उनके गृह राज्यों तक पहुंचाया गया है और इस पर 50 करोड़ रुपए से अधिक का खर्च आया है। यह जानकारी मंगलवार को रेलवे अधिकारियों ने दी। कई राज्यों में लाखों श्रमिकों ने अपने घरों को लौटने के लिए पंजीकरण कराया है। गोवा में करीब 80 हजार श्रमिकों ने पंजीकरण कराया है जिनमें अधिकतर उत्तरप्रदेश और बिहार के हैं।

वहीं गोवा और कर्नाटक के मुख्यमंत्रियों ने इन श्रमिकों से अपील की है कि कोविड-19 के कारण लगे लॉकडाउन के मद्देनजर वे राज्य से बाहर नहीं जाएं और उन्हें काम मुहैया कराने का आश्वासन भी दिया है। रेलवे के सूत्रों ने कहा कि रेलवे को विशेष रेलगाड़ियों की हर सेवा के लिए करीब 80 लाख रुपए खर्च करने पड़ रहे हैं और इसने इस तरह की 67 रेलगाड़ियां चलाई हैं जिसमें एक मई से करीब 67 हजार फंसे श्रमिकों को उनके गंतव्य तक पहुंचाया गया। इस पर 50 करोड़ रुपए से अधिक का खर्च आया है।

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एक दिन पहले कांग्रेस सहित विपक्षी दलों ने प्रवासी श्रमिकों से यात्रा के लिए पैसे लेने का आरोप लगाते हुए केंद्र सरकार और रेलवे पर करारा हमला किया था। बहरहाल रेलवे ने यह खुलासा नहीं किया कि इन रेलगाड़ियों को चलाने पर उसने कितना खर्च किया लेकिन सरकार ने कहा है कि लागत को राज्यों के साथ 85: 15 के अनुपात में साझा किया गया है। (एजेंसी इनपुट सहित)