Bihar Politics: नीतीश कुमार (Nitish Kumar) के एनडीए से अलग होने के बाद जेडीयू (JDU) और बीजेपी (BJP) के बीच गहमागहमी जारी है। इसी बीच शनिवार (14 जनवरी, 2023) को पटना में राजद नेता राबड़ी देवी (RJD leader Rabri Devi) के आवास और राज्य कार्यालय के बाहर नीतीश कुमार की जीत दिखाने वाले पोस्टर लगाए गए। यह पोस्टर आगामी 2024 के लोकसभा चुनाव के मद्देनजर लगाए गए। पोस्टर में बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को जहां राम-कृष्ण (Nitish Kumar as Lord Ram/Krishna) तो वहीं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को रावण-कंस (PM Modi as Raavan/Kansa) की श्रेणी में रखा गया है।

लेकिन जिस बात ने सबका ध्यान खींचा वह यह था कि 2024 के चुनावों में भाजपा की हार और महागठबंधन की जीत का वर्णन करने के लिए दो हिंदू पौराणिक कथाओं, रामायण और महाभारत का कैसे इस्तेमाल किया गया। पोस्टर को ध्यान से देखने पर पता चलता है कि नीतीश कुमार (महागठबंधन के नेता) को भगवान राम-कृष्ण और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को रावण-कंस के रूप में दिखाया गया है।

पोस्टर के पहले दो हिस्सों में बताया गया है कि कैसे भगवान राम ने रामायण में रावण को हराया और भगवान कृष्ण ने महाभारत में कंस को हराया। पोस्टर के आखिरी हिस्से में नीतीश कुमार के नेतृत्व वाले महागठबंधन को 2024 के लोकसभा चुनावों में पीएम मोदी को हराते हुए दिखाया गया है।पोस्टर पर छपरा की प्रदेश महासचिव पूनम राय की तस्वीर के साथ महागठबंधन जिंदाबाद के नारे भी लिखे हैं।

वहीं भाजपा प्रवक्ता नवल किशोर यादव ने कहा, ‘नीतीश कुमार सभी विपक्षी नेताओं में नए हैं, चाहे वह मायावती हों, अखिलेश यादव हों, ममता बनर्जी और नवीन पटनायक हों। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 2034 तक सत्ता में रहेंगे। उन्हें कोई नहीं हरा सकता।’

राजद के राष्ट्रीय प्रवक्ता मृत्युंजय तिवारी ने कहा, ‘हमें नहीं पता कि ये पोस्टर किसने लगाए हैं। इन्हें हमारी पार्टी आरजेडी ने अधिकृत नहीं किया है। फिर भी 2024 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी को सत्ता से बेदखल करने की तैयारी बिहार से शुरू हो गई है और सभी विपक्षी दल भाजपा के खिलाफ एकजुट हो गए हैं। उन्होंने कहा कि हमारी लड़ाई उस पार्टी के खिलाफ है, जो गरीबों, युवाओं और किसानों के खिलाफ है। नीतीश कुमार ने बिहार में कमान संभाली है और वे एकजुट विपक्ष का चेहरा हो सकते हैं। हर बिहारी यही चाहता है।’

कुछ दिन पहले बिहार के शिक्षा मंत्री चंद्रशेखर यादव की ‘रामचरितमानस’ पर की गई टिप्पणी पर विवाद छिड़ गया था। वह तब मुश्किल में पड़ गए जब उन्होंने कहा था कि हिंदू धार्मिक ग्रंथ रामचरितमानस समाज में नफरत फैलाता है। मंत्री ने कहा था कि रामचरितमानस, मनुस्मृति और एमएस गोलवलकर की बंच ऑफ थॉट्स जैसी किताबों ने सामाजिक भेदभाव पैदा किया है। सत्तारूढ़ जद-यू ने भी गुरुवार को उनके बयान की आलोचना की और उन्हें इसे वापस लेने को कहा।