लॉकडाउन के बीच बिहार में एक विधायक ने राजस्थान के कोटा में फंसी बेटी को घर लाने का इंतजाम किया। उन्होंने इसके लिए गाड़ी का पास बनवाया और खुद कार लेकर गए वहां से उसे गृह राज्य लेकर लौटे। बीजेपी विधायक ने यह कदम तब उठाया है जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कई बार अपील की है कि कोरोना संक्रमण काल में जो जहां हैं, वहीं रहें। यही नहीं, सूबे के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने भी कोटा से छात्रों को लाने के लिए यूपी सरकार द्वारा बसें भेजे जाने का साफ विरोध किया था। उन्होंने सीएम योगी के फैसले को अन्याय करार देते हुए लॉकडाउन और केंद्र सरकार के निर्देशों का उल्लंघन बताया था। बता दें कि बिहार में नीतीश के नेतृत्व वाली जेडीयू और बीजेपी (साझीदार) की सरकार है।
दरअसल, राजस्थान के कोटा शहर से कई छात्रों को यूपी सरकार ने वापस लाने का बंदोबस्त किया है। छात्रों के लिए योगी ने करीब 250 बसें भेजीं। कोटा में यूपी-बिहार के हजारों छात्र फंसे थे और वे घर जाना चाहते थे। उन्होंने इसके लिए सोशल मीडिया पर कैंपेन चलाया था, जिसके बाद योगी सरकार ने बसें भेजने का फैसला लिया। पर बिहार सरकार ने इसका सख्त विरोध किया था। नीतीश कुमार ने कहा था कि जो जहां हैं, वहीं रहें।
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इसी बीच, बिहार के विधायक अनिल सिंह ने अपने स्तर पर बेटी को कोटा से घर लाने की व्यवस्था की। अनुमंडल दण्डाधिकारी, नवादा सदर के दस्तखत से उनके लिए एक आदेश जारी हुआ। आदेश के मुताबिक, 16 से 25 अप्रैल तक के लिए वाहन चालन की इजाजत दी गई है। इसमें आदेश मांगने की वजह साफ तौर पर लिखा गया है कि कोटा में फंसी संतान को लाना।
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अनिल सिंह, नवादा के हिसुआ से बीजेपी के विधायक हैं। उन्होंने जनसत्ता.कॉम को बताया कि एक जनप्रतिनिधि के अलावा, एक पिता के नाते उन्होंने अपना दायित्व निभाया है और बिना किसी कानून का उल्लंघन किए। उन्होंने बताया कि उनकी बेटी कोटा की जिस बिल्डिंग में रहती थी, वहां तीन-चार छात्रों को छोड़ कोई नहीं बचा था, मेस भी बंद हो गई थी। ऐसे में उसे वहां से लाना जरूरी था।
उन्होंने आगे बताया कि नीतीश कुमार का वक्तव्य (कोटा से छात्रों को लाने की सरकारी व्यवस्था के खिलाफ) 17 अप्रैल को आया था, तब वह रास्ते में थे। उन्होंने बताया कि वह 16 अप्रैल को गए थे और 18 को वापस आ गए। जानकारी के मुताबिक, सिंह खुद ही कार लेकर बेटी को लाने गए थे और वह ऐहतियात के तौर पर साथ में थर्मल स्कैनर भी ले गए थे।
बता दें कि कोटा में छात्रों के अलावा देश के कई शहरों में बिहार सहित तमाम राज्यों के मजदूर भी लाखों की संख्या में फंसे हुए हैं। उन्हें खाना-पानी तक नसीब नहीं हो रहा है। सैकड़ों की संख्या में मजदूर पैदल सैकड़ों किमी दूर अपने घरों को जा रहे हैं। उन्हें पुलिस रोक रही है। कुछ लोग मांग कर रहे हैं कि इन मजदूरों को उनके घर पहुंचाने की व्यवस्था की जाए। लेकिन, अभी ऐसा कुछ नहीं हुआ है। नीतीश कुमार इसके पक्षधर नहीं हैं।
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