CBI, ED, Income Tax या NIA… ये ऐसी केंद्रीय जांच एजेंसियां हैं जो कि सबसे ज्यादा ताकतवर मानी जाती है, लेकिन यही केंद्रीय जांच एजेंसियां पश्चिम बंगाल में जाकर पस्त पड़ जाती है। इसका एक उदाहरण आज फिर सामने आया है। आज पश्चिम बंगाल के पूर्वी मिदनापुर के ही भूपतिनगर में 2022 के एक बम धमाके से जुड़े में जांच करने की NIA की टीम पर स्थानीय ग्रामीणों ने हमला बोल दिया। इसको लेकर हैरानी की बात यह है कि सीएम ममता बनर्जी ने NIA की टीम के अधिकारियों से ही पूछ लिया कि आखिर इतनी रात में जानी की जरूरत ही क्या थी?

NIA की टीम के अधिकारियों को तो हमले का सामना करना ही पड़ा, बल्कि उनके साथ गए केंद्रीय बलों के जवानों को भी हमलों के बीच मुश्किलों का सामना करना पड़ा। NIA के अधिकारी की शिकायत पर मामले में पुलिस ने FIR दर्ज की है, साथ ही चुनाव आयोग ने राज्य के प्रशासन से इस हैरान करने वाले हमले को लेकर रिपार्ट भी मांग ली है।

राज्य प्रशासन से लेकर स्थानीय पुलिस अब कार्रवाई करेंगे या जो एक्शन लेंगे, लेकिन इन सबके बीच बड़ा सवाल यह है कि आखिर पश्चिम बंगाल में इन बेहद शक्तिशाली जांच एजेंसियों की टीम पर इतना बड़ा हमला कैसे हो जाता है। यह पहली बार नहीं है कि जब किसी एजेंसी पर हमला हुआ है, बल्कि पहले भी CBI और ईडी की टीमों पर भी हमला हो चुका है।

ED टीम पर किया गया था जानलेवा हमला

कुछ महीने पहले ही पश्चिम बंगाल के नॉर्थ 24 परगना के संदेशखाली में पूर्व टीएमसी नेता शाहजहां शेख के घर तलाशी लेने पहुंची ईडी की टीम पर उनके समर्थकों और ग्रामीणों ने हमला बोल दिया था। ईडी की टीम पर हुए इस हमले में तीन अधिकारी बुरी तरह घायल भी हो गए थे। उनकी सुरक्षा में गए कई जवानों को हमलों के चलते वहां से भागना पड़ा था।

CM ममता बनर्जी ने किया हमलावरों का सांकेतिक बचाव?

खास बात यह है कि जैसे संदेशखाली में ईडी की टीम पर हमले के बाद CM ममता बनर्जी ने अपने ही नेता का बचाव किया था, ठीक उसी तरह आज भी सीएम ने ग्रामीणों का ही बचाव किया और एनआईए पर सवाल खड़े कर दिए कि आखिर एनआईए की टीम रात में क्यों गई। ग्रामीणों ने वही किया जो कि वो किसी अजनबी को अपने इलाके में रात में देखने पर करते हैं। सीएम ने यह भी कहा कि एनआईए की टीम को स्थानीय पुलिस को बताने के बाद जाना चाहिए थे, जिससे सुरक्षा के इंतजाम किए जा सकते।

ममता बनर्जी खुद CBI के खिलाफ खोल चुकी हैं मोर्चा

जो ममता बनर्जी समय-समय पर ईडी और NIA की टीमों पर होने वाले हमलों का बचाव करती हैं, वे खुद एक वक्त CBI के खिलाफ धरने पर बैठ गईं थी। बता दें कि साल 2019 में सारदा चिटफंड मामले में तत्कालीन कोलकाता पुलिस कमिश्नर राजीव कुमार से पूछताछ करने के लिए सीबीआई की टीम उनके आवास पर पहुंची थी। ऐसे में सीएम ममता बनर्जी राजीव कुमार के आवास के पास पहुंच गई थी और सीबीआई के खिलाफ धरने तक पर बैठ गईं थी।

इसके पहले टीएमसी नेता और मंत्री अरूप विश्वास के भाई के घर पर जब इनकम टैक्स की रेड पड़ थी, तो इनकम टैक्स की टीम के खिलाफ टीएमसी नेताओं ने हल्ला बोल दिया था। मंत्री फिरहाद हकीम के घर पर जब रेड हुई थी, तब भी कुछ ऐसा ही हुआ। नारदा मामले में जब फिरहाद हकीम, सुब्रत मुखर्जी, मदन मित्रा की गिरफ्तारी हुई थी, तब भी टीएमसी नेताओं और समर्थकों ने सीबीआई कार्यालय में हमला बोलकर उन्हें उनके ही ऑफिस में बंधक बना दिया था।

यह एक पैटर्न है, जो बताता है कि पश्चिम बंगाल में सत्ताधारी दल के नेताओं पर होने वाली केंद्रीय जांच एजेंसियों का टकराव किसी न किसी तरह से राज्य सरकार से ही हो जाता है, जो कि जांच एजेंसियों के काम में सबसे बड़ी बाधा साबित हो सकता है।