लोकसभा में मंगलवार को विपक्षी दलों के लाए गए अविश्वास प्रस्ताव के मूल में मौनव्रत तोड़ने की गूंज थी, वहीं सत्ता पक्ष ने इस कदम की तुलना महाभारत के चीरहरण से की। विपक्ष ने केंद्र सरकार पर बेरोजगारी, महंगाई, किसानों, महिलाओं से जुड़े महत्त्वपूर्ण मुद्दों की अनदेखी करने का आरोप लगाते हुए कहा कि देश की समस्याओं से निपटने में ‘दोहरे इंजन’ सरकार पूरी तरह विफल रही है और यह अविश्वास प्रस्ताव मणिपुर सहित अन्य ज्वलंत मुद्दों पर केंद्र सरकार का मौनव्रत तोड़ने के लिए लाया गया है। विपक्ष ने यह भी आरोप लगाया कि ‘जब मणिपुर जल रहा था तब प्रधानमंत्री राज्य का दौरा करने के बजाय विदेश यात्रा पर थे’। वहीं, भाजपा ने विपक्ष पर निशाना साधते हुए कहा कि विपक्षी दलों को जनता की चिंता नहीं है और वे एक ऐसे प्रधानमंत्री के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाए हैं जो गरीब परिवार से आते हैं। और जिन्होंने गरीब जनता को मकान, शौचालय और पीने का पानी उपलब्ध कराया और कमजोर वर्ग की चिंता की।
मणिपुर के मुख्यमंत्री दें इस्तीफा : सुप्रिया सुले
मणिपुर हिंसा मामले में राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) ने मणिपुर के मुख्यमंत्री का इस्तीफा मांगा है। लोकसभा में अविश्वास प्रस्ताव पर चर्चा करते हुए राकांपा सांसद सुप्रिया सुले ने कहा कि मेरी मांग है कि (मणिपुर के) मुख्यमंत्री को तुरंत इस्तीफा देना चाहिए। राज्य में दंगा, हत्या और बलात्कार के 10,000 मामले आए हैं। उन्होंने सवाल किया कि क्या हम इतने असंवेदनशील हो गए हैं ? इस सरकार की यही समस्या है। सुले ने सत्ता पक्ष को वर्ष 2014 के लोकसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी द्वारा दिए गए नारे की याद दिलाई।
उन्होंने कहा कि यह सत्तापक्ष व विपक्ष के बीच की बात नहीं है। यह सीधेतौर पर महिलाओं के सम्मान की बात है। उन्होंने सवाल किया कि क्या किसी बहन, बेटी, पत्नी या किसी की इज्जत उछालोगे और सरकार चुप रहेगी। उन्होंने राजस्थान में हो रही घटनाओं को लेकर भी भाजपा सरकार को घेरा। उन्होंने कहा कि राजस्थान हो या महाराष्ट्र वह देश की बेटी है। उन्होंने इस पूरे घटना क्रम के लिए केंद्र सरकार को नाकाम बताया है।
वहीं दूसरी तरफ महाराष्ट्र सांसद श्रीकांत शिंदे ने भ्रष्टाचार को सदन में गिनाया। उन्होंने कहा कि संप्रग का नाम लेते ही लोगों के दिमाग में घोटालों और भ्रष्टाचार वाली सरकार सामने आती है। टूजी घोटाला, आतंकी हमला सब इस सरकार में मिले हैं। 2004 से 2014 तक इससे देश को केवल भ्रष्टाचार मिला है। इंडिया का नाम लेकर लोकतंत्र के नाम पर जनता को बहलाया जा रहा है जबकि हकीकत यह है कि आज भी इसके हर नेता को लगता है कि वह प्रधानमंत्री पद का दावेदार है। अब तक इस दल का कोई मुखिया तय नहीं हो पाया है।
‘किसी राज्य में हुई हलचल का असर पूरे पूर्वोत्तर पर पड़ता है’
उत्तर पूर्व के राज्य में जब सामाजिक उथल-पुथल होती है तो इसका सीधा असर पूरे उत्तर पूर्व भारत पर पड़ता है। लोकसभा में अविश्वास प्रस्ताव पर बोले हुए कांग्रेस नेता मनीष तिवारी ने मंगलवार को यह बयान दिया। उन्होंने कहा कि किसी भी सरकार का मूल्यांकन पांच बिंदुओं आर्थिक विकास, राष्ट्रीय सुरक्षा, संस्थाओं की स्वायत्तता, कूटनीतिक रिश्ते और सांप्रदायिक सद्भाव पर किया जाता है, लेकिन इन पांचों बिंदुओं पर केंद्र सरकार पूरी तरह विफल रही है।
उन्होंने कहा कि मणिपुर की सीमा म्यामां जैसे देश से लगती है, जिसके सैन्य शासन के चीन के साथ रिश्ते जगजाहिर हैं। उन्होंने जम्मू कश्मीर से अनुच्छेद 370 के प्रावधान हटाए जाने का उल्लेख करते हुए कहा कि केंद्रशासित प्रदेश के गठन को चार साल हो गए हैं, लेकिन अभी तक चुनाव नहीं कराए गए हैं।
सदन में जम्मू कश्मीर का पूर्ण राज्य का दर्जा बहाल करने का वादा किया गया था, लेकिन अब तक यह नहीं किया गया। उन्होंने कहा कि आप जब संविधान की धाराओं के साथ छेड़छाड़ करते हैं तो उसके दूरगामी परिणाम पड़ते हैं। उन्होंने वास्तविक नियंत्रण रेखा पर चीन के साथ गतिरोध का जिक्र करते हुए कहा कि क्या सरकार चीन की राजनीतिक मंशा समझ पाई है।
उन्होंने कहा कि कोरोना महामारी के बाद सितंबर 2020 में सदन की बैठक हुई थी और तब से अब तक चीन पर सदन में कोई चर्चा नहीं हुई है। सरकार को इस मुद्दे पर हो चुकी 18 दौर की सैन्य वार्ता, विदेश मंत्रालय स्तर की वार्ता का क्या निष्कर्ष निकला, बताना चाहिए। उन्होंने कहा कि सवाल बहुत हैं लेकिन संवाद की कमी है। यदि संवाद होता तो ‘इंडिया’ को यह अविश्वास प्रस्ताव लाने की जरूरत नहीं पड़ती।
राजधर्म निभा रहा है द्रमुक, केंद्र सरकार को बुराई ने घेर लिया : बालू
द्रविड़ मुनेत्र कषगम (द्रमुक) ने केंद्र सरकार पर बेरोजगारी, महंगाई, किसानों, महिलाओं और मणिपुर समेत महत्त्वपूर्ण मुद्दों की अनदेखी करने का आरोप लगाया। मंगलवार को द्रमुक नेता टीआर बालू ने कहा कि पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने राजधर्म की बात की थी और द्रमुक उसे निभाता दिख रहा है। लोकसभा में कांग्रेस के गौरव गोगोई की तरफ से केंद्र सरकार के खिलाफ लाए गए अविश्वास प्रस्ताव पर चर्चा में शामिल हुए द्रमुक नेता ने कहा कि सत्ता पक्ष की ओर उनके कुछ मित्र हैं।
उन्होंने कहा कि सत्तारूढ़ पार्टी से उनका जुड़ाव रहा है और प्रधानमंत्री मोदी भी मित्र ही हैं। निशाना साधते हुए कहा कि मौजूदा केंद्र सरकार को बुराई ने घेर लिया है, इसलिए अविश्वास प्रस्ताव लाया गया है। बालू ने कहा कि महाभारत में भी कृष्ण ने अर्जुन को अपने सगे संबंधियों पर बाण चलाने का सुझाव दिया था।
बालू ने कहा कि पिछले काफी दिनों से संसद सत्र चल रहा है, लेकिन प्रधानमंत्री सदन में नहीं आए, ऐसे में विपक्ष के पास अविश्वास प्रस्ताव लाने के अलावा कोई रास्ता नहीं बचा था। उन्होंने आरोप लगाया कि प्रधानमंत्री विदेश जाते हैं तब तमिल विभूतियों एवं महापुरुषों को उद्धृत करते हैं लेकिन तमिलनाडु के साथ भेदभाव किया जा रहा है। बालू ने कहा कि तमिलनाडु के लिए एम्स की मंजूरी दी गई लेकिन अभी तक इसका निर्माण नहीं हुआ है। द्रमुक नेता ने सवाल उठाते हुए कहा कि महिला आरक्षण विधेयक पर कुछ नहीं हुआ, कच्चातिबू द्वीप को वापस लेने के मुद्दे पर कुछ नहीं हुआ और महंगाई लगातार बढ़ती जा रही है।
बालू ने आरोप लगाया कि किसानों को ठीक ढंग से न्यूनतम समर्थन मूल्य नहीं मिल रहा दूसरी तरफ देश में बेरोजगारी की स्थिति गंभीर हो रही है। मणिपुर में बड़ी संख्या में लोग मारे गए और हजारों लोग बेघर हो गए। राज्य में महिलाओं से दुर्व्यवहार की घटना भी सामने आई। द्रमुक नेता ने सवाल पूछा कि क्या मणिपुर के मुख्यमंत्री असहाय हैं और प्रधानमंत्री सदन में नहीं आ रहे हैं। यह मुद्दा यूरोपीय संसद में भी उठा है। उन्होंने कहा कि पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने ‘राजधर्म’ की बात कही थी और फिलहाल हम उसके साथ खड़े हैं जो राजधर्म निभाता दिख रहा है।
‘गठबंधन को इंडिया नाम देने से कुछ नहीं होगा’
गठबंधन को इंडिया का नाम देने से कुछ नहीं होगा, जबकि आप वास्तव में भारत के खिलाफ काम कर रहे हैं। केंद्रीय मंत्री किरेन रिजीजू ने लोकसभा में विपक्ष अविश्वास प्रस्ताव पर विपक्ष को घेरा। उन्होंने पूर्व की सरकारों को पूर्वोत्तर क्षेत्रों को नजर अंदाज किए जाने का भी आरोप लगाया और कहा कि प्रधानमंत्री ने पूर्वोत्तर पुलिस को लोगों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के आदेश हैं।
रिजीजू ने कहा कि जब दुनिया भारत की ओर उम्मीदों से देख रही है और प्रधानमंत्री के नेतृत्व में 2047 तक देश मजबूत राष्ट्र बनने की ओर बढ़ रहा है, ऐसे में गलत समय और गलत तरीके से विपक्ष उनके खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाया है। यह प्रस्ताव गलत समय पर और गलत तरीके से लाया गया है। उन्होंने कहा कि आज दुनिया में भारत का प्रभाव बढ़ रहा है और विभिन्न देश भारत के साथ काम करना चाहते हैं। उन्होंने कहा कि देश में विभिन्न क्षेत्रों में जी-20 की बैठकें हो रही हैं और प्रधानमंत्री की अगुआई में 2047 तक देश मजबूत राष्ट्र बनने की ओर बढ़ रहा है।
उन्होंने कहा कि 2014 में प्रधानमंत्री के नेतृत्व में सरकार बनने के बाद इस क्षेत्र का विकास हो रहा है और यह क्षेत्र भारत का विकास इंजन बनने की ओर बढ़ा है।
केंद्र सरकार ने पूर्वोत्तर क्षेत्र को मुख्यधारा के केंद्र में लाने का काम किया। उन्होंने कहा कि मणिपुर की स्थिति आज पैदा नहीं हुई है बल्कि यह चिंगारी वर्षों पहले की है। उन्होंने कहा कि पिछले नौ वर्षो में पूर्वोत्तर में चरमपंथी, उग्रवादी गुटों से संबंधित आठ हजार से अधिक लोगों ने आत्मसमर्पण किया, इस क्षेत्र में अपहरण की घटनाओं में 81 फीसद की कमी आई और अलगाववाद की घटनाओं में 76 फीसद की कमी दर्ज की गई।
उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री का कहना है कि आने वाले दिनों में पूर्वोत्तर देश का विकास इंजन बनेगा। अरुणाचल प्रदेश सहित पूर्वोत्तर और लद्दाख, कश्मीर तक केंद्र सरकार ने सीमावर्ती क्षेत्रों में सड़कों, पुलों सहित आधारभूत ढांचे के विकास की दिशा में जोरदार काम किया और आज इन इलाकों तक आसानी से पहुंचा जा सकता है। पूरे सीमावर्ती क्षेत्रों में 4जी नेटवर्क को पूरा करने का कार्य अंतिम चरण में है। उन्होंने खेलों के विकास और विज्ञान एवं अंतरिक्ष क्षेत्रों में सरकार द्वारा उठाए गए कदमों एवं कार्यों का भी उल्लेख किया और खासतौर पर चंद्रयान-3 मिशन का जिक्र किया।
मणिपुर की सुध नहीं ली केंद्र सरकार ने : सौगत
मणिपुर हिंसा को लेकर तृणमूल कांग्रेस सांसद सौगत राय ने मंगलवार को सीधेतौर पर प्रधानमंत्री को घेरा। उन्होंने कहा कि जब मणिपुर जल रहा था, तो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी विदेश में थे। वे लोकसभा में सरकार के खिलाफ लाए गए अविश्वास प्रस्ताव के समर्थन में बोल रहे थे। उन्होंने कहा कि एक भी प्रतिनिधिमंडल मणिपुर नहीं गया। आपको कोई दया नहीं है और यही कारण है कि आप अन्य दलों की तरह मणिपुर नहीं गए।
उन्होंने कहा कि उन्हें प्रधानमंत्री या उनकी शिक्षा के बारे में कुछ नहीं कहना और ना ही गुजरात दंगों के मामले में कुछ कहना है। लेकिन वे कहना चाहते हैं कि वर्तमान सरकार वादे पूरे करने विफल रहने वाली और विनाशकारी नीतियों वाली सरकार है। उन्होंने आरोप लगाया कि केंद्र सरकार की वर्तमान संघीय ढांचे नष्ट कर रही है और इसका नुकसान पश्चिम बंगाल को उठाना पड़ रहा है।
उन्होंने कहा कि वहां तीन माह से भयावह स्थिति है और इस पर अस्सी दिन के बाद प्रधानमंत्री ने मुंह खोला है लेकिन वे आज तक मणिपुर नहीं गए। उन्होंने मई से जुलाई तक प्रधानमंत्री की विदेश यात्राओं का जिक्र भी अपने भाषण में किया। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री ने सात देशों की यात्रा की, इन देशों में आस्ट्रेलिया, अमेरिका, मिस्त्र, पापुआ, न्यूगिनी जैसे देश शामिल हैं।
उन्होंने आरोप लगाया कि देश में महंगाई चरम पर है, युवाओं को रोजगार नहीं है और हरियाणा में भी तनाव की स्थिति है। इसके अतिरिक्त केंद्र सरकार विपक्षी दलों को दबाने के लिए जांच एजंसियों (सीबीआइ- ईडी) की मदद ले रही है। इन सब के बावजूद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 2024 में वापस सत्ता में नहीं आएंगे। उन्होंने केंद्र सरकार पर विपक्षी राज्यों की सरकारों में योजनाओं का आंवटन नहीं करने का भी आरोप लगाया।