पाकिस्तानी कुख्यात आतंकी हाफिज सईद को एक स्थानीय कोर्ट ने 11 साल की सजा सुनाई है। बुधवार को कोर्ट ने यह फैसला उसके खिलाफ दो अलग-अलग टेरर फंडिंग केस में दिया। मुंबई हमलों का मास्टर माइंड और जमात-उद-दावा (JUD) का चीफ हाफिज सईद को पाकिस्तान की एक आतंक विरोधी अदालत ने सजा सुनाई है। अदालत के एक अधिकारी ने पीटीआई से पुष्टि की कि सईद को पंजाब पुलिस के काउंटर टेररिज्म डिपार्टमेंट (CTD) के आवेदन पर लाहौर और गुजरांवाला शहरों में उसके खिलाफ दर्ज दो आतंकी वित्तपोषण मामलों में सजा सुनाई गई है। कोर्ट ने छह फरवरी को उसके खिलाफ फैसला सुरक्षित रख लिया था। उसके खिलाफ आतंकी फंडिंग, मनी लांड्रिंग और अवैध कब्जे के दो दर्जन से ज्यादा मामले दर्ज हैं।
उसके सहयोगियों हाफिज अब्दुल सलाम बिन मोहम्मद, मोहम्मद अशरफ और प्रोफेसर जफर इकबाल को भी आतंकवाद विरोधी कानून 1997 के तहत गिरफ्तार किया गया था। सरकार की तरफ से मुफ्ती अब्दुर रऊफ वाटो ने अपना पक्ष रखा और गवाहियां पेश कीं। उनके मुताबिक इस दौरान 23 गवाहों के बयान दर्ज किए गए। वाटो के मुताबिक हाफिज सईद आतंकवादियों के लिए चैरिटी के जरिये गैरकानूनी तरीके से फंड जमा करता रहा है।
पाकिस्तान के अखबार डॉन के हवाले से कहा गया था कि डिप्टी प्रोसेक्यूटर जनरल अब्दुल रऊफ वट्टू ने बताया कि आरोपियों के खिलाफ छह मामले अदालत में लंबित थे, जिनमें चार में सुबूत पेश करने की प्रक्रिया चल रही थी। उन चारों मामलों की सुनवाई इस सप्ताह के अंत तक कर ली जाएगी।
पिछले महीने सुनवाई के दौरान हाफिज को अदालत में सवालों की सूची सौंपी गई थी। अदालत के एक अधिकारी ने बंद कमरे में हुई सुनवाई के बाद कहा कि हाफिज ने अपने ऊपर लगे सभी आरोपों को खारिज किया। उसने अपना अपराध स्वीकार नहीं किया। हाफिज ने अदालत में खुद को निर्दोष बताया और कहा कि उसे फंसाया जा रहा है।
पाकिस्तान की पंजाब पुलिस के आतंक रोधी विभाग ने हाफिज और उसके साथियों के खिलाफ पंजाब के विभिन्न शहरों में 23 एफआईआर दर्ज की थी। इन आतंकियों पर आतंकवादियों को वित्तीय मदद मुहैया कराने का आरोप है। हाफिज को पिछले साल 17 जुलाई को गिरफ्तार किया था। तब से हाफिज लाहौर की लखपत जेल में बंद है।
गौरतलब है कि 26 नवंबर 2008 को पाकिस्तान के 10 आतंकवादियों ने मुंबई को बम धमाकों और गोलीबारी से दहला दिया था। इस आतंकी हमले में 160 से ज्यादा लोग मारे गए थे और 300 से ज्यादा लोग घायल हुए थे। मुंबई हमले को याद करके आज भी लोगों को दिल दहल उठता है।