नेपाल में नए प्रधानमंत्री के गद्दी संभालने से ऐन पहले भारतीय जनता पार्टी (BJP) के राज्यसभा सांसद सुब्रमण्यम स्वामी ने नरेंद्र मोदी सरकार को एक सुझाव दिया है। उन्होंने कहा है कि भारत की तरफ से नए नेपाली पीएम को निवर्तमान प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली के हिंदुस्तान विरोधी रुख को अस्वीकार करने के लिए तत्काल कह देना चाहिए।

स्वामी ने यह सलाह मंगलवार (13 जुलाई, 2021) को एक ट्वीट के जरिए दी। उन्होंने लिखा था कि नेपाल के नए नामित प्रधानमंत्री को भारत की ओर से फौरन यह साफ कर दिया जाना चाहिए कि वह निवर्तमान पीएम (केपी शर्मा ओली) के भारतीय क्षेत्र और भगवान राम आदि पर हिंदुस्तान विरोधी रुख को अस्वीकार कर दें, अन्यथा हमारा देश नेपाल की मदद नहीं करेगा।

स्वामी के ट्वीट पर उनके फैंस, फॉलोअर्स और अन्य सोशल मीडिया यूजर्स ने भी तरह-तरह की प्रतिक्रियाएं दीं। @ArvindUniyal13 के टि्वटर हैंडल से कहा गया, “अहम हम इस तरह की धमकाने वाली भाषा (मदद न देंगे…) का इस्तेमाल करेंगे, क्या यह स्थायी रूप से चीन के ‘पक्ष’ में नहीं आ जाएगा?” बीजेपी सांसद ने इस पर जवाब दिया, “सच्ची! राष्ट्र प्रेम और मित्रता के आधार पर नीति का फैसला नहीं करते। वे राष्ट्र हितों को ध्यान में रखकर निर्णय लेते हैं।”

@Tyagi_G_ ने लिखा, नेपाल अखंड भारत का अभिन्न अंग है। आप नेपाल को भारत से अलग नहीं देख सकते। राजा त्रिभुवन ने तो आजादी के बाद भारत में शामिल होने का प्रस्ताव भी दिया था। पर भारत की राजनीति नीतिगत न होकर हमेशा सत्ता के प्रति समर्पित रहती है। यही कारण है कि नेपाल हमसे दूर होता चला गया।

@BalramGujjar17 ने पूछा, “सर, मुझे समझ नहीं आता कि आखिर कुछ महीने पहले आप ही कह रहे थे कि हमें नेपाल के प्रति उदार और नम्र रुख रखना चाहिए, पर अब आप ही आक्रामक रवैया अपनाने का सुझाव दे रहे हैं।”

वैसे, बीजेपी सांसद की यह टिप्पणी ऐसे वक्त पर आई है, जब नेपाली सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को एक अहम फैसले में राष्ट्रपति विद्या देवी भंडारी को निर्देश दिया कि नेपाली कांग्रेस के प्रमुख शेर बहादुर देउबा को मंगलवार तक प्रधानमंत्री नियुक्त किया जाए और पांच महीनों में दूसरी बार भंग प्रतिनिधि सभा को बहाल कर दिया।

चीफ जस्टिस चोलेंद्र शमशेर राणा के नेतृत्व वाली टॉप कोर्ट की पांच सदस्यीय कॉन्सटीट्यूश्नल बेंच ने फैसला सुनाते हुए कहा कि पीएम केपी शर्मा ओली की अनुशंसा पर राष्ट्रपति भंडारी का निचले सदन को भंग करने का फैसला असंवैधानिक कृत्य था। इसे वयोवृद्ध कम्युनिस्ट नेता के लिये बड़े झटके के तौर पर देखा जा रहा है, जो समय पूर्व चुनावों की तैयारी कर रहे थे।

देउबा (74) इससे पहले चार बार (पहली बार 1995-1997, दूसरी बार 2001-2002, तीसरी बार 2004-2005 और चौथी बार 2017-2018 तक) प्रधानमंत्री रह चुके हैं। फिलहाल वह सदन में नेता विपक्ष हैं। अदालत ने प्रतिनिधि सभा का नया सत्र 18 जुलाई की शाम पांच बजे बुलाने का भी आदेश दिया है, जबकि बता दें कि नेपाल के केयरटेकर पीएम ओली ने मंगलवार को इस्तीफा दे दिया। उन्होंने कहा कि हमारी पार्टी सुप्रीम कोर्ट के आदेश का पालन करती है।