महाराष्ट्र के मुंबई में कोरोना काल और लॉकडाउन के बीच एक बेटे ने मां को पीटकर घर से बाहर कर दिया। कहा कि वह पागल हो चुकी हैं और मांगने पर पैसे नहीं देती हैं। दर-दर फिरती 70 साल की बुजुर्ग ने इस बाबत दिल्ली में छोटे बेटे के पास जाने की ठानी और आशंका जताई कि शायद वे लोग भी उन्हें साथ न रखें। ऐसे में उन्होंने दर्द बयां करते हुए बताया कि वह नई दिल्ली में भीख मांग कर पेट भर लेंगी। कम से कम उन्हें बच्चों की मार तो नहीं खानी पड़ेगी।

हालांकि, बुजुर्ग को लाचार अवस्था में देख रेलवे पुलिस ने उनकी मदद की। सोने के लिए कमरा दिया। स्टाफ ने कुछ पैसे भी दिए। रविवार को उनकी दिल्ली के लिए ट्रेन भी थी, जहां वह अपने छोटे बेटे के घर आने की बात कह रही थीं। सीनियर टीवी पत्रकार बरखा दत्त ने वहां से निकलने से पहले बांद्रा स्टेशन (मुंबई) के पास इन अम्मा से बात की और इनका दर्द जाना।

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लीलावती केदारनाथ दुबे ने पत्रकार को बताया- मैं दिल्ली में रहती हूं। मेरा बड़ा बेटा बीमार था। उसने फोन किया था, इसलिए छोटे वाले ने मुझे मुंबई भेजा। मैं इसे देखने आई और वह अब सही हो गया। पर लॉकडाउन हो गया तो मुझे मारपीट कर घर से निकाल दिया। बोला- कैसे भी जाओ…भीख मांगकर जाओ। मैं उसके बाद पैदल आई। मेरे पास एक भी पैसा नहीं है। देखें, वीडियोः

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बकौल बुजुर्ग, “मेरे आदमी नहीं हैं। मैं वैसी औरत नहीं हूं। बहुत सीधी हूं। क्या करूं? लड़के को मैं पैसे देती थी तो सही था, पर मत दो मैं बुरी बन जाती थी। दिल्ली में भी मेरा बेटा रहता है, पर मुझे लगता है कि वह भी नहीं रखेगा। कोई भी नहीं रखता है मुझे। सब कहते हैं कि मैं पागल हो गई हूं। मुझे खाने (बिस्कुट का पैकेट, थोड़ा सा दाल-चावल और पानी आदि) के लिए कुछ सामान दिया गया है।”

उन्होंने आगे बताया कि अगर ट्रेन नहीं मिली या दिल्ली नहीं जा सकी, तो यही बांद्रा स्टेशन पर ही रहूंगी। और क्या करूंगी? मैं पूछते हुए लोगों से स्टेशन आ गई और आकर बैठ गई। प्यास लगी थी, तो एक गाड़ी थी। उससे मुझे पानी मिल गया। दाल-चावल भी दिया गया। पेट भर कर पानी पिया। थोड़ा सा दाल चावल खाया…बस हो गया।

लीलावती के मुताबिक, उनके तीन बेटे और दो बेटियां हैं। पर इनमें से कोई भी उनकी मदद के लिए राजी नहीं है। सब उन्हें पागल कहते हैं। मेरे पति नहीं हैं। वह 87 साल की उम्र में चल बसे। लोहे का काम करते थे। वह बहुत अच्छे थे। बुढ़ापा आया, अब क्या करूं?