किसानों संग पांचवें चरण की वार्ता के बाद कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने शनिवार को इसकी जानकारी दी। उन्होंने कहा कि अन्नदाताओं को मोदी सरकार पर भरोसा रखने चाहिए, चूंकि केंद्र सरकार जो भी करेगी वो किसानों के हित में होगा। वार्ता में अनुशासन बनाए रखने के लिए किसान संगठनों को धन्यवाद देते हुए कृषि मंत्री ने कहा कि आज बातचीत पूरी नहीं हो सकी है। ऐसे में किसानों को एक और चरण की बातचीत के लिए 9 दिसंबर को बुलाया है।
उन्होंने किसानों को आश्वस्त करते हुए कहा कि मोदी सरकार किसानों के साथ है और भविष्य में भी ऐसा ही होगा। उन्होंने कहा कि पीएम मोदी के नेतृत्व में कई कृषि योजना को लागू किया गया है। किसानों के लिए बजट और एमएसपी में बढ़ोतरी हुई है। कृषि मंत्री ने किसानों से अपना आंदोलन खत्म करने की अपील करते हुए कहा कि वो ठंड में असुविधा का सामना ना करें और दिल्ली की जनता भी सुविधा के साथ अपना जिंदगी जी सके।।
इधर सरकार संग बातचीत के बात किसान नेताओं ने बताया कि केंद्र 9 दिसंबर को किसानों एक प्रस्ताव भेजेगा। किसानों ने कहा कि आपस में इस मुद्दे पर चर्चा करेंगे और जिसके बाद उसी दिन सरकार के साथ बैठक होगी। आज सरकार के साथ बैठक में किसान संगठनों ने स्पष्ट किया कि वो कॉरपोरेट फार्मिंग नहीं चाहते है। नए बिल से सरकार को फायदा होगा, किसानों को इससे लाभ नहीं होगा।
वार्ता में किसानों ने कहा कि वो एक साल का राशन साथ लाए हैं और पिछले कई दिनों से सड़कों पर हैं। किसानों ने कहा कि अगर सरकार चाहती है वो सड़कें रहे तो इससे अन्नदाताओं को कोई परेशानी नही है। वो अहिंसा का रास्ता नहीं छोड़ेंगे। खुफिया एजेंसियां सरकार को जानकारी देती रहेंगी कि किसान धरना स्थल पर क्या कर रहे हैं।
दूसरी तरफ जमूरी किसान सभा के महासचिव ने कहा कि कनाडा की संसद में पंजाबी सांसदों ने किसान आंदोलन की चर्चा की, बाद में PM जस्टिन ट्रूडो ने भारत सरकार को पत्र लिखा कि किसानों की मांगें जायज हैं और इनको मानना चाहिए। कनाडा की संसद में अगर इसकी चर्चा हो सकती है तो भारत की संसद में चर्चा होने में क्या मुश्किल है।
पंजाबी गायक और अभिनेता दिलजीत दोसांझ भी किसानों के समर्थन में खुलकर आ गए हैं। उन्होंने सिंघु बॉर्डर पर प्रदर्शनकारी किसानों को संबोधित करते हुए कहा कि ट्विटर पर चीजों को घुमाया जाता है, मुद्दों को ना भटकाया जाए। हाथ जोड़कर विनती करता हूं, सरकार से भी गुज़ारिश है कि हमारे किसान भाइयों की मांगों को मान ले। यहां सब शांतिपूर्ण तरीके से बैठे हैं कोई खून-खराबा नहीं हो रहा है।
संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंतोनियो गुतारेस के प्रवक्ता और ब्रिटेन के विभिन्न दलों के 36 सांसदों ने भारत में जारी किसानों के प्रदर्शन का समर्थन करते हुए कहा है कि लोगों को शांतिपूर्ण प्रदर्शन करने का अधिकार है और अधिकारियों को उन्हें यह करने देना चाहिए। कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो ने अपनी पहले की एक टिप्पणी पर भारत की कड़ी प्रतिक्रिया के बाद भी प्रदर्शनकारी किसानों के प्रति समर्थन दोहराया। ट्रूडो ने पहले कहा था कि कनाडा हमेशा शांतिपूर्ण प्रदर्शनों के अधिकारों का समर्थन करेगा। संयुक्त राष्ट्र महासचिव के प्रवक्ता स्टीफन दुजारिक ने शुक्रवार को कहा, ‘‘जहां तक भारत का सवाल है तो मैं वही कहना चाहता हूं कि जो मैंने इन मुद्दों को उठाने वाले अन्य लोगों से कहा है कि लोगों को शांतिपूर्वक प्रदर्शन करने का अधिकार है और अधिकारियों को उन्हें यह करने देना चाहिए।’’ दुजारिक भारत में किसानों के प्रदर्शन से जुड़े एक सवाल पर प्रतिक्रिया दे रहे थे।
पांचवें दौर की वार्ता दोपहर 2.30 बजे शुरू हुई और इसमें विभिन्न किसान संगठनों के 40 प्रतिनिधियों ने भाग लिया। बता दें किसान यूनियनों के नेताओं ने कहा कि वार्ता के दौरान भोजन के समय विज्ञान भवन में सरकार द्वारा की गई खाने की व्यवस्था के बजाय अपने खुद के द्वारा लाये गए भेजन और चाय आदि को ग्रहण किया। बृहस्पतिवार को अपनी पिछली बैठक के दौरान, किसान नेताओं के पास अपना दोपहर का भोजन, चाय और यहां तक ष्ष्कि पानी भी था। किसान नेताओं ने इससे पहले बृहस्पतिवार को सरकार से कहा था कि वे दोपहर के भोजन की पेशकश करके एक अच्छा मेजबान बनने की कोशिश करने के बजाय मुद्दों को हल करने पर ध्यान केंद्रित करें। हजारों किसान इन कृषि कानूनों के खिलाफ अपने विरोध प्रदर्शन के तहत राष्ट्रीय राजधानी की विभिन्न सीमाओं पर डेरा डाले हुए हैं।
सरकार ने तीन दिन का समय मांगा है। 9 दिसंबर को सरकार हमें प्रपोज़ल भेजेगी, उस पर विचार करने के बाद बैठक होगी। 8 तारीख को भारत बंद ज़रूर होगा। ये कानून ज़रूर रद्द होंगे: किसान कानूनों पर सरकार के साथ हुई बैठक के बाद किसान नेता
कृषि बिलों के खिलाफ प्रदर्शन के बीच किसान नेताओं और सरकार में पांचवें चरण की बातचीत जारी है। पीटीआई ने सूत्रों के हवाले से बताया कि बैठक में मौजूद कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने किसान यूनियनों को बताया कि सरकार बातचीत के लिए प्रतिबद्ध है और कृषि कानूनों पर उनकी प्रतिक्रिया का स्वागत है। इधर टीवी रिपोर्ट्स में बताया गया कि किसानों के अड़ियल रुख के मद्देनजर केंद्र सरकार तीनों कृषि कानूनों में संशोधन कर सकती है। हालांकि, इस बारे में आधिकारिक पुष्टि नहीं है।
ट्विटर पर चीजों को घुमाया जाता है, मुद्दों को ना भटकाया जाए। हाथ जोड़कर विनती करता हूं, सरकार से भी गुज़ारिश है कि हमारे किसान भाइयों की मांगों को मान ले। यहां सब शांतिपूर्ण तरीके से बैठे हैं कोई खून-खराबा नहीं हो रहा है: सिंघु बॉर्डर पर अभिनेता दिलजीत दोसांझ
भाजपा को 48 वार्ड और असदुद्दीन ओवैसी की एआईएमआईएम को 44 वार्डों में जीत हासिल हुई। कांग्रेस सिर्फ दो वार्डों में जीत दर्ज कर सकी। इस बार किसी भी पार्टी को बहुमत नहीं मिला है। 150 वार्डों वाले ग्रेटर हैदराबाद नगर निगम में बहुमत का आंकड़ा 76 है। एक दिसंबर को हुए चुनाव में 74.67 लाख पंजीकृत मतदाताओं में से केवल 34.50 लाख (46.55 प्रतिशत) मतदाताओं ने अपने मताधिकार का इस्तेमाल किया था।
उत्तर प्रदेश: ग्रेटर नोएडा में पुलिस ने कुछ किसान प्रदर्शनकारियों को यमुना एक्सप्रेसवे पर हिरासत में लिया। किसान प्रदर्शनकारी पुलिस बैरिकेड तोड़कर नोएडा से दिल्ली जा रहे थे।
दिल्ली: केंद्र सरकार के साथ विज्ञान भवन में पांचवें दौर की वार्ता में मौजूद किसानों ने अपने साथ लाए खाने को बांटकर खाया।
वैसे सरकार संग इस बैठक से पहले Doaba Kisan Sangharsh Committee के हरसुलिंदर सिंह ने बताया कि वे चाहते हैं कि सरकार तीनों कानूनों को वापस ले। हम सरकार का ऑफर (संशोधन करने का) नहीं स्वीकारेंगे। वहीं, Azad Kisan Sangharsh Committee के स्टेट चीफ हरजिंदर सिंह टांडा ने बताया कि ये कानून पूरी तरह से वापस ले लिए जाएं, हम यही चाहते हैं। अगर सरकार हमारी मांगें नहीं मानती है, तब हमारा आंदोलन जारी रहेगा। इसी बीच, वाम दलों ने भी किसान संगठनों द्वारा आठ तारीख को बुलाए गए भारत बंद का समर्थन किया है।
कृषि बिलों के खिलाफ किसानों के प्रदर्शन और उनकी सरकार से जारी वार्ता के बीच कांग्रेस के वरिष्ठ नेता अधीर रंजन चौधरी ने प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने कहा कि भाजपा नीत केंद्र सरकार केवल सड़कों पर किए जाने वाले प्रदर्शनों की भाषा समझती है। उन्होंने कहा कि कांग्रेस ने इन कानूनों पर संसद की स्थाई समिति के जरिए कहीं अधिक परामर्श एवं विचार करने की मांग की थी, लेकिन यह अनुरोध अस्वीकार कर दिया गया और जब कांग्रेस सांसदों ने संसद में इसका विरोध किया तो उन्हें सदन से निलंबित कर दिया गया।
दिल्लीः केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर, पीयूष गोयल की किसान नेताओं के साथ विज्ञान भवन में पांचवें दौर की वार्ता शुरू हुई।
वाम दलों ने किसान संगठनों द्वारा आठ दिसंबर को बुलाए गए राष्ट्रव्यापी बंद को शनिवार को समर्थन करने की घोषणा की। वाम दलों की ओर से जारी बयान में इसकी जानकारी दी गयी है। भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी), भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (भाकपा), भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी-लेनिनवादी), रिव्ल्यूशनरी सोशलिस्ट पार्टी और ऑल इंडिया फॉरवर्ड ब्लॉक ने संयुक्त वक्तव्य में यह घोषणा की।
वक्तव्य में कहा गया, ‘‘वाम दल नए कृषि कानूनों के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे किसान संगठनों के प्रति एकजुटता प्रकट करते हैं और इन प्रदर्शनों का समर्थन करते हैं। वाम दल उनके द्वारा आठ दिसंबर को बुलाए गए ‘भारत बंद’ का भी समर्थन करते हैं।’’ बयान में कहा गया, ‘‘वाम दल भारतीय कृषि और खाद्य सुरक्षा के लिए संघर्ष कर रहे हमारे अन्नदाताओं के खिलाफ आरएसएस/भाजपा के द्वेषपूर्ण प्रचार और बेतुके आरोपों की निंदा करते हैं।’’ वाम दलों ने बयान में कहा कि वे किसानों द्वारा तीन कृषि कानूनों और बिजली (संशोधन) विधेयक-2020 को वापस लेने की मांग का भी समर्थन करते हैं।
पंजाबी गायक गिप्पी ग्रेवाल ने शनिवार को बॉलीवुड की आलोचना करते हुए कहा कि वह ऐसे समय में पंजाब के पक्ष में खड़ा नहीं हुआ जब राज्य को किसानों के प्रदर्शनों के बीच उनके समर्थन की सबसे ज्यादा जरूरत थी। हरियाणा, पंजाब और अन्य राज्यों के किसान केंद्र के नए कृषि कानूनों के विरोध में शनिवार को लगातार दिल्ली की सीमाओं पर डटे हैं। गिप्पी ग्रेवाल के नाम से मशहूर 37 वर्षीय रूपिंदर सिंह ग्रेवाल ने ट्विटर पर लिखा कि वर्षों तक पंजाब ने खुली बाहों से बॉलीवुड का स्वागत किया लेकिन इस मुद्दे पर उसकी चुप्पी तकलीफदेह है। उन्होंने ट्वीट किया, ‘‘प्रिय बॉलीवुड, हमेशा आपकी फिल्में पंजाब में खूब सफल रहीं और यहां हर बार आपका खुली बाहों के साथ स्वागत किया गया। लेकिन आज जब पंजाब को आपकी सबसे ज्यादा जरूरत है तो आप न आए और न ही आपने एक शब्द भी बोला। बहुत निराशा हुई।’
सरकार एवं प्रदर्शनकारी किसान संगठनों के बीच कृषि कानूनों पर पांचवे दौरं की बातचीत से पहले अखिल भारतीय किसान सभा के अधिकारियों ने शनिवार को कहा कि नये कृषि कानूनों को वापस लिये जाने के बाद ही यह किसान आंदोलन समाप्त होगा । दोनों पक्षों के बीच बृहस्पतिवार को चौथे दौर की बैठक हुयी थी जो कृषि कानूनों पर जारी गतिरोध समाप्त करने में विफल रही । किसान इन कानूनों को समाप्त करने की अपनी मांग पर अड़े हुये थे । अखिल भारतीय किसान सभा के वित्त सचिव कृष्ण प्रसाद ने कहा, ''हमारे दिमाग में इस बात को लेकर कोई शंका नहीं है कि इन कानूनों को वापस लिये जाने के बाद ही यह आंदोलन समाप्त होगा । हम यहां से नहीं हिलेंगे। हम चाहते हैं कि सरकार अपने प्रस्ताव को संसद में ले जाये और इस मुद्दे पर संसदीय समिति चर्चा करे। हमलोगों को इस कानून को वापस लिये जाने से कम कुछ भी मान्य नहीं होगा।''
किसानों से बातचीत से पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आवास पर बड़ी बैठक हुई थी। चार केंद्रीय मंत्रियों के साथ उनकी यह मीटिंग करीब दो घंटे चली। सूत्रों के हवाले से कुछ मीडिया रिपोर्ट्स में बताया गया कि पीएम इस मसले को लेकर काफी चिंतित हैं और वह जल्द से जल्द किसानों के आंदोलन खत्म होने के पक्ष में हैं। कोरोना और सर्दी के बीच उनकी यह चिंता बढ़ना लाजिमी भी मानी जा रही है।
बताया गया कि इस बैठक में किसानों को तीन नए कानूनों पर समझाने को लेकर आगे की रणनीति बनी। मोदी इसके बाद अकेले में गृह मंत्री अमित शाह के साथ मिले और दोनों की बैठक हुई। इसी बीच, लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला पीएम आवास उनसे मिलने पहुंचे।
कौन-कौन रहा बड़ी बैठक में?: गृह मंत्री अमित शाह, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर और रेल मंत्री पीयूष गोयल।
दरअसल, मोदी सरकार द्वारा लाए गए तीन कृषि कानूनों को वापस लेने को लेकर किसान दिल्ली में आंदोलन पर अड़े हैं। आज उनके प्रदर्शन का 10वां दिन है। टिकरी बॉर्डर समेत कुछ और ठिकानों पर अन्नदाताओं का विरोध प्रदर्शन फिलहाल जारी है। शनिवार को एक प्रदर्शनकारी ने इस बाबत समाचार एजेंसी एएनआई से कहा, "सरकार बार-बार तारीख दे रही है, सभी संगठनों ने एकमत से फैसला लिया है कि आज बातचीत का आखिरी दिन है।
झारखंड में किसानों से धान खरीद पर सरकार के रोक से नाराज मुख्य विपक्षी भाजपा ने पाकुड़ के विभिन्न मंडलों में मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन का पुतला फूंका तथा राज्य सरकार के खिलाफ जमकर नारे लगाते हुए मुख्यमंत्री से इस्तीफे की मांग की। पाकुड़ जिला मुख्यालय में भाजपा जिलाध्यक्ष बलराम दूबे ने धान खरीद पर सरकार की रोक के खिलाफ प्रदर्शन और पुतला दहन का नेतृत्व किया। मौके पर मौजूद पाकुड़ के पूर्व भाजपा विधायक वेणी प्रसाद गुप्ता ने झारखंड सरकार पर किसान विरोधी होने का आरोप लगाते हुए कहा कि उसके तुगलकी फरमान से राज्य के लाखों किसान आज खून के आंसू रो रहे हैं। उन्होंने कहा कि सरकार के मनमाने फैसले व धान खरीद पर रोक के तुगलकी फरमान से आज वे मजबूरन अपना सोना मिट्टी के भाव बेचने को विवश हैं।
कृषि कानूनों पर केंद्र सरकार के साथ बात करने के लिए किसान नेता सिंघु बाॅर्डर से रवाना हुए। एक किसान नेता ने कहा, "ये कानून रद्द करने चाहिए। अगर आज कोई नतीजा नहीं निकलता तो भारत बंद (8 दिसंबर को) किया जाएगा।"
तेज ठंड के बीच केंद्र के तीन कृषि कानूनों का विरोध कर रहे हजारों किसान शनिवार को लगातार दसवें दिन भी राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली की सीमाओं पर जमे हुए हैं। वहीं, इन कानूनों को वापस लेने की मांग के साथ किसानों के प्रतिनिधि पांचवे दौर की वार्ता के लिए सरकार से मिलने वाले हैं। उत्तर प्रदेश और हरियाणा से दिल्ली को जोड़ने वाले रास्तों को पहले ही बाधित कर चुके आंदोलनकारी किसानों ने शुक्रवार को चेतावनी दी थी कि अगर सरकार उनकी मांगें स्वीकार नहीं करती है तो वे दूसरी सड़कों को भी बाधित करेंगे। उन्होंने आठ दिसंबर को भारत बंद का आह्वान भी किया है। सरकार के साथ शनिवार दोपहर होने वाली बातचीत से पहले 40 किसान संगठनों के प्रतिनिधि अपनी रणनीति पर चर्चा करेंगे। किसान संगठनों ने शनिवार को सरकार और कारपोरेट घरानों के खिलाफ प्रदर्शन करने और पुतला दहन का आह्वान किया है।
केन्द्र सरकार के तीन नये कृषि कानूनों के खिलाफ आंदोलन कर रहे किसानों ने आठ दिसम्बर को ‘भारत बंद’ का शुक्रवार को ऐलान किया और धमकी दी यदि सरकार उनकी मांगे नहीं मानती है तो वे राष्ट्रीय राजधानी पहुंचने वाली और सड़कें बंद कर देंगे। सरकार के साथ कल होने वाली पांचवें दौर की बातचीत से पहले किसानों ने अपना रूख और सख्त कर लिया है। सूत्रों ने अनुसार सरकार ने गतिरोध खत्म करने के लिए उन प्रावधानों का संभावित हल तैयार कर लिया है जिन पर किसानों को ऐतराज है।
इसी बीच, सिंघु बॉर्डर पर चल रहे किसानों के विरोध प्रदर्शन को देखते हुए वहां बड़ी संख्या में सुरक्षा बल तैनात किया जा चुका है। आज कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर और किसान नेताओं के बीच पांचवें दौर की वार्ता है। तोमर के मुताबिक, यह बैठक दोपहर दो बजे होगी। मैं आशावान देता हूं कि निश्चित रूप से किसान सकारात्मक दिशा में सोचेंगे और आंदोलन का रास्ता छोड़ेंगे।
भाजपा ने भारत में किसानों के प्रदर्शन पर कनाडा के रुख की आलोचना करते हुए शनिवार को इसे ‘पाखंड’ करार देते हुए कहा कि वह डब्ल्यूटीओ में न्यूनतम समर्थन मूल्य और अन्य कृषि नीतियों का विरोध करता है और भारत के खाद्य एवं जीविकोपार्जन सुरक्षा सहित घरेलू कृषि उपायों पर सवाल उठाता है। भाजपा के विदेश मामलों के प्रभारी विजय चौथाइवाले ने ट्वीट किया, ‘‘वह (कनाडा) भारत के किसानों को बचाने के लिए लागू आयात पांबदियों का विरोध करता है। डल्ब्यूटीओ में भारत की कृषि नीतियो कनाडा ने सवाल उठाए और यह इस हकीकत के सबूत हैं भारत के किसानों और कृषि उत्पादकों की वास्तविक बेहतरी को लेकर कनाडा की चिंता कितनी कम है।’’
किसानों ने भावी कदम तय करने के लिए दिन के समय बैठक की थी। बैठक के बाद किसान नेताओं में एक गुरनाम सिंह चडोनी ने संवाददाता सम्मेलन में कहा कि यदि केंद्र सरकार शनिवार की वार्ता के दौरान उनकी मांगों को स्वीकार नहीं करती है, तो वे नए कृषि कानूनों के खिलाफ अपने आंदोलन को तेज करेंगे। भारतीय किसान यूनियन के महासचिव हरिंदर सिंह लखवाल ने कहा, ‘‘आज की हमारी बैठक में हमने आठ दिसम्बर को ‘भारत बंद’ का आह्वान करने का फैसला किया और इस दौरान हम सभी टोल प्लाजा पर कब्जा भी कर लेंगे।’’
उन्होंने कहा, ‘‘यदि इन कृषि कानूनों को वापस नहीं लिया गया तो हमने आने वाले दिनों में दिल्ली की शेष सड़कों को अवरूद्ध करने की योजना बनाई है।’’ उन्होंने कहा कि किसान शनिवार को केन्द्र सरकार और कॉरपोरेट घरानों के खिलाफ प्रदर्शन करेंगे और उनके पुतले फूकेंगे। उन्होंने कहा कि सात दिसम्बर को खिलाड़ी किसानों के साथ एकजुटता दिखाते हुए अपने पदक लौटाएंगे।
किसान नेता अपनी इस मांग पर अड़ गये हैं कि इन नये कृषि कानूनों को निरस्त करने के लिए केन्द्र संसद का विशेष सत्र बुलाये। उनका कहना है कि वे नये कानूनों में संशोधन नहीं चाहते हैं बल्कि वे चाहते हैं कि इन कानूनों को निरस्त किया जाये। शनिवार को अगले दौर की वार्ता में सरकारी पक्ष का नेतृत्व केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र तोमर करेंगे और उनके साथ खाद्य मंत्री पीयूष गोयल एवं वाणिज्य एवं उद्योग राज्यमंत्री सोमप्रकाश भी होंगे।
कृषि कानूनों के खिलाफ टिकरी बाॅर्डर पर किसानों का विरोध प्रदर्शन जारी है। एक प्रदर्शनकारी ने कहा, "सरकार बार-बार तारीख दे रही है, सभी संगठनों ने एकमत से फैसला लिया है कि आज बातचीत का आखिरी दिन है।"
केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने शुक्रवार को कहा कि नए कृषि कानूनों को हड़बड़ी में नहीं लाया गया, इन्हें हितधारकों के साथ व्यापक चर्चा और काफी विचार विमर्श के बाद लाया गया तथा इनसे किसानों को फायदा होगा।
दिल्ली के बॉर्डर बिंदुओं पर पंजाब, हरियाणा और अन्य राज्यों के किसानों का प्रदर्शन लगातार नौ दिनों से जारी है। राष्ट्रीय राजधानी की सीमाओं पर यातायात बहुत सुस्त रहा है। पुलिस ने दिल्ली को हरियाणा एवं उत्तर प्रदेश से जोड़ने वाली अहम मार्गों को बंद रखा।
इस बीच किसान संगठन विभिन्न पक्षों का समर्थन जुटाने में लगे हैं। पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने उन्हें आश्वासन दिया कि उनकी पार्टी तृणमूल कांग्रेस उनके साथ खड़ी है।
कृषि कानूनों के खिलाफ सिंघु बाॅर्डर पर चल रहे किसानों के विरोध प्रदर्शन को देखते हुए बाॅर्डर पर बड़ी संख्या में सुरक्षा बल तैनात है। आज कृषि मंत्री और किसान नेताओं के बीच पांचवें दौर की वार्ता होगी।
भारतीय किसान यूनियन (बीकेयू) ने शुक्रवार को कहा कि वह दिल्ली पुलिस से अनुमति मांगेगी कि किसानों को अपने ट्रैक्टरों पर महानगर में घूमने की अनुमति दी जाए ताकि वे लाल किले और राष्ट्रपति भवन जैसे लोकप्रिय स्थानों का दौरा कर सकें।
बीकेयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष राकेश टिकैत ने ‘पीटीआई- भाषा’ से कहा कि ऐतिहासिक स्थलों का दौरा करने के बाद किसान वापस गाजीपुर की सीमा पर लौटेंगे। यहां विरोध कर रहे कई किसान राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में पहली बार आए हैं और उन्हें महानगर देखने की अनुमति दी जानी चाहिए।
उन्होंने आगे कहा कि सरकारी प्रतिनिधियों के साथ बैठक में वे मांग करेंगे कि एनसीआर में 10 साल पुराने डीजल से चलने वाले ट्रैक्टरों पर एनजीटी की रोक को रद्द किया जाए। टिकैत ने कहा कि हम एनसीआर में 10 साल पुराने ट्रैक्टरों को चलने की अनुमति देने की मांग करेंगे।
केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने बृहस्पतिवार को विभिन्न किसान संगठनों के 40 किसान नेताओं के समूह को आश्वासन दिया था कि सरकार किसान संगठनों की चिंताओं को दूर करने के प्रयास के तहत मंडियों को मजबूत बनाने, प्रस्तावित निजी बाजारों के साथ समान परिवेश सृजित करने और विवाद समाधान के लिये किसानों को ऊंची अदालतों में जाने की आजादी दिये जाने जैसे मुद्दों पर विचार करने को तैयार है।
उन्होंने यह भी कहा था कि न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर खरीद व्यवस्था जारी रहेगी। लेकिन दूसरे पक्ष ने कानूनों में कई खामियों और विसंगतियों को गिनाते हुये कहा कि इन कानूनों को सितंबर में जल्दबाजी में पारित किया गया। भारतीय किसान यूनियन के नेता राकेश टिकैत ने कहा है कि किसान उम्मीद कर रहे हैं कि सरकार पांचवें दौर की वार्ता में उनकी मांगें मान लेगी।