कृषि कानूनों की निंदा करने वाले NCP चीफ शरद पवार के ट्वीट पर चिंता जताते हुए केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा है कि पवार देश के बड़े राजनेता हैं और कृषि से जुड़े विषयों पर बड़ी जवाबदेही के साथ बात करते रहे हैं। मैं उनका सम्मान करता हूं। जब वे कृषि मंत्री थे उन्होंने कृषि सुधार करने की कोशिश की थी। आज उनके कुछ ट्वीट आए, उन्हें देखकर मुझे निराशा हुई।

बकौल तोमर, “मुझे लगता है कि शरद पवार जी के सामने बिल के तथ्यों को गलत तरीके से प्रस्तुत किया होगा। मैं आशा करता हूं कि वो सही तथ्यों को समझेंगे और कृषि सुधार बिलों पर अपनी राय को बदलेंगे।” दरअसल, पवार ने शनिवार को किए सिलसिलेवार ट्वीट में कहा कि केंद्र सरकार के नए कृषि कानून न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) खरीद को बुरी तरह प्रभावित करेंगे और मंडी व्यवस्था को कमजोर करेंगे।

संप्रग सरकार के दौरान कृषि मंत्री रहते हुए इन सुधारों के लिये आवाज उठा चुके पवार का ट्वीट ऐसे समय आया जब केंद्र और 41 प्रदर्शनकारी किसान संगठनों में बातचीत को लेकर गतिरोध बना हुआ है।

प.उप्र में 3 दिन में तीसरी महापंचायतः दिल्ली की सीमाओं पर तीन नए कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों के प्रदर्शन का विस्तार अब पश्चिमी उत्तर प्रदेश में भी होता दिख रहा है जहां रविवार को बागपत में आयोजित महापंचायत में हजारों लोग शामिल हुए। इस क्षेत्र में तीन दिनों के अंदर यह ऐसा तीसरा आयोजन था। यहां तहसील मैदान पर हुई ‘सर्व खाप पंचायत’ में आसपास के जिलों से ट्रैक्टर-ट्रॉलियों में भरकर किसान बड़ी संख्या में पहुंचे। कई ट्रैक्टरों पर तो तेज आवाज में संगीत बज रहा था और बहुतों पर तिरंगे के साथ किसान संघों का झंडा भी लगा था। शुक्रवार को मुजफ्फरनगर और शनिवार को मथुरा के बाद यह क्षेत्र में किसानों की तीसरी महापंचायत थी।

जींद में किसानों का विरोध जारीः हरियाणा के जींद जिले में खटकड़ और बद्दोवाल टोल प्लाजा पर केन्द्र के तीन नये कृषि कानूनों को लेकर किसानों का विरोध प्रदर्शन जारी है। जिले में जींद-उचाना के बीच खटकड़ टोल और नरवाना-दनौदा के बीच बद्दोवाल टोल प्लाजा हैं। भाकियू (चढूनी) के जिलाध्यक्ष आजाद पालवां ने यहां कहा कि 30 जनवरी को किसानों के समर्थन में समाज सेवी अन्ना हजारे महाराष्ट्र में अनशन करने वाले थे और अब यह तिथि जा चुकी है। उन्होंने कहा कि ऐसे में बांगर के किसानों की तरफ से उनके नाम चिट्टी लिखकर उन्हें याद दिलाया जाएगा कि उन्होंने किसानों के हक में अनशन करने की घोषणा की थी।

किसानों को पंजाब पुलिस सुरक्षा मुहैया कराए- AAP: आम आदमी पार्टी (आप) ने रविवार को पंजाब के मुख्यमंत्री अमरिन्दर सिंह से तीन नए केन्द्रीय कृषि कानूनों के खिलाफ दिल्ली की सीमाओं पर प्रदर्शन कर रहे किसानों की सुरक्षा में राज्य की पुलिस तैनात करने की मांग की। आप प्रवक्ता राघव चड्ढा ने रविवार को सिंह को पत्र लिखकर कहा कि पंजाब पुलिस को किसानों को सुरक्षा मुहैया करानी चाहिये ताकि उन्हें कोई नुकसान नहीं पहुंचा सके और वे शांतिपूर्ण तरीके से ”काले कानूनों” के खिलाफ प्रदर्शन जारी रखें।

‘किसानों को बदनाम कर खरबपतियों को फायदा पहुंचा रही भाजपा’: समाजवादी पार्टी (सपा) के अध्यक्ष और उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने भाजपा पर किसानों को बदनाम करने और खरबपतियों को फायदा पहुंचाने का आरोप लगाया है। यादव ने रविवार को एक ट्वीट में कहा, “भाजपा द्वारा किसानों को बदनाम करने के प्रपंचों से किसान बहुत आहत हैं, भाजपा ने नोटबंदी, जीएसटी, श्रम क़ानून और कृषि क़ानून लाकर खरबपतियों को ही फ़ायदा पहुँचाने वाले नियम बनाए हैं। भाजपा ने आम जनता को बहुत सताया है।”

किसान सम्मान सर्वोपरि, जिद छोड़ कानून वापस ले केंद्र- पायलटः राजस्थान के पूर्व उपमुख्यमंत्री सचिन पायलट ने किसानों के मान-सम्मान को सर्वो‍परि बताते हुए रविवार को कहा कि केंद्र सरकार को ‘‘जिद और जबरदस्ती‍ से पारित कराये गए’’ अपने केंद्रीय कृषि कानूनों को तत्काल वापस लेना चाहिए। पायलट ने 26 जनवरी को नयी दिल्ली में ‘ट्रैक्टर परेड’ के दौरान हुई हिंसक घटनाओं की निष्पक्ष जांच कराने की भी मांग की है ताकि असली दोषियों का पता चल सके। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार किस दबाव में यह कानून लाई और किस मजबूरी में वह इन्हें वापस नहीं ले रही है, इसे लेकर बड़े सवाल उठने लगे हैं। (भाषा इनपुट्स के साथ)