चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर की कांग्रेस में क्या भूमिका होगी? फिलहाल यह तो साफ नहीं हो सका है, मगर इतना जरूर पता चला है कि उनसे मिलने वाले कई पार्टी नेता इत्तेफाक नहीं रखते।
कहा जा रहा है कि कांग्रेस के कई नेता, जो उनसे चर्चाओं के दौर से गुजर रहे हैं, वे उनकी इस बात से इत्तेफाक नहीं रखते कि पार्टी को खुद को एक चुनावी मशीन में तब्दील कर लेना चाहिए।
वे इसके बजाय संगठन को मजबूत करने और पार्टी की बुनियादी विचारधारा पर स्पष्टता लाना अधिक महत्वपूर्ण मानते हैं। उनका मानना है कि एक बार यें चीजें हो जाएं तो चुनावी सफलता आगे मिल ही जाएगी।
हालांकि, पीके से बुधवार (20 अप्रैल, 2022) को भेंट करने वाले एक सीनियर नेता का मानना है कि पिछले कुछ दिनों की व्यस्त गतिविधियों ने निराश कैडर का मनोबल बढ़ाया है। पार्टी कार्यकर्ताओं में अब उम्मीद की किरण जागी है कि नेतृत्व कुछ करने के लिए पहल कर रहा है।
दरअसल, पीके की कुछ वक्त से कांग्रेस में जाने की अटकल है। माना जा रहा है कि पार्टी में उन्हें अहम जिम्मेदारी सौंपी जा सकती है। हाल ही में कांग्रेस की एक अहम बैठक हुई थी, जिसमें वह भी शामिल हुए थे।
बताया जाता है कि इस बैठक में चुनावी रणनीतिकार के पास जो प्रेजेंटेशन थी, उसके कवर पेज पर बापू की कही एक प्रचलित लाइन थी। लिखा था- कांग्रेस को कभी मरने नहीं दिया जा सकता है। यह सिर्फ राष्ट्र के साथ मर सकती है।
यह भी बताया गया कि कांग्रेस अंतरिम चीफ सोनिया गांधी को पीके ने मिशन 2024 (आम चुनाव) के लिए दो बड़े सुझाव दिए। इनके तहत कांग्रेस लोकसभा चुनाव में 370 सीटों पर पूरा जोर लगा दे और जिस जगह कांग्रेस कमजोर है, वहां पर वह अपने मजबूत घटक दल को आगे आने का मौका दे।
मीडिया रिपोर्ट्स की मानें तो पीके ने कांग्रेस को यह भी सुझाव दिया कि वह पूरे देश में अकेले चुनाव लड़े। मोदी और बीजेपी को हराने के लिए अन्य दलों के साथ आए, जबकि यूपीए को और सशक्त करने की कओशिश करे।
पीके महाराष्ट्र के सीएम और शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे, बिहार सीएम नीतीश कुमार, दिल्ली सीएम व आप संयोजक अरविंद केजरीवाल, प.बंगाल सीएम और टीएमसी चीफ ममता बनर्जी के अलावा दक्षिण के दो दिग्गजों (एमके स्टालिन और जगनमोहन रेड्डी) के साथ काम कर चुके हैं।
बता दें कि 543 सीट वाली लोकसभा में मौजूदा समय में भाजपा के पास 303 सीटे हैं, जबकि कांग्रेस के खाते में महज 55 सीट हैं।