“मेरे घर में मुझे मिला कर चार लोग हैं। और, मुझे कहीं से कोवीशील्ड के तीन डोज़ मिल जाएं तो मैं क्या करूंगा? यह सवाल था…मेरे एक परिचित का, जो 80 साल के हैं। मेरे चुप रहने पर जवाब भी उन्होंने खुद दिया, “अरे, सबसे पहले मैं अपने 18 साल के पौत्र को वैक्सीन लगवाऊंगा। फिर बाकी की दो बेटे और बहू को। रही बात मेरी तो मुझे क्या? 80 बसंत देख चुका हूं। 81वां न सही।”
इतना कह कर वह सरकारी नीतियों को कोसने लगे कि पहले मरघटी बुड्ढे वैक्सीन पाएंगे, फिर अधेड़ और बाद में युवा। “क्या वक्त आ गया है। देश के नेता भविष्य सुरक्षित करने की बजाए मेरे जैसे भूतों को सुरक्षित करना चाहते हैं।” उनके लिए खुशी की बात है। सरकार ने वैक्सीन के लिए उम्र की सीमा खत्म कर दी है। अब 18 साल की उम्र वाले भी वैक्सीन लगवा सकेंगे। खुशी की बात विपक्ष, खासतौर पर कांग्रेस के लिए भी है। सोनिया और राहुल लगातार वैक्सीन की उम्र सीमा घटाने की मांग कर रहे थे। शायद यह पहला मौका है जब सरकार ने विपक्ष की सलाह पर अमल कर डाला है। सच तो यह है कि सरकार एक के बाद एक, विपक्ष की कई सलाहें मान रही है। माना जा सकता है कि स्वास्थ्य मंत्री के मखौल के बाद भी सरकार डॉ मनमोहन सिंह की पांचों सलाह मान लेगी।
विपक्ष की एक मांग विभिन्न शिक्षा बोर्डों की दसवीं और बारहवीं की परीक्षाओं को लेकर थी। यह भी मान ली गई। सीबीएसई और आइसीएसई बोर्ड की दसवीं की परीक्षाएं रद्द हो गई हैं। बारहवीं के लिए बाद में निर्णय लिया जाएगा। यूपी बोर्ड ने भी परीक्षाएं स्थगित कर दी हैं। राहुल गांधी ने इसी तरह रूसी वैक्सीन स्पुतनिक को अनुमति देने की गुज़ारिश की थी। न सिर्फ उनकी यह मांग मान ली गई वरन् अन्य विदेशी वैक्सीनों का रास्ता भी खोल दिया गया।
भले ही सरकार ने यह तमाम फैसले अपनी तरह किए हों, लेकिन विपक्ष तो सेलीब्रेट करेगा ही क्योंकि फैसले उसकी मांग के बाद ही लिए गए। कांग्रेस ने बंगाल में हो रही बड़ी-बड़ी रैलियों का भी विरोध करती आई है। लेकिन, उमड़ती भीड़ के कारण उत्साहित भाजपा ऐसा कर पाने में असमर्थ रही। कांग्रेस ने दूसरा तिकड़म भिड़ाया। राहुल गांधी ने बंगाल में कोई भी रैली न करने की घोषणा कर दी। उसके बाद ममता ने अपनी रैलियों का समय 30 मिनट तक सीमित कर दिया। अंततः भाजपा को भी हरकत में आना पड़ा। उसने रैलियों में उपस्थिति 500 तक सीमित रखने की घोषणा कर दी।
सरकार को इसी तरह विपक्ष की मांग के बाद रेमडिसिविर आदि दवाओं का प्रोडक्शन बढ़ाने के निर्देश देने पड़े हैं। यह एक सलाह मनमोहन सिंह ने भी दी है। वहीं, कोरोना काल में कांग्रेस और टीएमसी को छोड़ ज्यादातर विपक्ष खामोश ही रहा है। अखिलेश यादव भी शायद बीमार होने के कारण चुप हैं। मायावती का एक ट्वीट ज़रूर कुछ दिन पहले आया था।
• No free vaccines for 18-45 yr olds.
• Middlemen brought in without price controls.
• No vaccine guarantee for weaker sections.
GOI’s Vaccine Discrimination- Not Distribution- Strategy!
— Rahul Gandhi (@RahulGandhi) April 20, 2021
प्रवासी एक बार फिर पलायन कर रहे हैं। ऐसे में केंद्र सरकार की ज़िम्मेदारी है कि उनके बैंक खातों में रुपय डाले।
लेकिन कोरोना फैलाने के लिए जनता को दोष देने वाली सरकार क्या ऐसा जन सहायक क़दम उठाएगी?#Lockdown
— Rahul Gandhi (@RahulGandhi) April 20, 2021