Coronavirus/COVID-19 Crisis and Second Wave in India: कोरोना संकट के बीच ब्रिटिश समाचार एजेंसी Reuters ने लाशों से जुड़ी कुछ तस्वीरें जारी की हैं।
ये फोटो उत्तर प्रदेश के प्रयागराज (पहले इलाहाबाद) और उसके आस-पास के इलाकों के हैं, जिनमें गंगा नदी के किनारे ढेर सारे शव रेती वाले इलाके में दफ्न नजर आ रहे थे। माना जा रहा है कि इनमें से ज्यादातर की मौत कोरोना वायरस की वजह से हुई है। जैसे ही ये तस्वीरों सामने आईं, तो लोग सोशल मीडिया प्लैटफॉर्म्स पर इन्हें शेयर करने लगे और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को कोसने लगे। पत्रकार और फिल्मकार विनोद कापड़ी ने फोटोज शेयर करते हुए लिखा- “Proud Hindu, हिंदू पहचान, गर्व से कहो हिंदू हैं, राष्ट्रहित सर्वोपरि” जैसे नामों से बने तमाम टि्वटर हैंडल और फेसबुक वाले कायर देख लें कि तुम्हारे हिंदू हृदय सम्राट के राज्य में हिंदुओं की हालत क्या है? चुल्लू भर में पानी ढूंढ लो कहीं। चले आते हैं हिंदू हित की बात करने।”
नील कमल ने एफबी पोस्ट में लिखा, “कहां छुप गए हिंदू के पैरोकार? क्या संवेदनशीलता मर गई? मैं समझ सकता हूं तुम्हारी खामोशी की वजह, तुम इस लाश पर सांप्रदायिकता का चादर नहीं ओढ़ा पाए क्योंकि लाश भगवा रंग के कफन से खुद को ओढ़ी ‘अग्नि संस्कार’ को जो तरस रही है…काश! इन दफनाई लाशों के बीच जाकर एक लाश बनकर ही सही एक बार सत्ता के लिए वोट तो मांग लेते, यकीन से कहता हूं ये दफन हुई लाश भी तुम्हें निराश नहीं करते…धिक्कार है।”
डिजिटल पत्रकार सुनीत सिंह राठौर ने तंज कसते हुए कहा, “इलाहाबाद में गंगा किनारे शव जलाए जाते थे। प्रयागराज में हिंदुओं की लाशें दफन हो रही हैं।” प्रयागराज से लगे फाफामऊ में गंगा किनारे रेती वाले इलाके में दफ्न लाशों में अधिकतर कोरोना वायरस संक्रमण से मरने वाले बताए जा रहे हैं। रॉयटर्स के लिए ये तस्वीरें अपने कैमरे में रितेश शुक्ला नाम के फोटो पत्रकार ने कैद कीं।
टि्वट पर @manish_algomuse के हैंडल से लिखा गया, “रॉयटर्स द्वारा जारी की गईं ये तस्वीरें डराने वाली हैं। तस्वीर फाफामऊ की है, जो कि मेरे घर से तीन किमी दूर है। कोरोना से पहले देखने पर यह पुल हमेशा सुकून देता था। वहां ढलता सूरज और गंगा नदी नजर आती थी, पर अब का हाल दिल तोड़ने वाला है।”
@pzfahad ने कहा कि यह तस्वीरें बताती हैं कि यूपी में कोरोना वायरस संकट की क्या स्थिति है। @brajeshlive ने इन्हीं में से एक तस्वीर ट्वीट करते हुए लिखा, “प्रयागराज की ये अकेली तस्वीर कोरोना की त्रासदी का वर्णन करने को पर्याप्त है। अनगिनत लोग मारे गए। गंगा जी की रेती मे रामनामी के साथ दफ़न ये लाशें प्रमाण है यूपी मे तबाही की। अफ़सोस है की अंतिम विदाई भी सम्मान से नहीं मिली। इनमें किसी का पिता, बेटा, माँ, बहन, पत्नी है। किसी के साथी।” ने कहा- ये आज का प्रयागराज है जो कभी इलाहाबाद हुआ करता था, ये शहर जब इलाहाबाद था तब ऐसा नहीं था। हिंदू पहली बार इतना अधिक ख़तरे में कि उसकी लाश को हिंदू रीति रिवाजों के अनुसार अंतिम संस्कार तक नसीब नहीं हो रहा। भाजपा से सवाल पूछते रहना।
@SanjayS75429578 के हैंडल से कहा गया, “प्रयागराज जैसे तीर्थ स्थल में लाश को गंगा किनारे दफनाना, यह कोरोना नहीं हत्या है। दफनाने का रिवाज सनातन संस्कृति में नहीं, अन्य मजहब में है। ऐसा करके देश में दंगे फैलाने की कोशिश कर रहे हैं और मोदी और योगी को बदनाम अलग से कर रहे हैं।” @preeti_chobey ने कहा- ये नाइजीरिया नहीं! यूपी में इस जगह को अब प्रयागराज कहते हैं!साहेब इलाहाबाद ऐसा ना था! गंगा जी में पानी आते ही योगी का झूठ लाश बनकर तैरने लगेगा..! यूपी मांगे सपा सरकार।
गंगा के पास बहते शवों को लेकर कहा जा रहा है कि लकड़ियों-पैसों के अभाव और अन्य कारणों से लोग लाशों को रेती में दफना रहे हैं। हालांकि, कई जगह बारिश होने या हवा चलने के बाद रेत हट गई और लाशों के ढेर कुछ इसी तरह सामने आकर महामारी के दौर की कहानी बयान करने लगे। ये तस्वीरें ऐसे वक्त पर वायरल हो रही हैं, जब शनिवार (22 मई, 2021) को सीएम योगी ने दावा किया था कि राज्य कोविड-19 के खिलाफ अपनी लड़ाई में सफलतापूर्वक आगे बढ़ रहा है।
टीकाकरण कार्यक्रम के बारे में योगी ने बताया कि राज्य ने अब तक 1.62 करोड़ टीके की खुराक दी हैं। उन्होंने कहा, “जल्द ही हम पूरे उत्तर प्रदेश में नए ऑक्सीजन संयंत्र स्थापित करेंगे ताकि आने वाले समय में राज्य को ऑक्सीजन की कमी का सामना न करना पड़े।”
वैसे, कुछ रोज पहले भी योगी ने कहा था कि बिना इलाज के दूसरे राज्यों में लोग मर रहे होंगे, पर यूपी में ऐसे हालात नहीं हैं। सूबे में स्थिति काबू में है, जबकि जमीनी हकीकत यह है कि यूपी के कई गांवों में कोरोना दस्तक दे चुका है और कुछ जगह खांसी और बुखार के बाद लोगों की जानें भी गई हैं।