कोरोना संकट और चौथे चरण के लॉकडाउन के बीच कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने मोदी सरकार पर निशाना साधा है। मंगलवार को एक वीडियो संदेश में उन्होंने कहा कि ‘भारत विश्व में एकमात्र ऐसा देश है जो लॉकडाउन तब हटा रहा है जब वायरस के मामले अत्यधिक बढ़ रहे हैं।’ राहुल के मुताबिक, “यह पूरी तरह साफ है कि लॉकडाउन का मकसद और लक्ष्य भारत में विफल हो गया है। लॉकडाउन के चार चरणों ने वे परिणाम नहीं दिए जिनकी प्रधानमंत्री उम्मीद कर रहे थे।”

राहुल गांधी ने सवाल उठाते हुए कहा कि “बीमारी तेजी से फैल रही है। ऐसे में प्रधानमंत्री को बताना चाहिए कि आगे कोरोना संकट से निपटने और जरूरतमंदों को मदद देने की उनकी रणनीति क्या है? लॉकडाउन को आप किस तरह से देखते हैं? गरीबों, मजदूरों और एमएसएमई की कैसे मदद करेंगे?” अपनी पुरानी मांग दोहराते हुए यह भी कहा कि गरीबों और मजदूरों को 7500 रूपये की मदद दी जाए और राज्य सरकारों को केंद्र की तरफ से पूरी मदद मिले।

गांधी ने वीडियो कांफ्रेंस के माध्यम से संवाददाताओं से कहा, ‘‘कुछ सप्ताह पहले प्रधानमंत्री ने कहा था कि हम 21 दिनों में कोविड को पराजित कर देंगे। यह उनकी उम्मीद थी। लेकिन आज मामले लगातार बढ़ रहे हैं।’’ उन्होंने दावा किया, ‘‘चार चरण के लॉकडाउन हो गए और 60 दिन हो गए। भारत पहला देश है जो बीमारी के बढ़ने पर लॉकडाउन हटा रहा है। यह स्पष्ट है कि भारत का लॉकडाउन विफल हुआ हैं । जो लक्ष्य मोदी जी का था, वह पूरा नहीं हुआ है।’’

राहुल गांधी ने कहा, ‘‘हम कांग्रेस शासित राज्यों में गरीबों और किसानों को पैसे दे रहे हैं। लेकिन केंद्र सरकार की ओर से उचित मदद के बिना राज्य अपना कामकाज नहीं कर सकते।’’

सरकार के 20 लाख करोड़ रुपये के आर्थिक पैकेज को लेकर उन्होंने दावा किया कि यह जीडीपी के एक प्रतिशत से भी कम है और उसमें भी ज्यादातर कर्ज है, नकद सहायता बहुत कम है। एक सवाल के जवाब में कांग्रेस नेता ने कहा, ‘‘ एक राष्ट्रीय नेता के रूप में यह कहना खेदजनक है लेकिन कहना चाहता हूं कि अगर मदद नहीं मिली तो एमएसएमई दिवालिया हो जाएंगे, लोग बेरोजगार हो जाएंगे। इसलिए हम इस बात पर जोर दे रहे हैं कि एमएसएमई इकाइयों और गरीबों को आर्थिक सहायता की आवश्यकता है। अगर ऐसा नहीं किया गया तो यह घातक होगा।’’

कांग्रेस नेता ने यह दावा भी किया कि सरकार के नीति निर्धारक अंतरराष्ट्रीय एजेंसियों द्वारा भारत की रेटिंग कम करने की चिंता को देखते हुए लोगों को नकद सहायता नहीं दे रहे हैं। उन्होंने कहा, ‘‘मैं इस बात को दोहरा रहा हूं कि हिंदुस्तान की शक्ति बाहर से नहीं, बल्कि देश के भीतर से बनती है। जब देश मजबूत होता है, तब हमारी छवि बनती है। इसके लिए हमारे 50 प्रतिशत गरीब परिवारों को 7500 रुपये मासिक की मदद देनी होगी।’’

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