नौ दिसंबर को पारित आदेश में न्यायमूर्ति सिंह ने कहा, “मुझे लगता है कि अभियोजन पक्ष के गवाह संख्या चार (सहायक उपनिरीक्षक सुनील) की गवाही की विश्वसनीयता पर गंभीर संदेह है और केवल उनकी गवाही पर भरोसा करके आरोपियों को उन अपराधों के लिए दोषी ठहराना विवेकपूर्ण नहीं होगा, जिनके लिए उन पर आरोप लगाया गया है।”