हिंदी सिनेमा के सुपर स्टार शाहरुख खान के पिता मीर ताज मोहम्मद जाने-माने स्वतंत्रता सेनानी थे। कांग्रेस में उनके कई करीबी दोस्त थे। लेकिन आजादी के बाद जब चुनाव लड़ने का मौका आया तो उन्होंने कांग्रेस के ही एक दिग्गज के खिलाफ पर्चा भर दिया।

आज़ादी के बाद हुए दूसरे आम चुनाव (1957) में ताज मोहम्मद ने गुड़गांव लोकसभा क्षेत्र से कांग्रेस के मौलाना अबुल कलाम आज़ाद के खिलाफ निर्दलीय चुनाव लड़ा था। शाहरुख के पिता को बुरी हार मिली थी। उन्हें एक भी वोट नहीं मिला था। भारत के पहले शिक्षा मंत्री रहे अबुल कलाम आज़ाद चुनाव जीत गए थे। दूसरे नंबर पर जनसंघ के उम्मीदवार मूल चंद रहे थे।  

उम्मीदवारवोटवोट प्रतिशतपार्टी
मौलाना अबुल कलाम आज़ाद191,22166.7%कांग्रेस
मूल चंद95,55333.3%भारतीय जनसंघ
ताज मोहम्मद00.0%निर्दलीय
गुड़गांव लोकसभा चुनाव 1957 के परिणाम

दिलचस्प है कि शाहरुख खान के पिता ने जिस ‘गांधीवादी मौलाना’ के खिलाफ चुनाव लड़ा था, वह हिंदी सिनेमा के एक अन्य सुपर स्टार आमिर खान के पूर्वज थे। मौलाना अबुल कलाम आज़ाद आमिर खान के ग्रेट ग्रैंड अंकल (आमिर खान की दादी मौलाना आज़ाद की भतीजी थीं) के थे। विस्तार से पढ़ने के लिए फोटो पर क्लिक करें:

Aamir Khan
खिलाफत आन्दोलन के अगुआ थे मौलाना आज़ाद

शाहरुख के पिता को पाकिस्तान ने कर दिया था ब्लैकलिस्ट

ताज मोहम्मद ‘सीमांत गांधी’ के नाम से चर्चित राष्ट्रवादी नेता खान अब्दुल गफ्फार खान के अनुयायी थे। अंग्रेजों को देश से खदेड़ने के लिए मोहनदास करमचंद गांधी (महात्मा गांधी) द्वारा शुरू किए गए ‘भारत छोड़ो आंदोलन’ में ताज मोहम्मद ने बढ़ चढ़कर हिस्सा लिया था। वह कई बार जेल भी गए।

पेशावर में पले-बढ़े ताज मोहम्मद ने आज़ादी से एक साल पहले कानून की पढ़ाई के लिए दिल्ली विश्वविद्यालय में दाखिला लिया था। 1947 में भारत-पाकिस्तान विभाजन के साथ देश को आजादी मिली, तब ताज मोहम्मद दिल्ली में ही थे। कारवां में प्रकाशित इरम आग़ा की रिपोर्ट के मुताबिक, विभाजन के तुरंत बाद पाकिस्तान सरकार ने खान अब्दुल गफ्फार खान के अनुयायियों को ब्लैकलिस्ट कर दिया और ताज मोहम्मद घर नहीं लौट सके। वह दिल्ली में ही रहे। कानून की पढ़ाई तो पूरी की लेकिन कभी पेशेवर वकील नहीं रहे।

शाहरुख के पिता को फिल्मों ने नहीं मिला था काम

शाहरुख खान ने भले ही बॉलीवुड पर राज किया हो, लेकिन उनके पिता बंबई (अब मुंबई) से बैरंग लोटे थे। सिनेमा में काम पाने की चाहत में ताज मोहम्मद मायानगरी में खूब भटके थे। उन्होंने के॰ आसिफ़ की मुगल-ए-आज़म फिल्म में रोल पाने की कोशिश की थी लेकिन सफलता नहीं मिली। निराश होकर वह दिल्ली लौट आए। इरम आग़ा अपनी रिपोर्ट में बताती हैं कि उन्होंने कई व्यवसायों में हाथ आजमाया और असफल हुए। कुछ समय के लिए उन्होंने NSD (राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय) में कैंटीन भी चलाया था। शाहरुख के पिता की साल 1981 में कैंसर से मृत्यु हुई थी।

फिल्म समीक्षक अनुपमा चोपड़ा ने शाहरुख खान की जीवनी लिखी है। अपने पिता को याद करते हुए शाहरुख ने चोपड़ा को बताया है कि “वह इतने ईमानदार थे कि कभी अमीर नहीं हो सके।”

इंदिरा गांधी की करीबी थीं शाहरुख खान की मां

शाहरुख खान के पिता भले ही साधारण पृष्ठभूमि से आते हों लेकिन उनकी मां फातिमा लतीफ का खानदान बहुत रईस था। वह प्रथम श्रेणी की मजिस्ट्रेट और कांग्रेस के दिग्गज नेताओं की करीबी थीं, जिसमें इंदिरा गांधी का नाम भी शामिल है। फातिमा ने इंग्लैंड के ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी से पढाई की थी। विस्तार से पढ़ने के लिए फोटो पर क्लिक करें:

Shahrukh Khan
शाहरुख खान के पिता मीर ताज मोहम्मद खान और मां फातिमा लतीफ (Photo: YouTube/ Simi Garewal)

फातिमा लतीफ का निधन मधुमेह के कारण होने वाले सेप्टीसीमिया से हुआ था।