बढ़ता मोटापा ना सिर्फ शरीर को भद्दा और मोटापा दिखाता है बल्कि ये शारीरिक और मानसिक रूप से भी बीमार बनाता है। अधिक वजन प्रजनन और श्वसन क्रिया से लेकर याददाश्त और मूड तक को प्रभावित करता है। मोटापा मधुमेह, हृदय रोग और कुछ कैंसर सहित कई घातक बीमारियों का जोखिम बढ़ा सकता है। मोटापा को कंट्रोल नहीं किया जाए तो ये तनाव का कारण भी बनता है। बढ़ता मोटापा की वजह से कई क्रॉनिक बीमारियों का जोखिम बढ़ सकता है।

वजन को कंट्रोल किया जाए तो मोटापा के जोखिम से बचा जा सकता है। मोटे लोगों के लिए उनके वजन से 5-10 किलों वेट लॉस करना भी उनकी सेहत को फायदा पहुंचा सकता है। भले ही मोटापा के शिकार लोग आदर्श वजन हासिल नहीं कर सकें लेकिन वो मोटापा की वजह से होने वाले जोखिम से बच सकते हैं। आइए जानते हैं कि मोटापा की वजह लोगों को कौन-कौन सी बीमारियों का जोखिम बढ़ता है।

बढ़ सकता है दिल के रोगों का खतरा:

शरीर का वजन दिल के कई रोगों के कारकों से जुड़ा होता है। जैसे-जैसे बीएमआई बढ़ता है, वैसे-वैसे ब्लड प्रेशर, खराब कोलेस्ट्रॉल, रक्त शर्करा और सूजन में वृद्धि होती है। ये परिवर्तन कोरोनरी हृदय रोग, स्ट्रोक, और हार्ट अटैक के जोखिम को बढ़ाता है।

डाइबटीज और ब्लड प्रेशर का खतरा बढ़ता है:

जिन लोगों का मोटापा बढ़ता है उन्हें डायबिटीज और हाई ब्लड प्रेशर की बीमारी का खतरा अधिक होता है। एक्सपर्ट के मुताबिक टाइप 2 डायबिटीज के 80 फीसदी मरीजों की हिस्ट्री में मोटापा शामिल है। डाइबीटिज और हाइपरटेंशन का क्लोजिंग रिलेशन है। यदि डाइबीटिज है तो अधिक संभावना है कि ब्लड प्रेशर भी हाई रह सकता है।

किडनी की परेशानी हो सकती है:

मोटापा अधिक होने पर किडनी की कार्यक्षमता भी प्रभावित होती है। किडनी को अतिरिक्त काम करना पड़ता है। जब किडनी सही ढंग से ब्लड को प्यूरीफाई नहीं कर पाती तो किडनी फेल होने का खतरा बढ़ सकता है।

मोटापा बढ़ा सकता है अस्थमा का खतरा:

मोटापे की वजह से अस्थमा की बीमारी का खतरा भी बढ़ सकता है। अमेरिकन लंग एसोसिएशन की एक रिपोर्ट के अनुसार सीने और पेट के आसपास अधिक चर्बी और वजन की वजह से फेफड़े संकुचित हो जाते हैं और ऐसे में व्यक्ति को सांस लेने में तकलीफ होती है। अतिरिक्त फैट फेफड़ों को ट्रिगर करने का काम करता है और अस्थमा का कारण बन सकता है।