लोकसभा चुनाव में बीजेपी को चुनौती दे रही कांग्रेस के उम्मीदवार एक के बाद एक मैदान से हट रहे हैं। इससे बीजेपी को ही फायदा हो रहा है। कहीं फंड की कमी से प्रत्याशी ने चुनाव लड़ने से इनकार कर दिया तो कहीं प्रस्तावकों के हस्ताक्षर नहीं मिलने से नाम खारिज हो गया। एक जगह प्रत्याशी ने बिना किसी बड़ी वजह के पीछे हट गये। कांग्रेस ने इसे बीजेपी की चाल बताई। कांग्रेस को पहला धक्का गुजरात के सूरत में मिला था। यहां पर पार्टी के उम्मीदवार नीलेश कुंभाणी के नामांकन पत्र को कथित तौर पर हस्ताक्षर में विसंगति होने पर खारिज कर दिया गया था। खुद प्रस्तावकों ने हलफनामा देकर अपने हस्ताक्षर नहीं होने की बात स्वीकारी थी। हस्ताक्षर में ऐसी खामी क्यों मिली यह भी रहस्य बना हुआ है।
इंदौर में विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने एक भी सीट नहीं जीती थी
दूसरा धक्का इंदौर में लगा। वहां पर पार्टी के प्रत्याशी अक्षय कांति बम ने अपना नामांकन वापस ले लिया था। उनके बारे में ऐसा कहा गया कि वे बीजेपी के दबाव में आकर नाम वापस ले लिये। यह भी कहा गया कि वह बीजेपी में शामिल हो रहे हैं। हालांकि इंदौर सीट पर कांग्रेस पार्टी को कमजोर बताया जा रहा था। पिछले विधानसभा चुनाव में यहां से एक भी सीट कांग्रेस नहीं जीत सकी थी। ऐसे में तय माना जा रहा था कि जीत बीजेपी की ही होगी। अब कांग्रेस प्रत्याशी के नाम वापस ले लेने से बीजेपी की राह और आसान हो गई। हालांकि कांग्रेस ने अपने बयान में कहा कि बीजेपी की घबराहट का संकेत है। इसलिए वह जीत के लिए दूसरे दलों के प्रत्याशी को जबरन बैठने को विवश कर रही है।
पुरी में प्रत्याशी ने कहा- शीर्ष नेताओं ने नहीं सुनीं पैसे न होने की बात
ताजा धक्का ओडिशा के पुरी से मिला है। यहां पर कांग्रेस प्रत्याशी सुचरिता मोहंती ने शुक्रवार को चुनाव लड़ने से इनकार कर दिया। उन्होंने कहा कि पार्टी से फंड न मिलने से चुनाव लड़ना मुश्किल हो गया है। इसलिए उन्होंने टिकट लौटा दिया। उन्होंने कहा कि वह शीर्ष नेताओं से पैसे की मांग की थी, लेकिन कुछ भी नहीं मिला। ऐसे में चुनाव प्रचार संभव नहीं था। पुरी लोकसभा सीट से बीजेपी ने अपने राष्ट्रीय प्रवक्ता संबिता पात्रा और बीजू जनता दल (बीजद) ने मुंबई पुलिस के पूर्व आयुक्त अरुप पटनायक को चुनाव मैदान में उतारा है।
कांग्रेस के पूर्व सांसद ब्रजमोहन मोहंती की बेटी सुचरिता ने शुक्रवार को कांग्रेस महासचिव के.सी. वेणुगोपाल को एक ईमेल भेजा, जिसमें उन्होंने दावा किया कि पुरी लोकसभा क्षेत्र में उनका प्रचार अभियान बुरी तरह प्रभावित हुआ है। उन्होंने आरोप लगाया कि कांग्रेस के ओडिशा प्रभारी अजॉय कुमार ने स्पष्ट रूप से उनसे अपने दम पर चुनाव लड़ने को कहा है। सुचरिता ने कहा, ”मैं एक वेतनभोगी पेशेवर पत्रकार थी और 10 वर्ष पहले चुनावी राजनीति में प्रवेश किया था। मैंने पुरी में प्रचार अभियान में अपना सबकुछ झोंक दिया। मैंने प्रगतिशील राजनीति के लिए अपने प्रचार अभियान के समर्थन में चंदा अभियान चलाने की भी कोशिश की लेकिन अब तक कोई खास सफलता नहीं मिली है। मैंने अनुमानित अभियान खर्च को कम से कम रखने की भी पूरी कोशिश की।”
फिलहाल बीजेपी के खिलाफ जोरशोर से मैदान में उतरने का दावा कर रही कांग्रेस पार्टी के लिए हालात चिंताजनक बनते जा रहे हैं। गठबंधन की वजह से पार्टी पहले ही सभी सीटों पर मैदान में नहीं है, ऐसे में इस तरह प्रत्याशियों के चुनाव से हटने से नुकसान बढ़ते जा रहे हैं।