मुंबई क्रिकेट संघ (एमसीए) बोर्ड के ढांचे में बदलाव संबंधी जस्टिस (रिटायर्ड) आरएम लोढ़ा की सिफारिशों को लागू करने में होने वाली दिक्कतों को लेकर सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर करेगा। एमसीए के अध्यक्ष भारतीय क्रिकेट नियंत्रण बोर्ड (बीसीसीआइ) के पूर्व अध्यक्ष शरद पवार हैं।

एमसीए की प्रबंध समिति की बैठक में यह फैसला लिया गया। एमसीए के संयुक्त सचिव पीवी शेट्टी और उमेश खानविलकर ने यह जानकारी दी। मीडिया को जारी बयान में कहा गया है, ‘मुंबई क्रिकेट संघ की प्रबंध समिति की बैठक में यह सर्वसम्मति से तय किया गया कि लोढा समिति की सिफारिशों को लागू करने में होने वाली दिक्कतों को लेकर सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की जाएगी।

सदस्यों ने सर्वसम्मति से संयुक्त मानद सचिवों और उपाध्यक्ष आशीष शेलार को कानूनी सलाह लेकर न्यायालय में याचिका दायर करने के लिए अधिकृत किया।’ लोढा समिति के ‘एक राज्य एक वोट’ सुझाव का असर एमसीए पर पड़ेगा चूंकि महाराष्ट्र में बीसीसीआइ की चार मान्य ईकाइयां एमसीए, पुणे स्थित महाराष्ट्र क्रिकेट संघ, नागपुर स्थित विदर्भ क्रिकेट संघ और मुंबई स्थित क्रिकेट क्लब आफ इंडिया है। लोढा समिति ने 70 साल से अधिक उम्र के व्यक्ति को बीसीसीआइ पदाधिकारी नहीं बनाने का सुझाव दिया है, जबकि एमसीए अध्यक्ष पवार 74 बरस के हैं।

बीसीसीआइ ने 19 फरवरी को हुई बैठक में सर्वसम्मति से फैसला लिया था कि वह जस्टिस लोढा समिति की सिफारिशों को लागू करने में होने वाली ‘कठिनाइयों और असंगतियों’ को लेकर सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दाखिल करेगा। बीसीसीआइ की आमसभा की विशेष बैठक में यह तय किया गया था कि बोर्ड की ओर से न्यायालय में हलफनामा सचिव अनुराग ठाकुर दाखिल करेंगे। लोढा समिति ने बीसीसीआइ में व्यापक बदलावों का सुझाव दिया है। इसमें प्रति राज्य एक वोट, अधिकारियों की आयुसीमा, राज्य और राष्ट्रीय ईकाई में एक साथ पद नहीं, प्रसारित क्रिकेट मैचों में विज्ञापनों का समय सीमित करना शामिल है।

बीसीसीआइ ने बैठक के बाद जारी बयान में कहा था, ‘सदस्यों ने बोर्ड के मानद सचिव को बीसीसीआइ की ओर से सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दाखिल करने के लिए अधिकृत किया है। इसमें बताया जाएगा कि माननीय जस्टिस लोढा समिति के सुझावों को लागू करने में क्या दिक्कतें और असंगतियां हैं।’

समझा जाता है कि बीसीसीआइ ने राज्य संघों से कहा है कि वे इस संबंध में अलग हलफनामा दाखिल कर सकते हैं। सौराष्ट्र क्रिकेट संघ पहले ही न्यायालय जाने का फैसला कर चुका है।