बिहार में नई सरकार को सत्ता संभाले अभी कुछ ही समय हुआ है, लेकिन एक के बाद एक जघन्य वारदात से आम लोग सहम गए हैं। हत्या की लगातार घटनाओं से ऐसा लगता है कि एक नया ‘जंगलराज’ अपने पांव पसार रहा है। जबकि चुनाव से ठीक पहले राजग गठबंधन ने पुराने कथित जंगलराज का बार-बार हवाला देकर अपराधमुक्त बिहार बनाने का दावा किया था और कहा था कि राज्य में अपराधियों के लिए अब कोई जगह नहीं है। बावजूद इसके अगर अपराध बेलगाम दिख रहा है, तो इसकी क्या वजह है?
राज्य के अररिया जिले में बुधवार को एक युवा शिक्षिका की हत्या से कानून व्यवस्था की स्थिति का अंदाजा लगाया जा सकता है। बच्चों को पढ़ाने विद्यालय जा रही शिक्षिका की बीच सड़क पर रोक कर मोटरसाइकिल सवार बदमाशों ने गोली मार कर हत्या कर दी। खबरों के मुताबिक, शिक्षिका को पहले से ही धमकाया जा रहा था। बिहार की नीतीश कुमार के नेतृत्व वाली सरकार अपने महिला हितैषी होने का दावा बढ़-चढ़ कर करती रही है। मगर शिक्षिका की हत्या के बाद राज्य में महिलाओं की सुरक्षा का सवाल फिर कठघरे में है।
राज्य में अपराधों के ग्राफ में तेजी से हो रही बढ़ोतरी
गौरतलब है कि राज्य के नए गृहमंत्री सम्राट चौधरी ने हाल ही में कहा था कि बिहार अपराधियों के लिए नहीं है और उन्हें राज्य छोड़कर जाना होगा। मगर अपराधियों ने कानून-व्यवस्था पर जिस तरह चोट किया है, उससे साफ है कि उनमें कानून का खौफ नहीं है। बीते एक पखवाड़े के दौरान राज्य में पैंतालीस से ज्यादा हत्या की खबरें आईं। पटना और गया से लेकर अररिया और सीवान सहित कई जिलों में जघन्य वारदात हुई।
राज्य सरकार के मंत्री जिस तरह अपराधियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करने और उनको सलाखों के पीछे भेजने के दावे कर रहे थे, वह एक तरह से खोखला नजर आ रहा है। सुशासन के दावों के उलट राज्य में न केवल अपराधों के ग्राफ में तेजी से बढ़ोतरी हो रही है, बल्कि अपराधी भी बेखौफ हो गए दिखते हैं। सवाल है कि चुनावों के दौरान जंगलराज की याद दिला कर लोगों को अपना समर्थन करने के लिए प्रेरित करने वाले दल आखिर बेलगाम अपराध और अराजकता को कैसे परिभाषित करते हैं!
