दिल्ली की पत्रकार सौम्या विश्वनाथन मामले के 15 साल बाद दिल्ली की साकेत कोर्ट आज फैसला सुनाने वाली है। इस केस में 2009 में आरोपियों की गिरफ्तारी हुई थी। हालांकि इस मामले में अदालत को सबूत पेश करने में अभियोजन पक्ष को 13 साल से अधिक समय लग गया। यह केस फरवरी 2010 में शुरू हो गया। आज फैसला आने के बाद यह केस बंद हो सकता है। 2008 में हुए इस हत्याकांड ने दिल्ली समेत पूरे देश के लोगों को हैरान होने पर मजबूर कर दिया था। इस आर्टिकल में हम आपको बताएंगे कि 15 साल पहले दिल्ली की पत्रकार सौम्या विश्वनाथन के साथ आखिर क्या हुआ था?
दफ्तर से घर जा रही थीं सौम्या
सौम्या विश्वनाथन हेडलाइंस टुडे चैनल की स्टार पत्रकार थीं। रिपोर्ट के अनुसार, नाइट शिफ्ट के बाद सौम्या अपने घर के लिए निकली थीं। वे दक्षिण दिल्ली के वसंत कुंज इलाके में अपनी कार में मृत पाई गईं थीं। शुरु में लगा था कि यह एक कार एक्सीडेंट है। हालांकि फॉरेंसिक रिपोर्ट से पता चला था कि उनकी मौत सिर में गोली लगने के कारण हुई है। इसके बाद हत्या की जांच शुरू हो गई।
पुलिस जांच में यह बात सामने आई थी कि वे ऑफिस से घर लौट रही थीं। उनका मैरून रंग की कार से पीछा किया जा रहा था। पुलिस के अनुसार, शायद गोली किसी चलती हुई कार से चलाई गई थी।
सीसीटीवी फुटेज से पता चला था कि एक मैरून रंग की कार उनका पीछा कर रही थी। इसके बाद मुंबई से क्राइम ब्रांच की टीम को बुलाया गया। सबूत इकट्ठा करने के लिए इलाके में तलाशी अभियान चलाया गया।
दोनों ही हत्याओं में मैरून रंग की कार का इस्तेमाल
इसी बीच 2009 में दिल्ली पुलिस ने दो संदिग्धों रवि कपूर और अमित शुक्ला को जिगिशा घोष मर्डर केस में गिरफ्तार किया। उन्होंने पूछताछ के दौरान उन्होंने सौम्या की हत्या की बात भी कबूल कर ली। उनके लिए सौम्या को मारना एक रोमांचक काम था। जांच में यह बात भी सामने आई कि दोनों ही हत्याओं में मैरून कार का इस्तेमाल किया गया था।
16 नवंबर 2010 को साकेत कोर्ट में शुरू हुई सुनवाई
जून 2010 में दिल्ली पुलिस ने इस मामले में रवि कपूर, अमित शुक्ला, बलजीत मलिक और अजय सेठी के खिलाफ एक आरोप पत्र दायर किया। इसके बाद सौम्या हत्याकांड मुकदमे की कार्यवाही 16 नवंबर 2010 को साकेत कोर्ट में शुरू हुई। इस केस में लंबी सुनवाई हुई। इसके बाद हत्यारों की बंदूक से गोलियों के मिलान, सीसीटीवी फुटेज, आरोपी के कबूलनामे और फॉरेंसिक रिपोर्ट प्रमुख सबूत के रूप में पेश किए गए।
हालांकि बचाव पक्ष में दबाव में हत्या की बात कबूल करने और फॉरेंसिक सबूत की विश्वसनीयता को लेकर तर्क दिया। इसके बाद 19 जुलाई 2016 को साकेत कोर्ट ने मामले में सुनवाई पूरी कर ली और अपना आदेश सुरक्षित रख लिया। तब से लेकर अब तक कई कानूनी दांव पेंच के कारण कई बार फैसला टल गया।
आज आएगा फैसला
लंबी कानूनी लड़ाई और सारे सबूतों की बारीकी से जांच करने के बाद आज यानी 18 अक्टूबर 2023 को दिल्ली की साकेत कोर्ट चारों आरोपियों के खिलाफ फैसला आएगा। जिसका सभी को इंतजार है।