रवि कुमार छवि
ऑस्ट्रेलिया के बल्लेबाज फिल ह्यूज की शेफील्ड शील्ड के एक मैच के दौरान बाउंसर लगने से मौत हो गई। फिल ह्यूज के निधन से आस्ट्रेलिया समेत पूरे क्रिकेट जगत में मातम छा गया और इस घटना ने एक नई बहस को जन्म दे दिया कि क्या आधुनिक क्रिकेट सुरक्षित है। फिल ह्यूज के बारे में कहा जाता था कि वे अभ्यास के लिए मैदान पर तो जाते ही थे, साथ ही शीशे के सामने अभ्यास करना पसंद करते थे। उनका कहना था कि इससे उनके स्ट्रोक का सही पता चल पाता है। ह्यूज ने केवल अपनी प्रतिभा के बल पर अठारह वर्ष की उम्र में प्रथम श्रेणी क्रिकेट में कदम रख दिया था।
उनके परिजनों के मुताबिक बारह वर्ष की उम्र तक ह्यूज के साथ उनकी उम्र के खिलाड़ियों ने उन्हें चुनौती देना तक छोड़ दिया था, इसलिए वे अपने से बड़ी उम्र के बच्चों के साथ खेलते थे। खेल के मैदान पर आक्रामकता और असल जिंदगी में बेहद सादगी भरे ह्यूज को आस्ट्रेलियाई लोग हमेशा एक शानदार व्यक्ति के रूप में याद रखेंगे। ह्यूज को शुरू से ही शॉर्ट पिच गेंदों को खेलने में तकलीफ होती थी। इसकी वजह से उन्हें आलोचनाओं का शिकार होना पड़ा था। इसी कारण वे कभी राष्ट्रीय टीम में स्थायी जगह नहीं बना पाए। फिल ह्यूज की बेहतरीन प्रतिभा पर कोई शक नहीं था। इसलिए यही कारण था कि मैथ्यू हेडन के संन्यास लेने के बाद सलामी बल्लेबाज के लिए फिल ह्यूज आस्ट्रेलियाई चयनकर्ताओं की पहली पंसद बन कर उभरे थे। लेकिन फार्म में उतार-चढ़ाव के कारण वे टीम से अंदर-बाहर होते रहे।
ऐसा नहीं कि फिल ह्यूज की मौत क्रिकेट के मैदान पर होने वाली कोई पहली मौत थी। दरअसल, मैदान पर यह सिलसिला तो 1870 में शुरू हो गया था, जब इंग्लिश लीग क्रिकेट के एक मैच में युवा तेज गेंदबाज जॉन प्लैट्स की तूफानी गेंद का शिकार जॉर्ज समर्स नाम के बल्लेबाज हुए थे। यह क्रिकेट इतिहास के लिए एक भयावह लम्हे की तरह था। जॉन प्लेट्स ने जैसे ही अपनी गेंद डाली, वह काफी उछाल के साथ लॉर्ड्स की पिच पर उठी और सीधे समर्स के सिर पर लग गई। चोटिल समर्स को मैदान से घर ले जाया गया, जहां चार दिनों के बाद उनकी मौत हो गई थी। इस घटना का जिक्र करना यहां इसलिए जरूरी था कि इत्तिफाक से फिलिप ह्यूज की उम्र और समर्स की उम्र में महज एक दिन का फासला था।
अब सवाल यह उठता है कि आज का क्रिकेट कितना सुरक्षित है। यों आधुनिक क्रिकेट अब बदल गया है। पहले बल्लेबाज हेलमेट नहीं पहनते थे, इसलिए उनकी रक्षात्मक शैली काफी मजबूत थी। लेकिन हेलमेट पहनने के बाद बल्लेबाज अब ज्यादा जोखिम लेने लगे हैं। यहां इस बात का जिक्र करना जरूरी है कि फिल ह्यूज का हेलमेट नया नहीं था और वह हल्का-फुल्का था। बहरहाल, अब इन सब बातों का कोई मतलब नहीं रह गया, क्योंकि विश्व क्रिकेट ने अपना एक सच्चा हीरो खो दिया, जिसकी भरपाई होने में एक लंबा वक्त लगेगा। हां, क्रिकेट के कर्ताधर्ताओं को इस घटना से सबक लेते हुए भविष्य में ऐसे किसी हादसे से बचने के लिए जरूरी कदम उठाने चाहिए।
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