कोरोना महामारी के कारण चीन ने अपने पैर ठिठका लिए हैं। नियमों में सख्ती है। यही कारण है कि चीन में लगभग तेईस हजार से ज्यादा भारतीय छात्र, कर्मचारी एवं कारोबारी फंसे हैं। उन्हें अपने देश लौटने का इंतजार है। अपने वतन की मिट्टी पर माथा रख कर उसे प्रणाम करने का इंतजार है, मगर चीन ने फिलहाल वीजा प्रकिया निलंबित कर रखी है।

भारत ने चीन की इस कठोर नीति पर निराशा जताई है। चीन में भारत के राजदूत विक्रम मिश्री के अनुसार भारत ने चीन के कारोबारियों के लिए वीजा प्रक्रिया जारी रख कर व्यापार और वाणिज्य संबंध बेहतर करने की ओर कदम बढ़ाया है, पर चीन की ओर से किसी भी तरह की उदारता का संकेत नहीं मिल रहा है।चीन को अपने देश में फंसे भारतीय नागरिकों को भारत भेजने की प्रक्रिया शुरू कर देनी चाहिए। इस कोरोना महामारी ने अपने साए में करोड़ों जिंदगियों को निगल लिया है। चीन ने भी अपने बहुत सारे नागरिक खोए हैं। सुरक्षा का मसला आवश्यक हो सकता है, पर संवेदना को भी तो नहीं मारा जा सकता है।
’अनुशांत सिंह तोमर, ग्वालियर, मप्र

भ्रष्टाचार के पांव

भ्रष्टाचार के मामले में आज स्थिति इतनी दयनीय हो चुकी है कि शिक्षा और न्याय के क्षेत्र भी इससे मुक्त नहीं माने जाते। देश के कर्णधार कहे जाने वाले नेता भ्रष्टाचार की दलदल में पहले से धंसे हुए थे। अब हर क्षेत्र में भ्रष्टाचार का प्रकोप दिखाई देता है। इसने नैतिक मूल्यों, देशभक्ति, अहिंसा और ईमानदारी आदि सबको निगल लिया है। आए दिन नकल करने, पैसे से अंक बढ़वाने और पीएचडी आदि की बिक्री के समाचार मिलते रहते हैं।जब उच्च पदों को सुशोभित करने वालों के बीच भी यह समस्या गहरे तक कायम है, तो अन्य साधारण पेशे और पदों पर विराजमान लोगों को क्या ही दोष दिया जाए। डॉक्टरी पेशे में कइयों ने मानव के अंगों का व्यापार शुरू कर रखा है, जिससे संबंधित खबरें भी आती रही हैं। पहले कुछ पुलिसकर्मी या अफसर बदमाशों के साथ मिलीभगत रखते थे, मगर आज वे खुद ही अपराध करने लगे हैं।

समस्या यह है कि भ्रष्टाचार के दानव से कैसे मुक्ति पाई जाए! सबसे पहले देश के नेताओं को भ्रष्ट आचरण से मुक्त करना होगा। भ्रष्टाचार उन्मूलन के कानून पर सख्ती से पालन करना चाहिए। न्याय प्रक्रिया कम समय में ही पूरी करनी होगी। सबसे बड़ी जरूरत इस बात की है कि इसे समाप्त करने के लिए सामूहिक प्रयास करने होंगे। भ्रष्टाचारियों को सख्त सजा देनी होगी और ईमानदार लोगों को सम्मानित करना होगा।
’इकबाल राजा, मधेपुरा, बिहार</p>