दिल्ली में बढ़ती सड़क दुर्घटनाओं और यातायात उल्लंघन की लगातार घटनाओं से हमें सोचने पर मजबूर होना पड़ता है कि दिल्ली यातायात महकमा इसे लेकर गंभीर क्यों नहीं है। उम्मीद की किरण जगी थी कि मोटर अधिनियम के कड़े जुर्माने के प्रावधानों से दिल्ली में यातायात की हालात में सुधार आएगा। इसके बावजूद ट्रैफिक संबंधी दुर्घटनाओं और उल्लंघन की घटनाओं में कोई कमी नहीं हुई है। अब तो ट्रैफिक कर्मचारियों पर हमले भी बढ़ते जा रहे हैं जो गहरी चिंता का विषय है। ऐसे लोग पकड़े भी नहीं जाते, क्योंकि सड़कों पर पूरी तरह से सीसीटीवी नहीं लग पाए हैं।
मेरा दिल्ली ट्रैफिक पुलिस और सरकार से अनुरोध है कि निर्भया फंड से दिल्ली में इंटेलीजेंट ट्रैफिक कैमरे लगाने की व्यवस्था की जाए, ताकि यातायात उल्लंघन की घटनाओं में कमी आ सके और ट्रैफिक पुलिस कर्मचारियों को ट्रैफिक व्यवस्था कैसे बेहतर की जाए, उसका प्रशिक्षण दिया जाना चाहिए। सड़कों पर चालान काटने के लक्ष्य सुबह और रात्रि के समय लालबत्ती तोड़ने वाले लोगों को डर नहीं लगता, पर नई व्यवस्था से न केवल उनके वाहन पकड़ में आ जाएंगे, बल्कि नियमों का उल्लंघन कम हो जाएगा और दुर्घटनाओं में भी भारी कमी आएगी। जरूरत है दृढ़ इच्छाशक्ति और धन खर्च करने की।
’आरके शर्मा, रोहिणी, दिल्ली
आफत की बरसात
‘तबाही की बारिश’ (संपादकीय, 26 जुलाई) पढ़ा। बरसात का इंतजार हर किसी को रहता है, क्योंकि यह मौसम काफी खुशनुमा माना जाता है और फसलों के लिहाज से जरूरी। मगर अब हर साल बरसात अपने साथ बड़ी आपदा लेकर भी सामने आ रही है। शहरों में भरता पानी तो कहीं भूस्खलन तो कहीं बाढ़। आजकल देश के विभिन्न इलाकों में जनजीवन अस्त-व्यस्त होने, जान-माल के भारी नुकसान की खबरें आ रही हैं। कई राज्यों में आफत की बरसात हो रही है। हर साल करोड़ों रुपए का नुकसान हो जाता है। देश में प्राकृतिक आपदाओं के कुल नुकसान का काफी बड़ा हिस्सा केवल बाढ़ से होता है। हमेशा इससे बचने की बात कही जाती है। फिर उसे भुला दिया जाता है। बाढ़ आने की वजहें साफ हैं, पर उन्हें दूर करने को लेकर कोई गंभीरता नहीं दिखाई जाती। एक व्यवस्थित योजना बनाकर जल निकासी की ठोस व्यवस्था की जानी चाहिए, ताकि हर बारिश में ऐसी समस्या सामने नहीं आए। ’साजिद अली, इंदौर, मप्र