गत दिनों भारत के तटीय राज्य कर्नाटक, केरल और गोवा को तौकते या ताउते नामक एक चक्रवात के संकट ने घेर लिया और इसका रुख गुजरात की तरफ भी हुआ। निम्न या कम वायुमंडलीय दाब वाली हवाओं की तेज आंधी को चक्रवात या साइक्लोन कहते हैं। चक्रवात निम्न वायुदाब के केंद्र होते हैं। केंद्र से बाहर की ओर वायुदाब बढ़ता जाता है, जिसके कारण परिधि से केंद्र की तरफ हवा चलने लगती हैं। उत्तरी गोलार्द्ध या भूमध्य रेखा से ऊपर बनने वाले चक्रवात में हवाओं की दिशा घड़ी की सुई के विपरीत दिशा में और दक्षिण गोलार्द्ध या भूमध्य रेखा से नीचे बनने वाले चक्रवात में हवाओं की दिशा घड़ी की सुई की दिशा में होती है।
ये चक्रवात बहुत ही खतरनाक होते हैं। इसमें हवा वृत्ताकार रूप में गोल-गोल घूमती है और अपने रास्ते में आने वाले सभी चीजों जैसे पेड़, मकान, इमारतें, वाहन आदि को नष्ट कर देती है। हर साल विश्व भर में चक्रवात में हजारों लोगों की मौत हो जाती है। विश्व मौसम विज्ञान संगठन के अनुसार, उष्णकटिबंधीय चक्रवात में हवा का बल चौंतीस समुद्री मील या तिरेसठ किलोमीटर प्रतिघंटा से अधिक होता है। समुद्र का गर्म तापमान और उच्च सापेक्ष आद्रता उष्णकटिबंधीय चक्रवात के प्रमुख कारण हैं। इस प्रकार की आपदा की मुख्य विशेषता विनाशकारी हवा, ऊंची लहरें और मूसलाधार वर्षा है, जिससे बड़े पैमाने पर जनजीवन अस्त व्यस्त होता है।
भारत की तटीय सीमा 7516 किलोमीटर लंबी है, इसलिए चक्रवात की दृष्टि से बहुत ज्यादा संवेदनशील है। भारत के तटवर्ती इलाके विशेषकर ओड़ीशा, गुजरात, आंध्र प्रदेश, पश्चिम बंगाल, तमिलनाडु, केरल, कर्नाटक, महाराष्ट्र और गोवा चक्रवाती तूफान से ज्यादा प्रभावित होते हैं। हर साल भारत के तटीय क्षेत्रों में लगभग पांच से छह उष्णकटिबंधीय चक्रवात आते हैं, जिनमें से ज्यादातर बंगाल की खाड़ी में आते हैं। ताउते इस वर्ष का पहला तूफान है जो अरब सागर में उठा है।
वर्ष 2004 में चक्रवाती तूफान के नामकरण की प्रकिया शुरू की गई थी। हिंद महासागर क्षेत्र के आठ देश बांग्लादेश, भारत, मालदीव, म्यांमा, ओमान, पाकिस्तान, श्रीलंका तथा थाइलैंड एक साथ मिल कर आने वाले चक्रवातों के नाम तय करते हैं, इसके कारण चक्रवात को आसानी से पहचाना जा सकता है और इससे बचाव अभियानों में भी मदद मिलती है। मौजूदा चक्रवाती तूफान ‘ताउते’ का नामकरण म्यंमा द्वारा किया गया है।
चक्रवात आने पर लोगों को मौसम विभाग के समाचार सुनने चाहिए। मौसम वैज्ञानिकों को चाहिए कि वह तुरंत ही चक्रवात आने की सूचना लोगों को उपलब्ध कराए। चक्रवात में हवा की गति दो से तीन सौ किमी प्रति घंटा हो जाती है। इसलिए जो लोग समुद्र तट के किनारे रहते हैं उनको अपने घरों की खिड़कियां, दरवाजे, छत की मरम्मत पहले ही अच्छे से करवा लेनी चाहिए। चक्रवात के समय तेज हवाओं के कारण बिजली चली जाती है। ऐसी हालत में लालटेन या टॉर्च और रेडियो अवश्य रखना चाहिए। साथ ही किसी भी आपातकालीन स्थिति का सामना करने के लिए सरकारी बचाव दल और एंबुलेंस का फोन नंबर अपने पास जरूर रखना चाहिए।
जिन क्षेत्रों में अधिक चक्रवात आते हैं, वहां के लोगों को अपने घरों के नीचे बेसमेंट बनाना चाहिए। आपातकालीन स्थिति में बेसमेंट या किसी सुरक्षित जगह पर छिप जाना चाहिए। आपातकालीन स्थिति से निपटने के लिए अपने पास सूखा भोजन जैसे बिस्कुट, रस, पैकेज फूड जरूर रखना चाहिए। सटीक और पूर्व चेतावनी प्रसार तंत्र, चक्रवात आश्रय स्थल एवं चक्रवात प्रतिरोधी आवास का निर्माण जैसे महत्त्वपूर्ण उपायों को अपनाकर इसके जोखिम को कम किया जा सकता है।
–प्रत्यूष शर्मा, हमीरपुर, हिमाचल प्रदेश