‘योग’ का अर्थ है ‘जोड़ना’। योग यानी मिलन के साधन कई हैं। इनमें मुख्य हैं कर्मयोग, भक्तियोग, राजयोग और ज्ञानयोग। योग का संबंध शिक्षा से भी है। शिक्षा में भी नियम का पालन करना होता है। इच्छाओं का त्याग, इंद्रियों पर नियंत्रण, मन को एकाग्र करना होता है। यह सब प्रक्रिया योग के बिना असंभव है। स्पष्टत: जीवन को सफल बनाने के लिए योग को शिक्षा से जोड़ना ही होगा। जिस प्रकार पारस को छूकर लोहा, सोना बन जाता है ठीक उसी प्रकार ज्ञानयोग से शिक्षा लक्ष्य रूपी पारसमणि का रूप ले लेती है। यानी शिक्षा में योग का बड़ा ही महत्त्व है।
आराधना पाठक, दिल्ली</strong>