भारतीय समाज में वर्षों से व्याप्त जातिवाद की बीमारी से दलित तबकों को रोजाना जूझना पड़ता है। दलित युवकों की डंडों से पिटाई… दलित लड़की के साथ बलात्कार… दलितों के मंदिर में घुसने पर रोक… जैसी जातिगत उत्पीड़न और भेदभाव की तमाम खबरें रोजाना पढ़ने-देखने को मिल जाती है। विडंबना है कि भारतीय समाज जातिवाद की महामारी से आज तक नहीं उबर पाया है।

एक खबर के मुताबिक पिछले दिनों तमिलनाडु के विल्लुपुरम जिले की ओट्टानंधल पंचायत में दलित परिवारों ने अपने ग्राम देवता के लिए एक बेहद छोटा औपचारिक उत्सव आयोजित किया था। बताया जा रहा है कि कार्यक्रम की अनुमति पंचायत से ली गई थी। इसके बावजूद ग्राम पंचायत के सदस्यों को यह बात नागवार गुजरी और उन्होंने तीन बुजुर्गों से जबर्दस्ती पैरों पर गिरा कर माफी मंगवाई। बुजुर्गों के पैर छूने की तस्वीर सोशल मीडिया पर वायरल हो रही है। इसके अलावा, उत्तर प्रदेश के सुलतानपुर जिले में कुछ दबंगों ने दलित अधेड़ को तब तक पीटा, जब तक वे लहूलुहान होकर पैरों पर नहीं गिर गया। उसने कई बार दरिंदों से रहम की भीख मांगी, लेकिन किसी का भी दिल नहीं पसीजा। दबंगों ने अपनी करतूत का वीडियो बनवा कर सोशल मीडिया पर फैला दिया। दलित उत्पीड़न की इन दोनों घटनाओं में पुलिस ने आरोपियों को गिरफ्तार कर कार्रवाई शुरू कर दी है।

सवाल है कि तमाम कानूनों के बावजूद क्यों नहीं थमते दलितों के खिलाफ अत्याचार? हर साल कई ऐसे घटनाएं होती हैं जो दलितों के खिलाफ हिंसा की कहानी बयां करती हैं। उसके बावजूद भी दलितों के प्रति अपराध के मामले लगातार बढ़ते ही जा रहे है। एनसीआरबी के साल 2019 के आंकड़ों के मुताबिक अनुसूचित जातियों के साथ अपराध के मामलों में साल 2019 में 7.3 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। जहां 2018 में 42,793 मामले दर्ज हुए थे वहीं 2019 में 45,935 मामले सामने आए।

डॉ आंबेडकर, महात्मा ज्योतिबा फुले और कांशीराम सरीखे अनेक महापुरुष हुए हैं, जिन्होंने दलितों के उत्थान के लिए अपना संपूर्ण जीवन बलिदान कर दिया। लेकिन यह विडंबना है कि आजादी के सात दशक बाद भी आज दलित सामनता के लिए संघर्ष कर रहे हैं। दलित समाज को कानूनी अधिकार तो मिल गए, लेकिन सामाजिक तौर पर समानता का अधिकार अभी तक नहीं मिल पाया हैं! जरूरी है कि भारतीय समाज जातिवाद जैसी भयानक महामारी से उबरने के लिए भी पर्याप्त कदम उठाए और एक बेहतर समाज बनाए, जिसमें धर्म, जाति, लिंग, कद और रंग आदि के आधार पर किसी भी तरह के भेदभाव की कोई जगह नहीं हो। हम सब मिल कर केवल मानवता के धर्म का पालन करें।
– गौतम एसआर, भोपाल, मप्र