कांग्रेस पार्टी में अध्यक्ष पद को लेकर इन दिनों चल रहा विमर्श देश में चर्चा का मुद्दा है। गौरतलब है कि कांग्रेस का इस तरह से व्यक्ति केंद्रित होना ठीक नहीं है। लोकतंत्र में विकल्प की बहुतायत जरूरी है, चाहे वह पार्टी कोई भी हो।
एक पद पर एक ही व्यक्ति या परिवार का बने रहना पार्टी को कमजोर करता है। कांग्रेस की इस देश के विकास में भूमिका को खारिज नहीं किया जा सकता है। आजादी के आंदोलन से लेकर आधुनिक भारत तक देश को एक दिशा देने में कांग्रेस के नेताओं ने अहम भूमिका निभाई है।
लोकसभा चुनाव में कांग्रेस की हार के बाद राहुल गांधी का अध्यक्ष पद छोड़ना वाकई एक लोकतांत्रिक प्रक्रिया में स्वागतयोग्य कदम था। लेकिन विकल्प की तलाश सोनिया गांधी पर आकर समाप्त हो गई, यह दुखद भी है। देश की इतनी बड़ी पार्टी में विकल्पों की कमी नहीं होनी चाहिए। एक तरह से देखा जाए तो कांग्रेस के साथ ऐसे लोग हैं जो कि पार्टी को दिशा दे सकते हैं, लेकिन उन सभी को मौके दिए जाने की दरकार है।
सब जानते हैं कि इस समय कांग्रेस की हालत बहुत बेहतर नहीं है। ऐसी स्थिति में अंदरूनी द्वंद्व उसे और कमजोर करेंगे। अभी भी समय है, कांग्रेस को नए विचारों और चेहरों को जगह देने की कोशिश करनी चाहिए।
’शिवनारायण गौर, सलैया, भोपाल</p>