पिछले कुछ समय से देश के विभिन्न हिस्सों में जिस तरह चोरी-छिपे लाए गए मादक पदार्थ बरामद हो रहे हैं, वह चिंता की बात है। बीते दिनों नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो यानी एनसीबी ने मादक पदार्थ तस्करी के एक और बड़े रैकेट का भंडाफोड़ कर आठ लोगों को गिरफ्तार किया। उसने इनके पास से करीब पैंतीस किलो हेरोइन जब्त की।
इस रैकेट के बारे में पता तब चला, जब जिंबाब्वे से बंगलुरु पहुंची दो महिलाओं के पास से सात किलो हेरोइन बरामद की गई। एनसीबी के अनुसार यह ड्रग्स रैकेट देश भर में फैला है और उसका सरगना एक नाइजीरियाई है। इसके कुछ दिनों पहले दिल्ली में शाहीन बाग इलाके से नशीले पदार्थों की एक बड़ी खेप बरामद की गई थी। इस बरामदगी के साथ जिन लोगों को गिरफ्तार किया गया, उनके संबंध अफगानिस्तान से लेकर पाकिस्तान के ड्रग तस्करों से थे।
जिस तरह भारत में रह रहे कई अफगानी ड्रग्स के कारोबार में लिप्त हैं, उसी तरह कुछ नाईजीरियाई भी। इनमें से कुछ तो भारत में ही मादक पदार्थ तैयार कर रहे हैं। यह दुस्साहस की पराकाष्ठा के अलावा और कुछ नहीं। ड्रग्स तस्करों का एक अन्य मकसद देश की युवा पीढ़ी को बर्बाद करना भी है। यह ड्रग्स तस्करों की बढ़ती सक्रियता का ही नतीजा है कि देश के छोटे-छोटे शहरों में भी नशीले पदार्थों की खेप पहुंच रही है। पिछले कुछ महीनों में नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो ने देश के अलग-अलग स्थानों से जिस तरह बड़ी मात्रा में ड्रग्स बरामद की है, उसके आधार पर यह निष्कर्ष भी निकाला जा सकता है कि यह बरामदगी उसकी सजगता का नतीजा है, लेकिन सवाल यह है कि क्या वह सारा मादक पदार्थ पकड़ा जा रहा है, जिसे भारत लाया जा रहा है?
सदन जी, पटना</p>
बदलते मुद्दे
पिछले एक माह से पूरे देश में चर्चाओं के विषय बदल चुके हैं। रोजगार, महंगाई, सरकारी तंत्र की समीक्षा की जगह अब ज्ञानवापी विवाद ने ले ली है। जो विवाद अभी उठा है, पहले कई दशक से कहीं सोया हुआ था। यह स्पष्ट रूप से नहीं कहा जा सकता कि ज्ञानवापी विवादास्पद स्थान पर पहले कौन-सा प्रार्थनास्थल था, लेकिन यह मानने के अच्छे-भले कारण हैं कि इससे राजनीति के खिलाड़ियों को एक अच्छा प्रदर्शन करने का अवसर अवश्य प्राप्त हुआ है। हालांकि, सत्य और सबूत के आधार पर न्यायालय जो भी निर्णय लेगा, वह सहर्ष सभी के लिए स्वीकार्य होगा, लेकिन तथ्यहीन ‘ज्ञान’ से दूर रहने में ही हमारी भलाई है।
माधव शर्मा, हाथरस