किसी के अवचेतन में चुपके से दाखिल होकर कैसे कोई विचार रोपा जा सकता है! इसके बाद फिर वह व्यक्ति…
यह दुर्भाग्यपूर्ण ही है कि इस दौर में अधिकांश लोग नैतिकता पर बात करना नहीं चाहते हैं।
मनुष्य हमेशा से एक बड़े समूह की इकाई है, जिसके बिना उसकी सामाजिक पहचान नहीं है।
हम सब जानते हैं कि जीवन एक बार मिलता है, जिसे संपूर्णता के साथ जिया जाना चाहिए। लेकिन लड़कियों के…
कहने और परोसने के तरीके से किसी संवाद के प्रभाव को कम या ज्यादा किया जा सकता है।
बहुत इंतजार कराने के बाद पिछले दिनों पूरे दम-खम के साथ बादल बरसे।
महिलाओं के पास अपने जीवन के विषय में निर्णय लेने का अधिकार और सम्मानपूर्ण जीवन जीने का अधिकार संरक्षित है।
समाज की सबसे लघु इकाई हमारा परिवार आज उस मुहाने पर खड़ा दिखता है जहां प्रतिकूलता के प्रवाह अधिक हैं।
सिनेमा ने समाज को हर दौर में आईना दिखाया है। समाज की खामियों को पहचान कर सिनेमा उस पर उंगली…
पड़ोसी देश पाकिस्तान में पहली बार एक हिंदू युवती प्रशासनिक सेवा (भारत के आइएएस की तरह) में चुनी गई हैं।…
आधुनिक समाज में व्यक्ति अपने निजी जीवन में संस्कृति, मूल्यों, परंपराओं इत्यादि से भयभीत रहने लगा है। पूंजीवाद के विस्तार…
कई बार यथार्थ पर विश्वास नहीं करने का मन करता है। कई बार यथार्थ घटनाएं किसी काल्पनिक सिनेमा के दृश्य…