मन के विकार सुख देते हैं। इसलिए की सुख अपने आप में मन का एक विकार है। मन अपने विकार…
वे कहते हैं कि अगर गांधीजी हिंदू न होते, या भारतीय न होते तो उनकी चिंता और और कर्म पद्धति…
अंगुलीमाल को तो अपने किए का ज्ञान प्राप्त हो गया था, बहुतों को सालों जेलों में सड़ने, असाध्य बीमारियों से…
इसी उधेड़बुन में पड़ा वह घर पहुंच गया। ‘पापा, मिठाई हमें दीजिए।’ एक साथ बच्चों के स्वर ने उसे याद…
रंगकर्मी सत्यदेव दुबे को 1971 में संगीत नाटक अकादेमी पुरस्कार, 1978 में फिल्म ‘भूमिका’ के सर्वश्रेष्ठ पटकथा लेखन के लिए…
आमतौर पर सुख और दुख को दो अलग चीजें, दोनों को एक-दूसरे का विलोम मान लिया जाता है। मगर हकीकत…
ऐसे नगरसेठों की कमी आज भी नहीं है। धन की लालसा ही ऐसी होती है कि वह बढ़ती जाती है…
यह घर, यह संसार, झगड़ों से मुक्त नहीं। बड़े झगड़े हैं यहां। शांति सब चाहते हैं, पर अशांति का वरण…
आनंदी जोशी के पति गोपाल राव ने हर कदम पर उनका हौसला बढ़ाया। उन्नीस साल की उम्र में, 1886 में…
कबीर ने कहा- ‘अणी देसरा लोग अचेता, पल पल पर पछताई’। इस जगत के लोग अचेतावस्था में हैं। पल पल…