
फूलों के रंग और उनकी महक मन को परम आनंद से भर देती है।
एक विज्ञापन में दिखाया जा रहा था कि स्कूल से बच्चे घर लौट रहे हैं।
जब मैंने बचपन में पहली बार गौरैया देखी तो आश्चर्यचकित हो गया था।
सुबह के अपने रंग हैं, जैसे हर सवेरा अपने साथ कुछ नया लेकर आता है और हम अपने भीतर कहीं…
प्रकृति का अधिकाधिक दोहन करने की हमारी नीतियों और मानसिकता ने समूची मानव जाति को एक ऐसे मोड़ पर लाकर…
बीज पर चींटियों, अंकुरों पर पक्षियों और पौधों पर पशुओं की नजर रहती है।
शांति-अशांति, विचार और विचारधारा- ये सब मनुष्य के मन में सनातन काल से चलने वाली हलचलें हैं।
अक्सर हम दूसरों के बारे में कुछ ज्यादा ही दिलचस्पी रखते हैं। दूसरे व्यक्ति में जरूरत से ज्यादा दिलचस्पी एक…
लोग यानी खालिस मनुष्य। लोग यानी जिनकी विशिष्ट या अलग पहचान नहीं। लोग भीड़ नहीं, जीवन की पहचान होते हैं।
वर्ष 1980 से 2000 के बीच 10 करोड़ हेक्टेयर से अधिक उष्णकटिबंधीय वनों का सफाया हो गया था और 85%…
आज भी चेचक को छोटी माता के रूप में संबोधित किया जाता है, उसे देवी माता के प्रकोप का परिणाम…