
बहुत इंतजार कराने के बाद पिछले दिनों पूरे दम-खम के साथ बादल बरसे।
आखिर बहरेपन के क्या लक्षण हैँ, हमें इस पर विचार करना चाहिए। कैसे पता लगाया जाए कि हमें कम सुनाई…
हमारे देश में ऐसे तमाम लोग हैं, जिनके लिए स्वतंत्रता महसूस कर पाना अभी बाकी है। सिर्फ इसलिए कि किन्हीं…
धारणाओं का निर्माण कोई एक दिन की बात नहीं है। कोई एक बात किसी एक व्यक्ति या समूह से चलती…
यह सुखद है कि चिट्ठीयुगीन कई बुजुर्ग नई तकनीक में हम सबके लिए मिसाल कायम करने मैदान में उतर आए…
पिछले दिनों एक तस्वीर पर नजर पड़ी, जिसमें एक शख्स ने अपने हाथ में एक बड़ा पर्चा या प्लेकार्ड लिए…
एक बार मित्रों से बातचीत के क्रम में हिंदी अक्षरों की बात शुरू हो गई।
कभी-कभी कोई शब्द एक नए रूप में कैसे खिल उठता है समय और संदर्भ के साथ। ‘यार’ एक ऐसा ही…
भागमभाग वाली जीवनशैली की आगे बहुत सारे लोगों का कूड़ा कई दिनों तक घर के किसी कोने में या किचन…
समाज की सबसे लघु इकाई हमारा परिवार आज उस मुहाने पर खड़ा दिखता है जहां प्रतिकूलता के प्रवाह अधिक हैं।
हमारे शास्त्रीय संगीत में दिन के हर प्रहर के लिए अलग-अलग स्वर संयोजन का विधान है।
स्वर और व्यंजनों के मेल से वर्णमाला बनती है। प्राथमिक विद्यालय में ही इस परिभाषा से परिचित हो चुके थे।