राष्ट्रीय राजधानी में टमाटर की खुदरा कीमत शुक्रवार को 75 रुपये किलो तक पहुंच गई, जबकि दक्षिण भारत के कुछ हिस्सों में कीमतें नरम हुईं। हालांकि कीमत अभी भी ऊंची बनी हुई है। उपभोक्ता मामलों के मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार, चेन्नई में, टमाटर की खुदरा कीमत 22 नवंबर को 100 रुपये किलो के उच्चतम स्तर से शुक्रवार को घटकर 63 रुपये प्रति किलो रह गई। इसी तरह, तिरुवनंतपुरम में, कीमत उक्त अवधि में 103 रुपये किलो से घटकर 80 रुपये प्रति किलो रह गई।

पुडुचेरी में शुक्रवार को टमाटर की कीमत 22 नवंबर को 100 रुपये प्रति किलो से घटकर 45 रुपये प्रति किलो रह गई। हालांकि, हैदराबाद में, कीमत दो दिनों के दौरान पहले के 90 रुपये प्रति किलो से थोड़ा कम होकर 72 रुपये प्रति किलो रह गई। बेंगलूरु में, खुदरा बाजारों में टमाटर की कीमत 88 रुपये प्रति किलो के उच्च स्तर पर बनी रही। पोर्ट ब्लेयर में, कीमत 22 नवंबर को 113 रुपये प्रति किलोग्राम से शुक्रवार को बढ़कर 143 रुपये प्रति किलो हो गई।

आंकड़ों के मुताबिक, राष्ट्रीय राजधानी में टमाटर की खुदरा कीमत शुक्रवार को बढ़कर 75 रुपये प्रति किलो हो गई, जो 22 नवंबर को 63 रुपये प्रति किलो थी। हालांकि, दिल्ली में प्याज और आलू की खुदरा कीमतों में नरमी आयी है। खुदरा प्याज की कीमत 35 रुपये प्रति किलो और आलू 20 रुपये प्रति किलो पर चल रही थी।

नवंबर के पहले सप्ताह से व्यापक तौर पर भारी बारिश के कारण दक्षिण भारत के प्रमुख शहरों में टमाटर की खुदरा कीमतों में तेज वृद्धि हुई है। भारी वर्षा के कारण, टमाटर की फसल को नुकसान पहुंचा है जिससे आपूर्ति की स्थिति खराब हो गई है। यहां तक ​​कि आंध्र प्रदेश और कर्नाटक जैसे प्रमुख उत्पादक राज्यों से देश के अन्य हिस्सों में टमाटर की आपूर्ति भी प्रभावित हुई है। सरकारी आंकड़ों के अनुसार, टमाटर का औसत अखिल भारतीय अधिकतम खुदरा मूल्य शुक्रवार को बढ़कर 143 रुपये प्रति किलो हो गया, जो 22 नवंबर को 113 रुपये प्रति किलो था।

इस बीच, क्रिसिल रिसर्च ने शुक्रवार को कहा कि लगातार और अधिक बारिश के कारण सब्जियों की कीमतों में तेजी आई है तथा टमाटर की कीमत अगले दो महीनों तक ऊंचे स्तर पर बनी रह सकती है। जमीनी स्थिति बताते हुए क्रिसिल ने कहा है कि टमाटर के प्रमुख उत्पादक क्षेत्रों में से एक कर्नाटक में स्थिति इतनी ‘गंभीर’ है कि इस सब्जी को महाराष्ट्र के नासिक से भेजा जा रहा है।

क्रिसिल रिसर्च ने कहा कि अक्टूबर-दिसंबर की अवधि के दौरान प्रमुख आपूर्तिकर्ता राज्य, कर्नाटक (सामान्य से 105 प्रतिशत अधिक), आंध्र प्रदेश (सामान्य से 40 प्रतिशत अधिक) और महाराष्ट्र (सामान्य से 22 प्रतिशत) में अधिक बारिश होने के कारण खड़ी फसलों को नुकसान हुआ है। ये प्रमुख आपूर्तिकर्ता राज्य हैं।

इसने कहा है कि 25 नवंबर तक कीमतों में 142 प्रतिशत की वृद्धि हुई है और मध्य प्रदेश और राजस्थान से फसल की कटाई जनवरी से शुरू होने तक दो और महीनों के लिए कीमतें अधिक बनी रहेगी। एजेंसी ने कहा है कि मौजूदा समय में, टमाटर 47 रुपये प्रति किलो बिक रहा है और ताजा आवक शुरू होने के बाद कीमत में 30 प्रतिशत की गिरावट आएगी।

प्याज के मामले में, रिपोर्ट में कहा गया है कि अगस्त में कम बारिश के कारण महाराष्ट्र के प्रमुख उत्पादक क्षेत्रों में रोपाई में देरी हुई, जिसके कारण अक्टूबर में आवक में विलम्ब हुआ। इससे सितंबर की तुलना में प्याज की कीमतों में 65 प्रतिशत की वृद्धि हुई। हालांकि, प्याज के मामले में, हरियाणा से ताजा आवक 10-15 दिनों में शुरू होने की उम्मीद है, जिससे कीमतों में गिरावट आएगी।

उत्तर प्रदेश, पश्चिम बंगाल, बिहार और गुजरात में अत्यधिक बारिश के कारण रबी की एक और फसल आलू की बुवाई का मौसम बुरी तरह प्रभावित हुआ है। शोधकर्ताओं की स्थानीय किसानों के साथ बातचीत के अनुसार खेतों में अत्यधिक जलजमाव से आलू के कंदों की फिर से बुवाई की जा सकती है, जिससे किसानों की लागत बढ़ सकती है। अगर भारी बारिश जारी रही, तो दो और महीनों के लिए कीमतें अधिक होंगी।

इसने कहा है कि अगले तीन हफ्तों में भिंडी की कीमतें कम होने लगेंगी। क्रिसिल ने कहा कि आंध्र प्रदेश और गुजरात जैसे उत्पादन क्षेत्रों में बुवाई और शुरुआती वनस्पति चरण के दौरान भारी बारिश से उत्पादन प्रभावित हुआ है। कहा गया है कि शिमला मिर्च और ककड़ी सहित अन्य सब्जियों का उत्पादन भी प्रभावित हुआ है। रिपोर्ट के अनुसार, ‘‘उम्मीद है कि उत्तर-पूर्वी मानसून के वापस होने के बाद, सब्जियों की कीमतों का सबसे खराब दौर खत्म हो सकता है।’’

उधर, सरकार ने शुक्रवार को कहा कि देश के उत्तरी राज्यों से टमाटर की नई फसल की आवक के साथ दिसंबर से इसके भाव नरम पड़ने की उम्मीद है। टमाटर का अखिल भारतीय औसत खुदरा मूल्य बेमौसम बारिश के कारण पिछले वर्ष की तुलना में 63 प्रतिशत बढ़कर 67 रुपये प्रति किलो होने के साथ सरकार का यह बयान आया है।

वहीं प्याज के मामले में, खुदरा कीमतें वर्ष 2020 और वर्ष 2019 के स्तर से काफी नीचे आ गई हैं। खाद्य और उपभोक्ता मामलों के मंत्रालय ने कहा, “देश के उत्तरी राज्यों से टमाटर की आवक दिसंबर की शुरुआत से ही शुरू हो जाएगी। इससे उपलब्धता बढ़ेगी और कीमतों में गिरावट आएगी। दिसंबर में आवक पिछले साल के बराबर रहने की उम्मीद है।”

इस साल नवंबर में आवक 19.62 लाख टन थी, जो एक साल पहले की समान अवधि में 21.32 लाख टन थी। टमाटर की कीमतों में बढ़ोतरी के कारणों के बारे में बताते हुए, मंत्रालय ने कहा कि पंजाब, उत्तर प्रदेश, हरियाणा और हिमाचल प्रदेश में बेमौसम बारिश के कारण सितंबर के अंत से टमाटर की खुदरा कीमतें बढ़ी हैं। बारिश की वजह से टमाटर की फसल को नुकसान हुआ और इन राज्यों से आने में देरी हुई।

बयान में कहा गया है कि उत्तर भारतीय राज्यों से देरी से आवक के बाद तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना और कर्नाटक में भारी बारिश हुई, जिससे आपूर्ति बाधित हुई और फसल को भी नुकसान हुआ। मंत्रालय ने कहा कि टमाटर की कीमत अत्यधिक अस्थिर है। आपूर्ति श्रृंखला में किसी भी तरह की बाधा या भारी बारिश के कारण क्षति होने से कीमतों में तेजी आती है।

इसके विपरीत, थोक मात्रा में आवक और लॉजिस्टिक की समस्या होने पर बाजार में अधिक आपूर्ति की स्थिति पैदा हे जाती है। इसके परिणामस्वरूप खुदरा कीमतों में गिरावट आती है। इस महीने 25 नवंबर तक टमाटर का अखिल भारतीय औसत मूल्य 67 रुपये प्रति किलो था जो पिछले साल की तुलना में 63 प्रतिशत अधिक है। कृषि मंत्रालय के अनुसार, चालू वर्ष में टमाटर का खरीफ (गर्मी) उत्पादन 69.52 लाख टन है, जबकि पिछले साल 70.12 लाख टन टमाटर का उत्पादन हुआ था।

हालांकि, प्याज के मामले में, मंत्रालय ने कहा कि कीमतों में काफी कमी आई है और यह स्तर 2020 और 2019 में खुदरा कीमतों से नीचे है। आकंड़े के अनुसार 25 नवंबर को प्याज का अखिल भारतीय औसत खुदरा मूल्य 39 रुपये प्रति किलो था जो पिछले साल की तुलना में 32 प्रतिशत कम है।