देश में जल्द ही ग्राहक सभी बैंकों से जुड़ी शिकायतें एक जगह कर पाएंगे। आने वाले वक्त में इसके लिए एक अलग नंबर होगा, जिसके माध्यम से शिकायत की सुविधा मिलेगी। साथ ही उसके स्टेटस को भी ट्रैक करना भी सरल होगा।

दरअसल, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शुक्रवार (12 नवंबर, 2021) को दो सौगात दीं, जिसमें एकीकृत लोकपाल योजना भी है। वित्तीय और बैकिंग संस्थानों के ग्राहक इसके जरिए एक लोकपाल को अपनी शिकायत एक ई-मेल आईडी और नंबर की मदद से कर सकेंगे। खास बात है कि इस व्यवस्था के तहत एक टोल-फ्री नंबर होगा, जो कि बहुभाषी होगा। यानी उस पर विभिन्न भाषाओं में शिकायत की सुविधा मिलेगी।

पीएमओ के बयान के मुताबिक, एकीकृत लोकपाल योजना का उद्देश्य शिकायतों को दूर करने वाली प्रणाली में और सुधार लाना है ताकि संस्थाओं के खिलाफ ग्राहकों की शिकायतों को दूर करने के लिए रिजर्व बैंक नियम बना सके।

बयान में कहा गया, ‘‘इस योजना की केंद्रीय विषयवस्तु ‘एक राष्ट्र-एक लोकपाल’ की अवधारणा पर आधारित है। इसके तहत एक पोर्टल, एक ई-मेल और एक पता होगा, जहां ग्राहक अपनी शिकायतें दायर कर सकते हैं। ग्राहक एक ही स्थान पर अपनी शिकायत दे सकते हैं, दस्तावेज जमा कर सकते हैं, अपनी शिकायतों-दस्तावेजों की स्थिति जान सकते हैं और सुझाव दे सकते हैं।’’

यह भी कहा जा रहा है कि बैंक इस नई व्यवस्था आने के बाद टालमटोल नहीं कर पाएंगे। आमतौर पर ऑनलाइन फ्रॉड या एटीएम फिशिंग/धोखाधड़ी से संबंधित केसों में बैंक स्वयं जिम्मेदारी लेने के बजाय उपभोक्ता या अन्य बैंकों को जिम्मेदार करार देते हैं। चूंकि, नई समस्या में सीधे शिकायत पहुंचेगी और इसमें हल पर अधिक जोर दिया जा रहा है, इसलिए कहा जा रहा है कि समस्या के निपटारे की जिम्मेदारी भी बैंक पर हो सकती है।

वैसे, हर बैंक में शिकायत का अपना अलग नंबर और सिस्टम है। पर फिलहाल राज्यों के आधार पर लोकपाल हैं, मगर वह प्रक्रिया थोड़ी लंबी मानी जाती है। उसमें बैंक द्वारा समस्या का हल न किए जाने पर दिक्कत को संबंधित बैंकिंग लोकपाल के पास बढ़ाया जाता है, जो उसे हल करने के लिए हरकत में आता है। हालांकि, यह प्रक्रिया थोड़ा समय खा जाती है।

पीएम मोदी एकीकृत लोकपाल योजना के अलावा खुदरा प्रत्यक्ष योजना की सौगात भी देंगे। दरअसल, केंद्र की तरफ से आरबीआई (भारतीय रिजर्व बैंक) सरकारी प्रतिभूति जारी करता है, जिसे बॉन्ड कहा जाता है। मौजूदा समय में इनमें संस्थागत निवेशकों को ही इन्वेस्ट करने की मंजूरी मिलती है। पर नई व्यवस्था में छोटे निवेशकों के लिए भी रास्ता खुलेगा। वे इसके जरिए सीधे आरबीआई से बॉन्ड ले सकेंगे।