दुनिया भर में इससे पहले इतने सारे सशस्त्र संघर्ष कभी नहीं हुए। ग्लोबल पीस इंडेक्स 2024 के अनुसार, संघर्ष करने वाले देशों की संख्या द्वितीय विश्व युद्ध के बाद से सबसे अधिक है। वर्ष 2020 में सशस्त्र संघर्षों की संख्या 56 और 2024 में 59 थी। 2023 में चार सशस्त्र संघर्षों को प्रमुख (वर्ष में 10,000 या उससे अधिक मौतों के साथ) के रूप में वर्गीकृत किया गया था। म्यांमा गृह युद्ध, सूडान गृह युद्ध, इजराइल-हमास संघर्ष और यूक्रेन-रूस युद्ध। बड़े सशस्त्र संघर्षों (1,000-9,999 मौतें) की संख्या 2022 में 17 से बढ़कर 2023 में 20 हो गई। एक निगाह…
1. रूस-यूक्रेन युद्ध (फरवरी 2022 से जारी) :
मौजूदा हालात : रूस ने यूक्रेन के पूर्वी और दक्षिणी क्षेत्रों (डोनबास, खार्किव, खेरसान) में हमले बढ़ाए हैं। यूक्रेन ने रूसी क्षेत्रों, विशेष रूप से कुर्स्क में ड्रोन और मिसाइल हमले बढ़ाए हैं। नवंबर 2024 में, रूस ने परमाणु हथियारों के उपयोग की नीति को संशोधित किया, जिससे तनाव बढ़ा। अमेरिका ने यूक्रेन को लंबी दूरी की मिसाइलें (एटीएसीएमएस) उपयोग की अनुमति दी, जिसके जवाब में रूस ने चेतावनी दी। हाल के महीनों में, उत्तर कोरिया ने रूस को हथियार और सैनिक भेजे, जिसे दक्षिण कोरिया और पश्चिमी देशों ने खतरे के रूप में देखा।
जवाबी कार्रवाइयां :
यूक्रेन : पश्चिमी हथियारों (एचआइएमएआरएस, स्टार्म शैडो मिसाइलें) का उपयोग कर रूसी आपूर्ति लाइनों को निशाना बनाया। यूक्रेन ने रूसी काला सागर बेड़े को ड्रोन हमलों से कमजोर किया। पश्चिमी देश (नाटो, अमेरिका, यूरोपीय संघ) ने यूक्रेन को 100 अरब डालर से अधिक की सैन्य और वित्तीय सहायता दी। रूस पर तेल निर्यात प्रतिबंध और एसडब्लूआइएफटी से हटाने जैसी कड़ी कार्रवाई की गई।
रूस : जवाब में पश्चिमी देशों को तेल-गैस निर्यात रोकने और साइबर हमले बढ़ाने की रणनीति अपनाई। रूस ने अफ्रीका और एशिया में अपने प्रभाव को बढ़ाने के लिए कूटनीतिक प्रयास तेज किए।
हाल की घटनाएं : जनवरी 2025 में, रूस ने यक्रेन के ऊर्जा बुनियादी ढांचे पर बड़े पैमाने पर हमले किए, जिससे सर्दियों में मानवीय संकट गहराया। यूक्रेन ने रूसी क्षेत्रों में 1,000 ड्रोन हमले किए, जिसे रूस ने आतंकवाद करार दिया। हाल में कुछ मौकों पर रूस ने संक्षिप्त संघर्ष विराम भी रखे।
प्रभाव : वैश्विक खाद्य और ऊर्जा संकट, 80 लाख यूक्रेनी शरणार्थी और 50,000 नागरिक हताहत।
2. इजराइल-हमास/हिजबुल्लाह/हूती संघर्ष
मौजूदा हालात :
गाजा (इजराइल-हमास) : 7 अक्तूबर 2023 के हमास हमले (1,200 मरे) के बाद, इजराइल ने गाजा में बड़े पैमाने पर सैन्य अभियान शुरू किया। 2025 तक, गाजा में 43,000 लोग मारे गए, जिनमें अधिकतर नागरिक हैं।
लेबनान (इजराइल-हिजबुल्लाह) : हिजबुल्लाह के राकेट हमलों के जवाब में, इजराइल ने लेबनान में हवाई हमले किए, जिसमें हिजबुल्लाह नेता हसन नसरल्लाह की मौत (सितंबर 2024) हो गई।
यमन (हूती विद्रोही) : हूतियों ने इजराइल पर बैलिस्टिक मिसाइल से हमले किए, जिसमें 4 मई 2025 को बेन गुरियन हवाई अड्डे के पास हमला शामिल है, जिसमें आठ लोग घायल हुए।
जवाबी कार्रवाइयां :
इजराइल : गाजा में हमास के ठिकानों को नष्ट करने के लिए जमीनी और हवाई अभियान। लेबनान में हिजबुल्लाह के हथियार डिपो और कमांडरों पर लक्षित हमले। हूतियों के खिलाफ यमन में हवाई हमले, अमेरिका के साथ समन्वय में किए गए।
हमास/हिजबुल्लाह : राकेट और ड्रोन हमले, सुरंगों का उपयोग, और ईरान से हथियार समर्थन।
हूती विद्रोही : लाल सागर में जहाजों पर हमले और इजराइल पर मिसाइली हमले। अमेरिका और ब्रिटेन ने हूती ठिकानों पर हवाई हमले किए।
अंतरराष्ट्रीय प्रतिक्रिया : संयुक्त राष्ट्र ने गाजा में युद्धविराम की मांग की। अमेरिका ने इजराइल को 10 अरब डालर की सैन्य सहायता दी। अरब देशों में इजराइल विरोधी प्रदर्शन हुए।
हाल की घटनाएं : इजराइल के प्रधानमंत्री नेतन्याहू ने हूतियों के खिलाफ निरंतर हमलों की चेतावनी दी। गाजा में मानवीय सहायता पहुंचाने में बाधाएं, 80% आबादी विस्थापित।
प्रभाव : गाजा में मानवीय संकट, लेबनान में दस लाख विस्थापित, और लाल सागर में पोत परिवहन संकट।
3. भारत-पाकिस्तान तनाव और पहलगाम आतंकी हमला (2025)
मौजूदा हालात :
पहलगाम हमला : 22 अप्रैल 2025 को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में बैसरन घाटी में आतंकी हमले में 26 लोग मारे गए, जिनमें ज्यादातर पर्यटक थे। हमले की जिम्मेदारी द रेजिस्टेंस फ्रंट (टीआरएफ) ने ली, जो लश्कर-ए-तैयबा से जुड़ा है और उसे पाकिस्तान की आइएसआइ का समर्थन है। हमले के बाद, भारत-पाकिस्तान सीमा पर तनाव चरम पर है, जिसमें नियंत्रण रेखा पर गोलीबारी बढ़ी।
जवाबी कार्रवाइयां :
भारत : आपरेशन सिंदूर (7 मई 2025) : भारत ने पाकिस्तान और पाक अधिकृत कश्मीर में नौ आतंकी ठिकानों पर लक्षित हमले किए जिसमें रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह के अनुसार करीब 100 आतंकी मारे गए। भारत ने इसे आतंकी बुनियादी ढांचे को नष्ट करने का अभियान बताया। प्रधानमंत्री मोदी ने सेना को जवाबी कार्रवाई की पूरी छूट दी। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा, जैसा आप चाहते हैं, वैसा अब होकर रहेगा। भारतीय नौसेना ने अरब सागर में युद्धाभ्यास किया, और वायुसेना को उच्च सतर्कता पर रखा गया। खुफिया एजंसियों ने पाकिस्तान के दुष्प्रचार (जैसे, सिख सैनिकों को निशाना बनाने वाले अभियान) का पदार्फाश किया। 10 मई को भारत-पाक के बीच संघर्ष विराम हो गया।
पाकिस्तान : पाकिस्तान ने भारत के हमलों को युद्ध का कृत्य करार दिया और जवाबी कार्रवाई की धमकी दी। पाकिस्तान ने ड्रोन हमले किए जो नाकाम रहे। साइबर हमले और दुष्प्रचार अभियान तेज किए, जिसमें सिख फार जस्टिस के वीडियो का उपयोग शामिल है।
हाल की घटनाएं : नियंत्रण रेखा और अंतरराष्ट्रीय सीमा पर दोनों देशों की सेनाओं के बीच भारी गोलीबारी, जिसमें जानमाल का नुकसान हुआ। अंतरराष्ट्रीय सीमा पर पुंछ में पाक गोलाबारी में 19 नागरिक जान गंवा बैठे। भारत ने अंतरराष्ट्रीय मंचों पर पाकिस्तान को आतंकवाद के प्रायोजक के रूप में उजागर किया।
प्रभाव : क्षेत्रीय अस्थिरता, हवाई यात्रा पर असर (कई एयरलाइनों ने उड़ानें रद्द कीं)। भारत में आतंकवाद विरोधी नीति को और सख्त करने की मांग बढ़ी। कश्मीर में पर्यटन उद्योग को नुकसान।
4. अन्य वैश्विक आतंकी गतिविधियां और जवाबी कार्रवाइयां
अफगानिस्तान :
स्थिति : तालिबान शासन के बाद, आइएसआइएस-के ने हमले तेज किए, जिसमें काबुल में हाल के बम विस्फोट शामिल हैं (जनवरी 2025: 20 मरे)।
जवाबी कार्रवाई : तालिबान ने आइएसआइएस-के खिलाफ अभियान चलाए, लेकिन सफलता नहीं मिली।
साहेल क्षेत्र (माली, नाइजर, बुर्किना फासो) :
स्थिति : अल-कायदा और आइएसआइएस से जुड़े समूहों ने 2024-25 में 5,000 लोगों को मारा।
जवाबी कार्रवाई : फ्रांस-अफ्रीकी सेनाओं का संयुक्त अभियान। संयुक्त राष्ट्र के शांति सैनिक तैनात।
सीरिया/इराक :
स्थिति : आइएसआइएस के बचे-खुचे समूह छोटे पैमाने पर हमले कर रहे हैं (2025 में 200 हताहत)।
जवाबी कार्रवाई : अमेरिका और कुर्द बलों ने लक्षित अभियान चलाए। सीरिया में रूस और तुर्की भी सक्रिय।
नार्को-आतंकवाद :
अफगानिस्तान और कोलंबिया में मादक पदार्थ तस्करी से आतंकी समूहों को पैसा दिया जा रहा है। भारत ने जम्मू-कश्मीर में नार्को-आतंकवाद के खिलाफ आपरेशन सर्प विनाश (2003) जैसे अभियान चलाए।
साइबर आतंकवाद :
पाकिस्तान और चीन से भारत के खिलाफ साइबर हमले बढ़े। भारत ने साइबर सुरक्षा को मजबूत करने के लिए राष्ट्रीय साइबर सुरक्षा नीति को उच्चीकृत किया।
वैश्विक और भारतीय जवाबी रणनीतियां
सैन्य कार्रवाइयां:
लक्षित हमले और ड्रोन हमले (भारत, इजराइल, अमेरिका) आतंकी ठिकानों को नष्ट करने में प्रभावी। भारत ने जम्मू-कश्मीर में आपरेशन रक्षक (1990 से) और सर्प विनाश (2003) से आतंकवाद को कम किया।
कूटनीतिक प्रयास : भारत ने संयुक्त राष्ट्र ‘काउंटर-टेररिज्म ट्रस्ट फंड’ में 2.55 मिलियन डालर का योगदान दिया। ब्रिक्स और संयुक्त राष्ट्र में आतंकवाद विरोधी प्रस्तावों को बढ़ावा दिया।
खुफिया और साइबर सुरक्षा :
भारत के राष्ट्रीय सुरक्षा गार्ड और रा ने आतंकी नेटवर्क को तोड़ने में सफलता हासिल की। साइबर हमलों के खिलाफ भारत ने सीईआरटी-इन को मजबूत किया।
मानवीय और सामाजिक उपाय : कश्मीर में विकास कार्यक्रम (पीएमडीपी) और शिक्षा पहल आतंकवाद को कम करने में मदद कर रहे हैं। संयुक्त राष्ट्र ने आतंकवाद पीड़ितों के लिए वीओटीएएन नेटवर्क शुरू किया।
चुनौतियां और भविष्य :
क्षेत्रीय अस्थिरता : भारत-पाकिस्तान तनाव और मध्य पूर्व में संघर्ष वैश्विक शांति के लिए खतरा।
आतंक का बदलता स्वरूप : साइबर आतंकवाद, नार्को-आतंकवाद, और जैव आतंकवाद नए खतरे।
भारत की रणनीति : आतंकवाद के खिलाफ बर्दाश्त नहीं करने की नीति।
पाकिस्तान के दुष्प्रचार का जवाब देने के लिए सूचना युद्ध और साइबर रक्षा को मजबूत करना।
निष्कर्ष : चल रहे युद्ध और आतंकवाद जटिल और बहुआयामी हैं। रूस-यूक्रेन युद्ध और इजराइल-हमास/हिजबुल्लाह संघर्ष वैश्विक स्थिरता को प्रभावित कर रहे हैं, जबकि भारत-पाकिस्तान तनाव, विशेष रूप से पहलगाम हमले के बाद, क्षेत्रीय सुरक्षा के लिए चुनौती है। जवाबी कार्रवाइयों में सैन्य, कूटनीतिक, और खुफिया उपाय शामिल हैं, लेकिन दीर्घकालिक समाधान के लिए मानवीय सहायता, बातचीत, और आतंक के मूल कारणों (गरीबी, कट्टरपंथ) को संबोधित करना आवश्यक है। भारत ने आतंकवाद के खिलाफ मजबूत रुख अपनाया है।
सत्ता बनाम समूह
लगभग सभी महाद्वीपों में संघर्ष और युद्ध का दौर चल रहा है।
मध्य पूर्व और उत्तरी अफ्रीका, 45 से अधिक सशस्त्र संघर्ष :
संख्या की दृष्टि से यह सबसे अधिक प्रभावित क्षेत्र है। वर्तमान में मध्य पूर्व और उत्तरी अफ्रीका के निम्नलिखित क्षेत्रों में 45 से अधिक सशस्त्र संघर्ष हो रहे हैं : साइप्रस, मिस्र, इराक, इजराइल, लीबिया, मोरक्को, फिलिस्तीन, सीरिया, तुर्की, यमन और पश्चिमी सहारा। इनमें से अधिकांश गैर-अंतरराष्ट्रीय (एनआइएसी) हैं, जिनमें सशस्त्र गैर-राज्यीय तत्त्व शामिल हैं तथा पश्चिमी शक्तियों, रूस और पड़ोसी देशों द्वारा हस्तक्षेप किया जाता है- मिस्र और तुर्की में होने वाले एनआइएसी को छोड़कर।
जिनेवा अकादमी में रिसर्च फेलो डा चियारा रेडेली बताती हैं, सीरिया इस क्षेत्र में सबसे अधिक प्रभावित देश है। देश में कई बहुविध और अतिव्यापी एनआइएसी हो रहे हैं- जिसमें कई सशस्त्र समूह शामिल हैं जो सरकार और एक-दूसरे के खिलाफ लड़ते हैं। साथ ही दो सैन्य कब्जे और तीन अंतरराष्ट्रीय सशस्त्र संघर्ष भी हो रहे हैं। सीरिया में पूर्व राष्ट्रपति असद की सत्ता पलट के बाद जिस समूह ने सत्ता प्राप्त की, उसके खिलाफ असद समर्थकों ने संघर्ष छेड़ रखा है।
अफ्रीका : 35 से अधिक
क्षेत्रवार सशस्त्र संघर्षों की संख्या के मामले में अफ्रीका दूसरे स्थान पर आता है, जहां 35 से अधिक गैर-अंतरराष्ट्रीय सशस्त्र संघर्ष (एनआइएसी) हो रहे हैं, जिनमें बुर्किना फासो, कैमरून, मध्य अफ्रीकी गणराज्य (सीएआर), कांगो लोकतांत्रिक गणराज्य, इथियोपिया, माली, मोजांबिक, नाइजीरिया, सेनेगल, सोमालिया, दक्षिण सूडान शामिल हैं। इन संघर्षों में कई सशस्त्र समूह शामिल हैं – जो सरकारी बलों या एक-दूसरे के खिलाफ लड़ रहे हैं।
पश्चिमी शक्तियां और पड़ोसी देश बुर्किना फासो, माली, मोजांबिक, नाइजीरिया और सोमालिया में होने वाले एनआइएसी में हस्तक्षेप कर रहे हैं। डा रेडेली ने रेखांकित किया कि सीएआर इस सूची में सबसे ऊपर है, जिसमें कई एनआइएसी हो रहे हैं। इन संघर्षों में कई सशस्त्र समूह शामिल हैं। सरकार विद्रोही समूहों की एक विस्तृत शृंखला के खिलाफ एनआइएसी में शामिल है, जिसमें एंटी-बालाका और पूर्व-सेलेका शामिल हैं। विभिन्न सशस्त्र समूहों के बीच आपसी लड़ाई के कारण समानांतर गैर-अंतरराष्ट्रीय सशस्त्र संघर्ष भी हैं।
एशिया : 21
एशिया में 19 गैर-अंतरराष्ट्रीय सशस्त्र संघर्ष (एनआइएसी) छिड़े हुए हैं, जिसमें 19 सशस्त्र समूह शामिल हैं। ये संघर्ष अफगानिस्तान, भारत, म्यांमा, पाकिस्तान और फिलीपींस में हो रहे हैं। इस क्षेत्र में दो अंतरराष्ट्रीय सशस्त्र संघर्ष भी हो रहे हैं। ये क्रमश: भारत और पाकिस्तान हैं। भारत और चीन के बीच कुछ समय पहले भिड़ंत हो चुकी है।
डॉ. चियारा रेडेली का मानना है, पाकिस्तान और फिलीपींस इस सूची में शीर्ष पर हैं, जहां प्रत्येक देश में छह एनआइएसी हैं। पाकिस्तान में, सरकारी बल पूरे क्षेत्र में सक्रिय विभिन्न सशस्त्र समूहों, विशेष रूप से संघ प्रशासित जनजातीय क्षेत्रों में तालिबान से जुड़े समूहों और बलूचिस्तान में स्वतंत्रता सेनानियों से लड़ रहे हैं। फिलीपींस में, अधिकांश एनआइएसी मिंडानाओ क्षेत्र में हो रहे हैं, जहां सरकारी बल कई सशस्त्र समूहों के खिलाफ लड़ रहे हैं।
यूरोप : सात
यूरोप में होने वाले सशस्त्र संघर्षों में से अधिकांश निम्नलिखित सैन्य कब्जे हैं, सात संघर्षों में से चार : रूस वर्तमान में क्रीमिया (यूक्रेन) , ट्रांसनिस्ट्रिया (मोल्दोवा) , साथ ही दक्षिण ओसेशिया और अब्खाजिया (जार्जिया) पर कब्जा कर रहा है, जबकि आर्मेनिया नागोर्नो कराबाख (अजरबैजान) के कुछ हिस्सों पर कब्जा कर रहा है । यूरोप यूक्रेन और रूस के बीच एक अंतरराष्ट्रीय सशस्त्र संघर्ष (आइएसी) और यूक्रेन में दो गैर-अंतरराष्ट्रीय सशस्त्र संघर्ष (एनआइएसी) हो रहे हैं, जो पूर्वी यूक्रेन में डोनेट्स्क और लुहांस्क के स्व-घोषित पीपुल्स रिपब्लिक के साथ सरकारी बलों का विरोध करते हैं। रूस के यूक्रेन पर आक्रमण ने क्षेत्र में सशस्त्र संघर्षों के वर्गीकरण को नहीं बदला। वास्तव में, आइएचएल मानदंडों के अनुसार, 2014 से रूस और यूक्रेन के बीच एक आइएसी और यूक्रेन में दो एनआइएसी हो चुके हैं।
लैटिन अमेरिका : छह
इस क्षेत्र में हो रहे छह गैर-अंतरराष्ट्रीय सशस्त्र संघर्ष मैक्सिको और कोलंबिया के बीच समान रूप से विभाजित हैं। कोलंबिया ने आधुनिक समय में सबसे लंबे समय तक गैर-अंतरराष्ट्रीय सशस्त्र संघर्षों (एनआइएसी) में से एक का अनुभव किया है और अभी भी तीन एनआइएसी हो रहे हैं। मेक्सिको में तीन एनआइएसी हैं, जिनमें गिरोहों के ‘ड्रग कार्टेल’ शामिल हैं।
डा चियारा रेडेली ने कहा, यह पहली बार है जब हम आपराधिक संगठनों से जुड़ी सशस्त्र हिंसा को एनआइएसी के रूप में वर्गीकृत कर रहे हैं।
(स्रोत : जिनेवा अंतरराष्ट्रीय मानवीय कानून और मानवाधिकार अकादमी)
पांच वर्षों में दोगुने संघर्ष
जनवरी 2024 में 10 देशों में संघर्ष का चरम स्तर था- म्यांमा, सीरिया, फिलिस्तीन, मैक्सिको, नाइजीरिया, ब्राजील, कोलंबिया, हैती, यमन और सूडान। दिसंबर 2024 के संघर्ष सूचकांक की रपट बताती है कि पिछले पांच वर्षों में, संघर्ष का स्तर लगभग दोगुना हो गया है। यह काफी हद तक उस समय के दौरान शुरू होने या फिर से शुरू होने वाले तीन बहुत बड़े संघर्षों – यूक्रेन, गाजा और म्यांमा के कारण है। साथ ही सूडान, मैक्सिको, यमन और साहेल देशों सहित संघर्ष की उच्च दर वाले कई अन्य देशों में जारी हिंसा के कारण है। गाजा में इन हताहतों में कम से कम 21.5 फीसद का योगदान था। एमईएन क्षेत्र में मौत में 315 फीसद की वृद्धि हुई।
गाजा और यूक्रेन में अमेरिका की गहरी संलिप्तता है। अमेरिका अक्सर अपने प्रमुख संघर्षों को भी युद्ध के रूप में वर्गीकृत नहीं करता है, जिनमें हर साल कम से कम 1,000 मौत होती हैं। इराक, अफगानिस्तान, फारस की खाड़ी, कोरिया, वियतनाम के बड़े संघर्ष युद्ध के रूप में वर्गीकृत होने से बच गए हैं।
जानकारों को आशंका है कि 2025 में इजराइल, गाजा, वेस्ट बैंक, लेबनान, ईरान, इराक, सीरिया, यमन, म्यांमा, मैक्सिको, बुर्किना फासो, माली, नाइजर, सूडान, यूक्रेन, कोलंबिया, पाकिस्तान, रवांडा, डेमोक्रेटिक रिपब्लिक आफ कांगो, युगांडा और बुरुंडी में हालात और खराब हो जाएंगे। अमेरिका ने इनमें से कई देशों को पहले ही उकसाया है।
2022 में अमेरिका ने अकेले यूक्रेन को 18.1 अरब डालर के हथियार दिए। 2023 में यह बढ़कर 80.9 अरब डालर हो गया। दुनिया भर में बिक्री 238 अरब डालर की थी, जिसमें से 81 अरब डालर के लिए अमेरिकी सरकार ने सीधे बातचीत की, जो 2022 से 56 फीसद की वृद्धि है। 2023 में अमेरिका ने इजराइल को 21.2 अरब डालर दिए; 2024 में यह बढ़कर 42.76 अरब डालर हो गया।