आमतौर पर हड्डियों की समस्या उम्र बढ़ने के साथ शुरू होती है। जब शरीर में कैल्शियम की कमी होने लगती है और हड्डियों में खोखलापन आने लगता है, तब मुश्किलें और बढ़ जाती हैं। मगर आजकल जिस तरह से खानपान में बदलाव आ रहा है और जीवन शैली बदल रही है, उसमें बहुत सारे युवाओं में भी हड्डियों की समस्या देखी जाती है।
जो लोग खेल-कूद में हिस्सा लेते हैं, अधिक वर्जिश वगैरह करते हैं, उनकी हड्डियों में भी कई बार परेशानी पैदा हो जाती है। हड्डियों की परेशानी कई तरह से पैदा होती है। जोड़ों में जगह बन जाने की वजह से भी दर्द रहने लगता है। आजकल जिस तरह लोगों का ज्यादातर समय मोबाइल फोन और कंप्यूटर पर बीतने लगा है, उससे गर्दन का आगे की तरफ झुकाव देर तक रहता है, जिससे गर्दन के जोड़ों में अंतर पैदा हो जाता है और दर्द बना रहता है। यही स्थिति कमर की भी है। जिन लोगों का वजन अधिक है, उनके घुटनों में परेशानी पैदा हो जाती है। ये समस्याएं अब आम होती जा रही हैं। इसलिए हड्डियों की सेहत को लेकर ज्यादा सावधान रहने की जरूरत है।
कारण
- हड्डियों का दर्द चोट या दूसरी परिस्थितियों के कारण होता है, जैसे- बोन कैंसर (प्राथमिक मैलिग्नेंसी) या वह कैंसर जो हड्डियों तक फैल चुका हो (मेटास्टेटिक मैलिग्नेंसी)।
- हड्डियों को रक्त की आपूर्ति में अवरोध (जैसा कि सिकल सेल एनीमिया में होता है)।
- हड्डियों में संक्रमण (आस्टियोमायलिटिस) ल्यूकेमिया (रक्त कैंसर)
- हड्डियों में खनिज की कमी (आस्टियोपोरोसिस)
- अधिक श्रम
- जिन बच्चों ने अभी चलना सीखा हो, उनकी हड्डियां टूटना।
जोड़ों का दर्द चोट या अन्य कारणों से हो सकता है, जैसे- आर्थराइटिस-आस्टियो आर्थराइटिस, रयूमेटायड आर्थराइटिस, एसेप्टिक नेक्रोसिस, बर्साइटिस आस्टियोकोंड्राइटिस सिकल सेल रोग (सिकल सेल एनीमिया)। - स्टेरायड दवाएं छोड़ने के बाद, कार्टिलेज फटना, जोड़ों का संक्रमण, मोच आदि भी इसके कारण हो सकते हैं।
लक्षण - चलने, खड़े होने, हिलने-डुलने और यहां तक कि आराम करते समय भी दर्द।
- सूजन
- चलने पर जोड़ों का बंद (लाक) हो जाना
- जोड़ों का कड़ापन, खासकर सुबह में या यह पूरे दिन रह सकता है
- अगर बुखार, थकान और वजन घटने जैसे लक्षण हों, तो कोई गंभीर अंदरूनी या संक्रामक बीमारी हो सकती है। इस संबंध में आपको डाक्टर से सलाह लेनी चाहिए।
जांच और रोग की पहचान
डाक्टर रोग की पहचान करने के लिए आपके चिकित्सीय इतिहास के विषय में पूछेगें और शारीरिक जांच करेंगे। चिकित्सीय इतिहास में दर्द की जगह, दर्द के समय तरीके और किसी भी अन्य संबंधित तथ्य से जुड़े सवाल पूछे जा सकते हैं। निम्नलिखित में से कोई एक या अधिक जांच की जा सकती है- - रक्त का अध्ययन (जैसे- सीबीसी, ब्लड डिफेरेंशियल)
- हड्डियों और जोड़ों का एक्स-रे, जिसमें हड्डियों का एक स्कैन शामिल है
- हड्डियों और जोड़ों का सीटी या एमआरआइ स्कैन
- हार्मोन के स्तर का अध्ययन
- पिट्यूटरी और एड्रीनल ग्रंथि की कार्यक्षमता का अध्ययन
- पेशाब का अध्ययन
उपचार - जोड़ों के दर्द को नजरअंदाज नहीं करना चाहिए। अगर आपकी समस्या सामान्य है, तो आप ओटीसी दर्द निवारकों का उपयोग कर सकते हैं। लेकिन अगर दर्द लगातार बना हुआ है या किसी चोट, कटने या सर्जरी के बाद शुरू हुआ है, तो डाक्टर से मिलें।
- आराम करें और गर्म सेंक दें। साधारण चोट या मोच में आराम और सामान्य दर्द निवारकों और गर्म सेंक से राहत मिलती है।
व्यायाम
सामान्य हल्के व्यायाम आर्थराइटिस या फाइब्रोमाइल्जिया के रोगियों में जोड़ों की गतिशीलता बढ़ाने, दर्द घटाने और दुखती, कड़ी मांसपेशियों को आराम पहुंचाने में मदद करते हैं। अगर ये उपाय आपको राहत नहीं दे पाते तो डाक्टर से मिलें।
(यह लेख सिर्फ सामान्य जानकारी और जागरूकता के लिए है। उपचार या स्वास्थ्य संबंधी सलाह के लिए विशेषज्ञ की मदद लें।)