दिल्ली के पूर्व उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया का कहना है कि शराब घोटाला भाजपा की लिखी मनोहर कहानी है जो आम आदमी पार्टी के अस्तित्व को खत्म करने के इरादे से लिखी गई। उनका आरोप है कि भाजपा को पता था कि उसकी दो सौ सीटें भी नहीं आएंगी इसलिए जिसे भी जेल में भेज सकते हो भेज दो। ऐसा उदाहरण कहीं भी नहीं मिलता कि एक कानून को राजनीतिक उगाही का जरिया बना कर किसी पार्टी के पूरे नेतृत्व को ही जेल भेज दिया जाए। दिल्ली के स्कूल से लेकर अस्पतालों को भाजपा शासित राज्यों से बेहतर बताते हुए उन्होंने दावा किया कि हरियाणा विधानसभा चुनाव में पार्टी का प्रदर्शन अच्छा होगा। नई दिल्ली में सिसोदिया के साथ कार्यकारी संपादक मुकेश भारद्वाज की विस्तृत बातचीत के चुनिंदा अंश।

कैसा लग रहा है खुली हवा में सांस लेकर?
मनीष सिसोदिया: बहुत ज्यादा ऊर्जा महसूस कर रहा हूं। हवा तो वहां भी थी, लेकिन आसमान सीमित था। जेल परिसर की दीवारों के बीच लगता था कि दुनिया इतनी ही है। सत्रह महीने बहुत लंबा समय होता है।

विधानसभा चुनाव भी आने वाले हैं दिल्ली में। ऊर्जा की यह भी तो एक वजह नहीं?
मनीष सिसोदिया: अभी तो बाहर आया ही हूं। उसके लिए तो ऊर्जा चाहिए ही। मेरे कहने का मतलब है कि एक पूरी साजिश रच कर मुझे जेल भेजा गया। साजिश करने वालों की अपनी सोच होगी कि इसे पूरी तरह तोड़ देंगे, इसकी ऊर्जा खत्म कर देंगे। जेल जाने के बाद लगा कि मेरे पास दो विकल्प हैं या तो टूट जाऊं या अपने सिद्धांतों पर और भरोसा बढ़ाऊं। मुझे यकीन था मैं बाहर आऊंगा और उन लोगों को नाउम्मीद करूंगा जो मुझे टूटा हुआ देखना चाहते थे।

कैसे बनाए रखा अपना भरोसा?
मनीष सिसोदिया: जेल जैसी जगह पर जाकर, या जब भी कोई विपरीत परिस्थिति आती है तो आदमी या तो टूटता है या फिर मजबूती से खड़ा होता है। मेरे संस्कार, मेरा परिवार, मेरी पार्टी मेरे साथ थे। भगवान ने मुझे प्रेरणा दी कि सिर्फ उठना नहीं है, मजबूत भी होना है। जेल के समय का सदुपयोग पढ़ाई में किया। खूब किताबें पढ़ीं। पिछले दस-पंद्रह वर्षों से सक्रिय राजनीति में आने के बाद पढ़ने के लिए समय नहीं निकाल पाता था। खूब पढ़ा और ध्यान लगाया। मेरे पास जितनी किताबें थीं और जितनी मित्रों ने लाकर दी, जेल में मैं दस से ग्यारह घंटे किताबें पढ़ता था। इसके साथ ही ध्यान लगाया। मुझे लगता है कि दुनिया को भारत की ओर से ध्यान सबसे बेहतरीन तोहफा है। इसका खूब इस्तेमाल करना चाहिए।

जब आप बाहर आए तो आपके समर्थक सत्य की जीत बता रहे थे। लेकिन, आपके विरोधी कह रहे हैं कि आरोप अभी खत्म नहीं हुए हैं। किस दिशा में जाएगा आप पर लगा यह आरोप?
मनीष सिसोदिया: सुप्रीम कोर्ट ने जो फैसला दिया वह बहुत अहम है। इसके दूरगामी प्रभाव होंगे। एक तरह से कहिए कि भारतीय जनता पार्टी ने राजनीतिक उगाही के लिए कानून बना लिया। दुनिया भर में ‘पीएमएलए’ जैसे कानून हैं। दुनिया की अन्य जगहों पर इसका इस्तेमाल आतंकवादियों के मददगार, ड्रग माफिया के खिलाफ किया जाता है। लेकिन, हमारे यहां क्या हो रहा है? एक राजनीतिक दल जिसे जनता जिता भी रही है, जो केंद्रीय सत्ता के खिलाफ बोल रहा है, उसके खिलाफ ‘पीएमएलए’ का इस्तेमाल कर आप जेल में डाल देंगे। इसमें जमानत आसानी से नहीं मिलती है। जो भी आपके खिलाफ है आप उसे जेल में डाल रहे हैं। कभी आम आदमी पार्टी के नेताओं को डाला तो महाराष्ट्र में प्रवर्तन निदेशालय का डर दिखा कर राजनीतिक दलों को तोड़ दिया। चुनावी चंदे वाले मामले में कितना बड़ा खुलासा हुआ कि व्यापारियों को प्रवर्तन निदेशालय के नोटिस जाते थे। फिर चुनावी चंदा आ जाता था। सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद यह तानाशाही भरा माहौल खत्म होगा। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि आप बिना मुकदमा चलाए हवा-हवाई अंतहीन जेल में नहीं रख सकते हैं।

जेल जाने के बाद आप पर काफी हमला हुआ। आपके मुख्यमंत्री अभी जेल में ही हैं। आप शिक्षा के जिस विश्वस्तरीय ढांचे को लाने का दावा कर रहे थे उस पर भी हमला हुआ। आपके विरोधी क्या संदेश देना चाहते थे?
मनीष सिसोदिया: इनका पूरे देश में चंदे का जो धंधा चल रहा है सब उसी का खेल है। ये सभी को संदेश देना चाहते हैं। मनीष सिसोदिया जेल गए, अरविंद केजरीवाल जेल गए तो तुम्हारे राहुल गांधी और सोनिया गांधी भी जेल जा सकते हैं। ये संदेश देना चाहते थे कि तुम्हारे घर कभी भी कोई एजंसी पहुंच सकती है। हम किसी को भी जेल भेज सकते हैं। इन्हें अहंकार था कि ये भगवान से भी ऊपर हो गए हैं। लेकिन, सुप्रीम कोर्ट ने संदेश दे दिया कि तुम लोग भगवान नहीं हो। सबसे ऊपर संविधान है। और, सबसे ताकतवर तो देश की जनता है जिसने इन लोगों को संदेश दे दिया। लोकसभा चुनाव में इन्हें पटखनी दे दी। हम यही सुनते थे कि विपक्ष को जेल में डाला और मरवा दिया। ये ऐसा भी कर सकते हैं। ये देश भर के दलों से नेताओं को अपने में शामिल कर रहे हैं। क्या ये ईमानदारी से हो रहा है? नेताओं के पास नोटिस पहुंचते हैं और वे भजन करते हुए आकर भाजपा में शामिल हो जाते हैं।

दावा है कि आपको भी भाजपा में आने का आमंत्रण मिला था?
मनीष सिसोदिया: जी बिल्कुल। यह तो ऐतिहासिक उदाहरण है कि किसी पार्टी के पूरे नेतृत्व को ही उठा कर जेल में डाल दिया। इस मुसीबत की घड़ी में पार्टी एकजुट रही। हम लोग बंद मुट्ठी की तरह रहे। पार्टी की एकता हमारी बहुत बड़ी ताकत है।

एक पक्ष यह भी है कि 2014 में लोकसभा चुनाव के समय भाजपा के नेता दावा कर रहे थे कि हमारी सरकार आई तो छह महीने के अंदर राबर्ट वाड्रा जेल में होंगे। अब उन्हीं की हरियाणा सरकार ने कह दिया कि वाड्रा के खिलाफ कुछ नहीं है। लेकिन, इस दौरान व्यक्तिगत तौर पर जो नुकसान हो चुका होता है उसकी भरपाई किससे मांगी जाए?
मनीष सिसोदिया: नुकसान तो व्यक्तिगत से ज्यादा देश का हो रहा है, जनता का हो रहा है। जो लोग काम करने की कूवत रखते हैं उन्हें तोड़ा जा रहा है। इसलिए मैं कहता हूं कि इसके खिलाफ पूरे विपक्ष को इकट्ठा हो जाना चाहिए। लोकतंत्र की जरूरत किसे नहीं है? जो लोग उनके साथ चले गए हैं कायदे से लोकतंत्र की जरूरत तो उन्हें भी है। देश में लोकतंत्र को बचाना है तो लोगों को इसके खिलाफ इकट्ठा होना होगा। चुनाव के लिए नहीं लोकतंत्र के लिए इकट्ठे हो जाएं। कल तक जो चंद्रबाबू नायडू जेल में थे उन्हें इसी तानाशाही में डाला था। इस तानाशाही के खिलाफ एकजुट होना होगा।

जेल में कौन सी बात सबसे परेशान कर रही थी? कोई मलाल कि मेरा यह काम अधूरा रह गया?
मनीष सिसोदिया: मैं अखबार पढ़ता था और टीवी से सूचनाएं मिलती थीं। या फिर पत्नी से बात और मुलाकात होती थी तो यह पता चलना सुकूनदेह था कि मैंने जो काम शुरू किया उसके संतोषजनक नतीजे आ रहे हैं। जिन स्कूलों की बुनियाद रखी थी उनके उद्घाटन हो गए। बीस नए स्कूल शुरू हो गए, 18 स्कूल आफ एक्सीलेंस, स्पोर्ट्स स्कूल शुरू हो गया। रक्षा का स्कूल हमने बनाया था तैयारी के लिए, उसमें सरकारी स्कूल से आठ-आठ बच्चे सेकेंड लेफ्टिनेंट बन गए पहली ही बैच से। यह कमाल था। देश के किसी भी स्कूल में ऐसा नहीं हुआ होगा कि किसी स्कूल के 64 बच्चों में से 32 बच्चे एनडीए के लिए चुने गए। सरकारी स्कूलों से पढ़े बच्चे एनडीए की परीक्षा पास कर रहे हैं। यह सब देखना सुकूनदेह था।

पर भाजपा का आरोप है कि आम आदमी पार्टी की सरकार में दिल्ली के सरकारी स्कूलों की हालत काफी खराब हो गई है।
मनीष सिसोदिया: भाजपा यह बताए कि उसकी सरकार वाले राज्यों में कहां स्कूलों की हालत ठीक है? गुजरात सहित भाजपा शासित कोई भी राज्य उठा लीजिए। मैं सत्रह महीने जेल में रह कर आया हूं, उसके बाद भी चुनौती देता हूं भाजपा को कि आपका इतना लंबा शासन रहा है गुजरात में। आप अपने सौ बढ़िया स्कूलों के बारे में बताइए। मैं अपने आठ साल के शासन के स्कूलों को दिखा कर बता रहा हूं कि भाजपा शासित राज्यों के स्कूलों से बहुत बेहतर नतीजे दे रहे हैं। हमने देश की सेना में सामान्य परिवारों के आठ बच्चों को एक स्कूल से भेज दिया अफसर बना कर। हमारे स्कूलों के बच्चे आइआइटी और नीट की परीक्षा निकाल रहे हैं। भाजपा जनता को कुछ देना नहीं जानती। चुनी हुई सरकारों को अस्थिर करना ही इसका काम है। यह जनता का काम क्या करेगी जब जनता की चुनी हुई सरकार पर हमला करना इसका लक्ष्य बन गया है।

हरियाणा, पंजाब, महाराष्ट्र में चुनाव की तारीखों का एलान हो गया है। हरियाणा में आप पहले भी दखल दे चुके हैं। तो क्या रणनीति रहेगी आपकी खास कर हरियाणा में?
मनीष सिसोदिया: हमारी पार्टी की एक ही रणनीति है, जनता के लिए काम करना। राज्य सरकार चुनी जाती है, शिक्षा के लिए, स्वास्थ्य के लिए, नौकरियों के लिए, बिजली के लिए, पानी के लिए। हमने दिल्ली में यह सब जनता को दिया। दिल्ली के नतीजे देख जनता ने पंजाब में मौका दिया। पंजाब तो गहरे गड्ढे में डूबा हुआ था। वहां की शिक्षा व स्वास्थ्य व्यवस्था से लेकर सार्वजनिक परिवहन की व्यवस्था के लिए मान साहब ने बहुत काम किया है। सरकारी नौकरियों से लेकर निजी नौकरियां देने में हम आगे रहे हैं। हरियाणा की जनता के पास हम यही कह कर जा रहे हैं कि वहां भी ये सब देंगे। हमारी यही मजबूती है कि हमें इतना तोड़ा गया फिर भी दिल्ली से लेकर सभी जगह हमारा काम नहीं रुका।

हरियाणा में अकेले लड़ेंगे या ‘इंडिया’ गठबंधन के साथ किसी तरह का समझौता होगा?
मनीष सिसोदिया: इंडिया गठबंधन लोकसभा के लिए था। आगे इस पर क्या होगा मैं अभी कुछ पुख्ता नहीं कह सकता। मुझे पूरा भरोसा है कि एक महीने के अंदर हमारे मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल भी बाहर आ जाएंगे। अब हमारी पार्टी का राजनीतिक संकट खत्म होने वाला है।

तो क्या लोकसभा चुनाव में आम आदमी पार्टी का पंजाब में प्रदर्शन इसलिए अच्छा नहीं रहा क्योंकि इसका शीर्ष नेतृत्व जेल में था?
मनीष सिसोदिया: इनकी कोशिशें यही थी कि आम आदमी पार्टी के नेताओं को अंदर डालो और चुनाव जीतो। इन्हें भी पता था कि इनकी 200 सीटें भी नहीं आएंगी। इसलिए इन्होंने मुहिम चलाई पूरे देश में कि जिसे भी अंदर कर सकते हो कर दो।

पंजाब में आपके पुराने साथी ने आरोप लगाया कि आम आदमी पार्टी खालिस्तान समर्थक लोगों से मदद ले रही है?
मनीष सिसोदिया: बकवास करने के लिए कोई कुछ भी कर सकता है। पंजाब के लोग हम पर भरोसा कर हमें सरकार में लाए। इन हवा-हवाई आरोपों को क्यों तवज्जो दी जाए?

महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव को लेकर आम आदमी पार्टी की क्या रणनीति रहेगी?
मनीष सिसोदिया: मैं अभी तो बाहर आया हूं। मैं कहीं न कहीं दिल्ली को लेकर केंद्रित हूं। महाराष्ट्र में हमारी टीम है। लेकिन अभी मेरा वहां की टीम से कोई संवाद नहीं हुआ है। निश्चित रूप से पार्टी का विस्तार होगा। आम आदमी पार्टी से पूरे देश को उम्मीद है।

आरोप है कि आम आदमी पार्टी जिन सिद्धांतों को लेकर राजनीति में आई थी उससे पीछे हट गई है। उदाहरण के तौर पर अरविंद केजरीवाल के आवास का विवाद ही लीजिए।
मनीष सिसोदिया: केजरीवाल जी ने अपना निजी घर तो बना नहीं लिया। उपराज्यपाल से लेकर प्रधानमंत्री निवास तक हैं उनमें क्या-क्या हुआ किसने देखा? यह मुद्दों से भटकाने की राजनीति है। मुद्दा यह है कि जनता को स्कूल और अस्पताल मिल रहे हैं या नहीं? एक साल के अंदर दो करोड़ लोगों ने मोहल्ला क्लीनिक में इलाज करवाया है। जनता से जाकर पूछिए कि केजरीवाल ने चार कमरों के घर की जगह एक कमरा और बनवा लिया तो वह यही कहेगी कि यह सब बकवास छोड़िए। केजरीवाल सरकार हमारा इलाज करवा रही है, बच्चों की पढ़ाई का इंतजाम कर रही है, हमारे घर में बिजली का बिल शून्य आ रहा है। स्कूल, अस्पताल नहीं बनवाए हों तो शिकायत करें।

फिर जनकल्याणकारी योजनाओं के उलट ‘आप’ का अस्तित्व शराब घोटाले से कैसे जुड़ गया?
मनीष सिसोदिया: यह भाजपा की साजिश है कि अरविंद केजरीवाल की कट्टर ईमानदार छवि को बर्बाद किया जाए। कश्मीर से लेकर कन्याकुमारी तक कहीं किसी ढाबे पर बैठ जाइए तो लोग कहेंगे केजरीवाल जी अपना काम कर रहे हैं। भाजपा ने एक मनोहर कहानी बनाई और हमारे ऊपर चिपकाने की कोशिश की। अफसोस मुझ पर भी यह कहानी चिपक नहीं पाई। मेरे बारे में सोचा कि आठ साल से वित्त मंत्री है, सत्तर हजार करोड़ का बजट देख रहे थे। पता नहीं इसके पास से क्या-क्या मिलेगा? इन्हें मेरे लाकर से वो झुनझुना मिला जो मेरे बच्चे के पैदा होने के बाद उसकी नानी ने दिया था। छोटी सी दो चांदी की गणेश की मूर्ति मिली।

अरविंद केजरीवाल के जेल जाने के बाद पार्टी ने सुनीता केजरीवाल को एक भूमिका दी। उसका क्या राजनीतिक संदेश था?
मनीष सिसोदिया: सुनीता केजरीवाल बहुत पढ़ी-लिखी जहीन महिला हैं। वे हमेशा अरविंद जी के पीछे खड़ी रहीं। अरविंद जी के जेल जाने के बाद पहली जरूरत यह थी कि उनका संदेश जनता तक पहुंचे। हमें गर्व है कि उन्होंने इस आपात स्थिति को इतने अच्छे से संभाला। अरविंद जी के बाहर आने के बाद स्थिति बदल जाएगी।

आप दावा कर रहे हैं कि भाजपा की विधानसभा चुनाव में जमानत जब्त हो जाएगी? इस भरोसे का क्या आधार है?
मनीष सिसोदिया: मैं पूरे दावे के साथ कह रहा हूं कि भाजपा का बुरा दौर आने वाला है। दिल्ली छोड़ दीजिए पूरे देश में उसका बुरा दौर चल रहा है।

अगर अरविंद केजरीवाल को बाहर आने में लंबा समय लग गया तो क्या आप दिल्ली की कमान संभाल सकते हैं?
मनीष सिसोदिया: अरविंद जी पर हनुमान जी की विशेष कृपा है। वे एक महीने के अंदर बाहर आ जाएंगे।

जेल से सरकार चलाना ऐसा चुनिंदा उदाहरण है जो नैतिक सवाल उठाता है। हेमंत सोरेन ने भी इस्तीफा दे दिया था।
मनीष सिसोदिया: यह भी तो चुनिंदा उदाहरण है कि केंद्र किसी मौजूदा मुख्यमंत्री पर झूठे आरोप लगा कर जेल में भेज दे। किसी को घर से उठा लाए और कहे कि तुम्हारा बाप केजरीवाल के खिलाफ बयान देगा तो तुम्हें छोड़ देंगे। फिर कोर्ट में कह दो हम तो ऐसे ‘लालीपाप’ देते रहते हैं। ‘लालीपाप स्टेटमेंट’ दिलवाओ और किसी को भी जेल के अंदर भेज दो। ‘लालीपाप स्टेटमेंट’, जेल व बेल के खेल से किसी सरकार को अस्थिर करने का इतना अनैतिक काम भी तो इस देश में पहले कभी नहीं हुआ था। इस्तीफा तो इन अनैतिक काम करने वालों को देना चाहिए जो एक लोकतांत्रिक तरीके से चुनी हुई स्थिर सरकार के खिलाफ साजिश करते हैं।

प्रस्तुति : मृणाल वल्लरी
विशेष सहयोग: सुरेंद्र सिंघल