मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री मोहन यादव का कहना है कि जनता सिर्फ नरेंद्र मोदी के चेहरे पर वोट नहीं देती। वह इसलिए वोट देती है क्योंकि मोदी उपनाम सुशासन और सुव्यवस्था का प्रतीक बन गया है। वे पूछते हैं कि गांधी परिवार का कोई सदस्य कभी दिल्ली, नोएडा या गुड़गांव से चुनाव क्यों नहीं लड़ता है? क्यों वे लोग सुदूर का विकास शून्य और अल्पसंख्यक बहुल इलाका चुनते हैं? भाई की सुरक्षित छोड़ी गई सीट पर बहन का लड़ना लोकतंत्र के लिए लड़ना कैसे हो सकता है? उनका कहना है कि दोहरा इंजन किसी राजनीतिक वर्चस्ववाद नहीं बल्कि जनता के भरोसे का शब्द है। दोहरा इंजन विकास का प्रतीक बन गया है। नई दिल्ली में मोहन यादव से कार्यकारी संपादक मुकेश भारद्वाज की विस्तृत बातचीत के चुनिंदा अंश।
मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री के तौर पर आपका नाम चौंकाने वाला रहा था। आज थोड़ा पीछे जाकर जानना चाहेंगे, आपके लिए कैसा रहा था वह पल?
मोहन यादव: अगर कोई अध्यापक से प्रधानाचार्य तक का सफर तय कर रहा तो उसमें चौंकने वाली क्या बात है? मैं कई वर्षों तक कई पदों पर रहा। 2013 से 2018 तक विधायक रहा। 2020 से 2024 तक शिक्षा मंत्री रहा तो स्वाभाविक रूप से आगे मुख्यमंत्री बन सकता हूं। क्या आप अब भी मुख्यमंत्री के रूप में मेरे नाम को चौंकाने वाला नाम बोलेंगे?
लोकसभा चुनाव में जब राजग को कड़ी टक्कर मिली तो मध्य प्रदेश जैसे राज्य ने सियासी फिजा बदल दी। मध्य प्रदेश के नायकत्व की बड़ी भूमिका रही तीसरी बार राजग सरकार बनने में। इस सूबे में क्या खास रणनीति रही भाजपा की?
मोहन यादव: हमने मोदी जी के उद्देश्य को जमीन पर उतारा था। पिछड़ा और अति पिछड़ा वर्ग के अलावा समाज के सभी वर्गों को साथ लेकर चलने का नारा था। हम उसे जमीन पर उतारने में सफल रहे। सरकार की योजनाओं का जनता को लाभ मिलता रहा। कांग्रेस आरोप लगाती रही कि विधानसभा चुनाव तक सारी योजनाएं बंद हो जाएंगी। एक भी योजना हमने बंद नहीं होने दी, बल्कि उसकी राशि बढ़ा दी। हमने संगठन की संरचना और सरकार की सुव्यवस्था दोनों में तालमेल किया। सारी जनहित योजनाओं को जारी रखा। अपनी पार्टी की एकजुटता के बलबूते, सरकार की अच्छाइयों के दम पर आगे बढ़े। लोकसभा में नरेंद्र मोदी जी का नाम पर्याप्त था। छिंदवाड़ा जैसी जगह पर जहां कांग्रेस ने आपातकाल जैसे समय में भी जीत हासिल की थी, हमने वहां एक लाख से ज्यादा वोट से जीत कर दिखाया। जनता के बीच में व्यवस्था को सुव्यवस्था में बदल कर हमने चुनाव जीता।
भाजपा का हिंदुत्व पर जोर रहा है और एक छवि सामने आती है कि वह अल्पसंख्यकों की पार्टी नहीं है। इस खास तबके का भरोसा जीतने के लिए क्या किसी खास रणनीति की जरूरत महसूस कर रहे हैं?
मोहन यादव: मैं बिल्कुल भी सहमत नहीं हूं इस आरोपनुमा सवाल से। मध्य प्रदेश में अल्पसंख्यकों की आबादी बढ़ी है। लेकिन यहां किसी तरह की दिक्कत नहीं हुई। दिक्कत नहीं होने की एकमात्र यही वजह है कि हमने हिंदू और मुसलमान में कोई भेद नहीं किया है। आप उज्जैन का वीडियो देखिए, मुसलमान अपने हाथ से मस्जिद का अतिक्रमण हटा रहे हैं। हिंदू अपने हाथ से मंदिर का अतिक्रमण हटा रहे हैं। हमने कुछ नहीं किया। हम दूर खड़े हैं। लेकिन दोनों समुदाय अपने-अपने अतिक्रमण खुद हटा रहे हैं। अब बताइए, इससे अच्छी बात और क्या हो सकती है?
और राज्यों में यह रणनीति क्यों नहीं लागू करते?
मोहन यादव: मैं तो अपने राज्य की ही बात करूंगा। हमने हजारों लाउडस्पीकर हटवाए। सुप्रीम कोर्ट के फैसले का पालन सबको करना है। हमारी जनता फैसले का पालन कर रही है। यह सत्ता और जनता का सहसंबंध है। कहीं कोई दिक्कत नहीं है।
जाति जनगणना को कांग्रेस ने सबसे बड़ा मुद्दा बना रखा है। आप इस मुद्दे को कैसे देखते हैं?
मोहन यादव: कांग्रेस ने हमेशा झूठ बोलने की राजनीति की है। आप बताइए कि जाति जनगणना को सबसे पहले प्रतिबंधित किसने किया? जवाहरलाल नेहरू ने प्रतिबंधित किया न? नेहरू जी के बाद उनकी बेटी ने लंबे समय तक सरकार चलाई। फिर राजीव गांधी आए, सोनिया गांधी ने मनमोहन सिंह के माध्यम से सरकार चलाई। जाति जनगणना को रोका किसने? उन्होंने ही रोका था न? अब तक गणना करने से किसने रोका था? लेकिन सरकार के जाते ही वोट का आधार बनाने के लिए ये जाति जनगणना की बात कर रहे हैं। ये तो उसी तरह झूठ है, जैसे गरीबी हटाओ का नारा कांग्रेस ने दिया। लेकिन गरीबी तो हटी नहीं आज तक।
मध्य प्रदेश में परिसीमन की जरूरत क्यों महसूस की थी?
मोहन यादव: हमारे यहां बहुत नए जिले बन गए। लेकिन जिलों का युक्तिकरण नहीं हुआ। जिले की कोई तो बुनियाद होनी चाहिए। आबादी हो, भौगोलिक क्षेत्र हो। उनकी समानता में उन्नीस-बीस का अंतर हो सकता है। लेकिन कहीं पांच लाख का, कहीं 35 लाख का अंतर था तो ये विसंगति है। हमने नए जिले बनाने के पहले प्रदेश का युक्तीकरण करने का फैसला किया। हमें इस बात की प्रसन्नता है कि हमने इसे लागू कर दिया।
यह व्यवस्था आगे की राह आसान करेगी?
मोहन यादव: अगली बार तो हमारे लिए और आसान हो जाएगा जब महिलाओं को 33 फीसद आरक्षण मिलेगा। सीटें बढ़ेंगी। परिसीमन होगा। यह हमारे बहुत काम आएगा जिसके आधार पर हम गंभीरता से अपनी बात को सामने लाएंगे।
भाजपा की शैली की बात करें तो अब मुख्यमंत्री सिर्फ अपने राज्य तक महदूद नहीं रह गए हैं। चाहे योगी आदित्यनाथ हों या धामी या आप। सभी चेहरों का अखिल भारतीय विज्ञापन व्यक्तित्व की तरह इस्तेमाल होता है। इसके साथ ही भाजपा पर एक बड़ा आरोप है कि इसके शासन में सीबीआइ, ईडी जैसी संस्थाओं का इस्तेमाल विपक्ष को कुचलने के लिए होता है। इस आरोप को आप कैसे देखते हैं?
मोहन यादव: कानून सबके लिए बराबर है। यह मोदी जी की विशेषता है कि किसी भी तरह के भ्रष्टाचार, अपराध के लिए शून्य सहिष्णुता है। गलत कोई भी करेगा उसके खिलाफ प्रस्ताव पारित होगा। पुराना जमाना ऐसा था कि सिर्फ विपक्ष पर कार्रवाई होती थी। विपक्ष के अलावा किसी पर कार्रवाई नहीं होती थी। पर अब समय बदल गया है। हर गलत पर बराबरी से कार्रवाई होगी। सवाल है कि कांग्रेस इसका ढोल क्यों बजा रही है? कांग्रेस ने तो सीबीआइ का सदैव दुरुपयोग किया है। आपातकाल में कितने लोगों को जेल भेजा कांग्रेस ने? कांग्रेस अपना पाप दूसरों के सिर कैसे डाल सकती है? आज अगर देश आर्थिक रूप से आगे बढ़ा है तो इसका बड़ा कारण कर चोरी पर कठोरता से होने वाली कानूनी कार्रवाई है। सभी प्रकार के आय के साधन जीएसटी के माध्यम से बनाए गए हैं। मोदी जी ने इस कानून को बनाया तो कानून को लागू करने की जिम्मेदारी भी उन्हीं की है। प्रधानमंत्री मोदी जी बहुत साफ-सुथरे व्यक्ति हैं। कानून जिस पर कार्रवाई करेगा उसे कार्रवाई की पीड़ा तो होगी ही चाहे वो गलत ही क्यों न हो।
केंद्र से लेकर राज्य तक की राजनीति में नरेंद्र मोदी के चेहरे पर निर्भरता है। इसका कभी नुकसान भी तो हो सकता है?
मोहन यादव: इसका जवाब हमेशा मोदी जी ने दिया है। भारतीय जनता पार्टी दुनिया का सबसे बड़ा राजनीतिक दल है। मोदी जी सुशासन की बात करते हैं। हमारे लिए मुखिया के नाते तो मोदी जी हैं। लेकिन उन्होंने सदैव व्यवस्था के नाम पर वोट मांगे हैं। उन्होंने सुशासन से वोट पाए हैं। भाजपा की कार्यशैली से लोगों को जोड़ा है। इसलिए उनकी अगुआई में भाजपा दुनिया की सबसे बड़ी राजनीतिक पार्टी बन गई। उनके सुशासन की देन है कि आज सबने अपनी कार्यशैली बदली है। पारदर्शिता को सामने ले आए हैं। सुशासन शब्द को तवज्जो दी है। सबसे बड़ी बात है कि भ्रष्टाचार पर नियंत्रण हुआ है। इसी सब के नाम पर जनता जुड़ती है। जनता सिर्फ चेहरे के नाम पर नहीं जुड़ती है। नरेंद्र मोदी के नाम के पहले सुशासन आ जाता है। जनता इसे मोदी सरकार इसलिए कहती है क्योंकि यह उपनाम सुशासन का प्रतीक बन गया है।
आरोपों के दायरे में इलेक्ट्रानिक वोटिंग मशीन है। हालिया चुनावों के बाद इस पर सख्त सवाल उठा रहा विपक्ष।
मोहन यादव: ईवीएम से अच्छा शासन का कोई तरीका नहीं है। आज पूरी दुनिया की नजर डिजिटलीकरण पर है। कोविड संक्रमण के दौरान एप के माध्यम से टीके लगाए गए थे। एप के जरिए इतनी बड़ी जनसंख्या तक इलाज पहुंचा। कांग्रेस के पास कई हथकंडे हैं जिसके जरिए उसने जनता को बरसों तक बेवकूफ बनाया। ईवीएम को शक के दायरे में ले आना उसका नया हथकंडा है। सब तरह के प्रयोग के बाद ईवीएम अस्तित्व में आया। इसे ही सबसे अच्छा माना गया। पहले मतपेटियां लूट ली जाती थीं। देश के कई राज्यों में कितने बड़े पैमाने पर हिंसा होती थी। बिना हिंसा के साफ-सुथरे तरीके से चुनाव होना गलत कैसे हो गया? ये अपनी हार का ठीकरा कहां पर फोड़ते? आप बताइए, कर्नाटक जीत रहे हैं, हिमाचल जीत रहे हैं तो आप ईवीएम से जीत रहे हैं न? जम्मू-कश्मीर में कौन जीता? झारखंड में कौन जीता? दो राज्य में से एक आप जीत रहे हैं तो गलत क्या है? अगर ईवीएम से ही जीतना होता तो क्या वहां पर हम नहीं जीत रहे होते? उनकी बात का जवाब उनको ही मिल रहा है न। अपनी कमजोरी को दूसरे तरीके से निकालना अच्छा नहीं है।
आप परिवारवाद को कैसे देखते हैं? संसद में प्रधानमंत्री ने भी इसके बारे में बोला। भाजपा ने इसे बड़ा मुद्दा बना रखा है।
मोहन यादव: प्रधानमंत्री जी ने परिवारवाद को लेकर बहुत जरूरी चिंता जताई। राहुल गांधी पहले दो सीटों पर लड़ते हैं और फिर एक सीट अपनी बहन के लिए छोड़ देते हैं। इसके बाद कहते हैं कि लोकतंत्र के लिए काम कर रहे हैं। तो वे परिवार के लिए काम कर रहे हैं या लोकतंत्र के लिए काम कर रहे हैं? एक सवाल यह भी है कि नेहरू जी, राजीव जी से लेकर सोनिया गांधी जी तक ने कभी दिल्ली से चुनाव क्यों नहीं लड़ा? राहुल और प्रियंका गांधी दिल्ली से क्यों नहीं लड़ते? ये सब रहते तो दिल्ली में हैं न? दूरस्थ ग्रामीण अंचल में विकासशून्य वाली जगह पर, मुसलिम बहुल सीट पर चुनाव क्यों लड़ते हैं? आपको तो इस पर बोलना भी नहीं चाहिए। आप नोएडा या गुड़गांव की सीट पर क्यों नहीं लड़ते हैं?
आपके खेमे में सिंधिया परिवार तो है?
मोहन यादव: सिंधिया जी का तो खानदान भाजपा के साथ उनकी माताजी के जमाने से था। राजमाता जी ने डंके की चोट पर कांग्रेस के प्रचंड बहुमत की परवाह न कर स्वाभिमान के बलबूते राजनीति की। उस समय भी उन्होंने कांग्रेस को चुनौती देते हुए राजनीति में अपना परचम लहराया। राजमाता जी को जेल भी जाना पड़ा। सारे कष्ट उठाने के बाद भी राजमाता जी ने जनसंघ के जमाने से भारतीय जनता पार्टी के विचारधारा की रक्षा की है।
उज्जैन सिंहस्थ की क्या तैयारी है?
मोहन यादव: पूरी तैयारी है। सड़कों को फोरलेन कर रहे हैं। रेलवे नेटवर्क से लेकर नदी में स्नान करने के घाट बन रहे हैं। यहां की व्यवस्था देखने लायक होगी।
गलियारे के निर्माण में जो समस्या हुई थी?
मोहन यादव: हर जगह अब पत्थर की मूर्तियां लगवाई जा रही हैं। इस पर बहुत काम हो रहा है।
श्रीकृष्ण-पाथेय योजना के पीछे क्या मकसद है?
मोहन यादव: भगवान राम, भगवान कृष्ण के अतीत के गौरवशाली पक्ष को समाज के सामने लाने की जरूरत है। भगवान कृष्ण ने कंस को मारा तो सत्ता पर नहीं बैठे। सत्ता ही सब कुछ नहीं होती। नैतिकता बड़ी बात है। भगवान राम को याद करके हम सबरी से संबंध जोड़ते हैं कि आदिवासी अंचल की महिला से जूठे बेर खाकर मानवता को स्थापित किया। श्रीकृष्ण-पाथेय हमारे गौरवशाली, मानवतावादी अतीत से वर्तमान को जोड़ने का पथ है।
गाय भारतीय संस्कृति का अहम हिस्सा रही है। कांग्रेस के ऐसे नेताओं को जानता हूं जो गाय की पूजा कर खाना खाते थे। फिर आपकी सरकार को गाय-गोबर की सरकार क्यों कहा जाता है?
मोहन यादव: क्योंकि हमने गोवंश की रक्षा के लिए कठोर कानून बना दिए हैं। गोवंश से जुड़ा हर अपराध रोक दिया है हमने।
एक तबके के बीच डर है कि भाजपा संविधान बदल देगी। सदन में इस पर बहस चली। आप कैसे देखते हैं?
मोहन यादव: कांग्रेस ने कितनी बार संविधान बदला? बाद की सरकारों ने कितनी बार बदला? हमने संविधान को सिर पर लगा कर पहली बार गरीबों को भी आरक्षण देने का काम किया। हम आपातकाल की याद दिलाते हैं कि आपातकाल में संविधान को ताक पर रख कर जो कुछ हुआ उसके विरोध में बात करने वाला कोई है तो वो मोदी जी हैं। राम मंदिर पर सुप्रीम कोर्ट ने सांवैधानिक दायरे में फैसला दिया। उस फैसले को लागू करवाने वाले मोदी जी हैं। शाहबानो मामले में संविधान को बदलने का काम राजीव गांधी जी की सरकार ने किया था। संविधान का अनादर करने का कांग्रेस का रेकार्ड है।
एक देश एक चुनाव और समान नागरिक संहिता को लेकर आप क्या सोचते हैं?
मोहन यादव: मेरा वही मानना है जो हमारी पार्टी लाइन है। एक देश, एक विधान, एक कानून चलता है तो बुरा क्या है? समान नागरिक संहिता में अच्छी बातों को लागू करने में बुरा क्या है? पहले एक साथ चुनाव हुए हैं। अगर एक साथ चुनाव कम संसाधन में हो जाएं तो क्या बुरा है?
पर्चा फोड़ एक बड़ी समस्या है। उसके लिए क्या कर रहे हैं? साथ ही मध्य प्रदेश में आपकी अगुआई में रोजगार को लेकर क्या स्थिति है?
मोहन यादव: इसे मैं अपनी सरकार की बड़ी सफलताओं में से एक के रूप में तारांकित कर सकता हूं कि हमारी सरकार आने के बाद ऐसी कोई शिकायत नहीं आई है। रोजगार के मामले में सुखद स्थिति है। कुल ढाई लाख पद हमने निकाले, जिसमें अकेले 46 हजार पद तो हमने स्वास्थ्य विभाग के निकाल दिए। साढ़े चार हजार पदों की पुलिस की भर्ती निकाल दी है। साढ़े पांच हजार पदों की प्रोफेसरों की भर्ती निकाल दी है। किसानों से लेकर पशुपालकों तक के लिए काम हो रहा है। मध्य प्रदेश निवेशकों के लिए आदर्श जगह बन रहा है।
दोहरे इंजन की सरकार की अवधारणा को राजनीतिक वर्चस्ववाद कायम करने की कोशिश की तरह भी देखा जा रहा है। आपका क्या कहना है?
मोहन यादव: यह नादानी वाली बात है। कोई भी राष्ट्रीय पार्टी चाहेगी कि राज्य की सरकार और केंद्र की सरकार एक रहेंगी तो राज्य और केंद्र के संबंधों के आधार पर विकास के एजंडे को बेहतर तरीके से लागू किया जा सकेगा।