अमेठी से सांसद किशोरी लाल शर्मा का कहना है कि इंडिया गठबंधन का हासिल यह रहा कि राजग सरकार बैसाखी पर आ गई। उनका आरोप है कि राज्यों के कांग्रेस नेतृत्व ने राहुल गांधी को अपेक्षित सहयोग नहीं दिया और वो अकेले मेहनत करते दिखे। इंडिया गठबंधन में कांग्रेस को लेकर बढ़ रही कटुता का कारण उन्होंने क्षेत्रीय दलों के निजी हितों का टकराव बताया। एक तरफ किशोरी लाल शर्मा के रूप में अमेठी से वंशवाद टूटने की उम्मीद दिखी तो दूसरी तरफ वायनाड में गांधी परिवार को ही टिकट मिला जिस पर शर्मा का कहना है कि प्रियंका गांधी ने अपने राजनीतिक श्रम से इसे हासिल किया। नई दिल्ली में किशोरी लाल शर्मा से कार्यकारी संपादक मुकेश भारद्वाज की विस्तृत बातचीत के चुनिंदा अंश।
2024 के लोकसभा चुनाव में अमेठी की सीट सबसे ज्यादा बहसतलब हो उठी जब राहुल गांधी या प्रियंका गांधी की उम्मीदवारी की उम्मीदों के परे आपको टिकट दिया गया। आप एक बड़ी फतह के साथ लोकसभा पहुंचे। आज कैसे देखते हैं इस नाटकीय घटनाक्रम को?
किशोरी लाल शर्मा: यह सब गांधी परिवार के कारण ही संभव हो सका। उन्होंने मुझ पर भरोसा किया जिसे जनता ने पूरा कर दिया। मैं गांधी परिवार के साथ पिछले चालीस वर्षों से जुड़ा हुआ हूं। मैंने 1983 में राजीव जी के साथ काम शुरू किया था। उसके बाद लगातार पार्टी के साथ काम करते रहा और परिवार से जुड़ाव रहा। कुछ समय के लिए सोनिया गांधी नहीं थीं राजनीति में। फिर भी उन्होंने मुझे सलाह दी कि आप जैसे राजीव जी के साथ काम करते थे वैसे ही करते रहिए। अस्सी के दशक से गांधी परिवार के सारे चुनावों में मैं उनके साथ रहा। आज मैं खुद चुना गया हूं तो वह गांधी परिवार का दिया भरोसा ही है।
आपके सामने स्मृति ईरानी जैसी भाजपा का कद्दावर चेहरा थीं। क्षेत्र में उनका दबदबा माना जा रहा था। उनका हारना और आपका जीतना तत्कालीन राजनीतिक आश्चर्य की तरह था। अपनी प्रतिद्वंद्वी की हार की वजह आप क्या मानते हैं?
किशोरी लाल शर्मा: मेरा अनुभव कहता है कि आप जनता को बहुत ज्यादा दिनों तक मुगालते में नहीं रख सकते हैं। यहां कितने तरह के उद्योग हैं, कितनी तरह की परियोजनाएं चल रही हैं। इसके बाद आरोप था कि कुछ नहीं है। अमेठी की जनता तो जानती थी कि यहां किसने क्या किया है।
अमेठी की पूर्व सांसद का तो दावा था कि उन्होंने पांच वर्ष में इतना काम कर दिया जितना पिछले सत्तर वर्षों में नहीं हुआ था।
किशोरी लाल शर्मा: इसलिए तो मैंने बार-बार उन्हें इस मुद्दे पर बहस करने का निमंत्रण दिया था। सिर्फ इसी मुद्दे पर बहस हो। न इधर और न उधर।
अमेठी कांग्रेस के अस्तित्व की तरह हो गई थी। राहुल गांधी की हार एक बड़ा मुद्दा बन गई थी। जनता वहां राहुल गांधी की वापसी की उम्मीद कर रही थी। लेकिन आप वहां से लड़े और जीते भी। राहुल गांधी की उम्मीद बनाम आपकी जीत को कैसे देखा जाए?
किशोरी लाल शर्मा: अमेठी की जनता ने मुझे चुनाव लड़वाया। मैं उनके लिए कोई अनजान व्यक्ति नहीं था। वहां के लोगों से मेरा चार दशकों का नाता रहा है। वहां के लोगों को इस बात का अच्छी तरह अहसास था कि उनके बीच कौन आया है। जो विपक्ष के लोग थे मैं उनकी भी बात कर रहा कि उनमें से बहुत लोग पहले हमारे ही साथ थे। अगुआई मिलने पर, जिम्मेदारी मिलने पर आप कैसा व्यवहार करते हैं यह महत्त्वपूर्ण है। राजीव जी चुनाव लड़ने के बाद कहते थे कि अब मैं सबका सांसद हूं। कोई भी हमारे पास आएगा हमें सबका काम करना है। 1989 तक हमारी सरकार थी उत्तर प्रदेश में। उसके बाद से आज तक हमारी सरकार नहीं बनी। हमने काम करना कभी बंद नहीं किया। कोई किसी भी दल का आ जाए हमने किसी को रोका नहीं। अब जब भी मेरी सांसद निधि जारी होगी तो आप उसमें सभी दलों का नाम देखेंगे।
राहुल गांधी पर बहुत ज्यादा दबाव था अमेठी से चुनाव लड़ने का। अगर गांधी वहां से चुनाव लड़ते तो आपको क्या लगता है कि जीत जाते?
किशोरी लाल शर्मा: बड़े अंतर से जीत मिलती, शायद सामने वाले की जमानत जब्त हो जाती।
क्या वजह रही राहुल गांधी के अमेठी से चुनाव नहीं लड़ने की?
किशोरी लाल शर्मा: अब यह तो उनकी रणनीति थी। ललकारने वाले क्यों तय करते कि वे कहां से लड़ें? उनकी ललकार को तवज्जो दी ही क्यों जाती? अमेठी की जनता चाहती थी कि वहां से गांधी परिवार का ही कोई लड़े। फिर यह रणनीति बनी कि मैं ही अमेठी से चुनाव में उतरूं।
क्या आपने कभी सोचा था कि अमेठी में आपको गांधी परिवार के विकल्प के रूप में कबूल किया जाएगा? आप वहां एक मुश्किल चुनाव लड़ेंगे और जीत भी दर्ज करा लेंगे।
किशोरी लाल शर्मा: नहीं, नहीं। मैंने कभी नहीं सोचा था। देखिए, मैं तो हमेशा से चुनाव लड़वाने वाला कार्यकर्ता रहा हूं। चुनावी मैदान में डट कर खड़ा रहा हूं। कभी यह नहीं सोचा था कि एक दिन खुद ही चुनाव लडूंगा। लेकिन जब आलाकमान का आदेश मिला कि आपको लड़ना ही है तो फिर कोई चारा नहीं था। एक अनुशासित कार्यकर्ता की तरह मेरे पास लड़ने के अलावा कोई और विकल्प नहीं था। बाकी मेरे पीछे गांधी परिवार की पूरी ऊर्जा और सहयोग था।
अमेठी के चुनावी मैदान में राहुल गांधी के नाम की उम्मीदों के उलट आपका नाम आने के बाद पूरा माहौल बदल गया था। विपक्ष ने आप पर निजी हमले भी किए। सोशल मीडिया पर आपके खिलाफ कुछ खास शब्द चला कर मुहिम शुरू कर दी गई। क्या इन चीजों ने आपको आहत किया था? क्या मनोबल टूटा था?
किशोरी लाल शर्मा: देखिए, मेरे पिताजी अकादमिक रूप से शिक्षित नहीं थे। लेकिन अपने जीवन के अनुभवों से उन्होंने मुझे अच्छे संस्कार दिए। उसके बाद विरासत में ये संस्कार मैंने अपने बच्चों को दिए। सबसे अहम होती है आपके संवाद की भाषा। सत्ता मिल तो गई लेकिन आप संवाद किस भाषा में कर रहे हैं। मेरी प्रतिद्वंद्वी एक महिला थीं। वह उम्र में भी मुझसे छोटी थीं। मुझे हर तरह की गरिमा रखनी थी। मैंने ऐसी किसी भी भाषा का इस्तेमाल नहीं किया जो किसी की गरिमा के खिलाफ जाए। जिनके जैसे संस्कार हैं वे वैसे ही बोलते हैं। एक राजनीतिक कार्यकर्ता के रूप में हमें अपने मनोबल को मजबूत रखना होता है। अपनी भाषा और अपनी रणनीति पर विश्वास करना होता है। सबसे बड़ी बात कि चुनाव में कौन जीतेगा, कौन हारेगा इसका फैसला तो जनता को ही करना था।
अमेठी की हालत पूरा देश देख रहा था कि वहां की सांसद ने राहुल गांधी पर ही पूरे मुद्दे को केंद्रित कर रखा था। एक तरह से कहा जाए तो गांधी परिवार को व्यक्तिगत तौर पर ले लिया था। किसी ने सोचा भी नहीं था कि निजी सी दिखती इस लड़ाई में आप आ जाएंगे। आम तौर पर जब किसी सीट को नाक का सवाल बना लिया जाता है तो शालीनता सबसे पहले पीछे छूटती है। आज कैसे देखते हैं इन सबको?
किशोरी लाल शर्मा: इन सब चीजों को देखते हुए राहुल गांधी ने तो ताकीद कर ही दी थी कि हार-जीत में किसी की गरिमा को ठेस नहीं पहुंचानी है। हम लोग शालीन राजनीति करना चाहते हैं। राजनीति में हर तरफ नैतिकता को खत्म किया जा रहा है। हमारी कोशिश है कि कुछ उदाहरण बचे रहें कि राजनीति में शालीनता बाकी है।
अमेठी में कांग्रेस उम्मीदवार के रूप में आपका नाम आते ही एक सकारात्मक संदेश गया। लगा कि कांग्रेस वंशवादी राजनीति की छवि से बाहर निकलने के लिए पूरी तरह तैयार है। कांग्रेस अध्यक्ष से लेकर अन्य मसलों पर भी यह संकेत गया था। लेकिन केरल के वायनाड में राहुल गांधी के विकल्प के रूप में प्रियंका गांधी को ही चुन लिया गया। इससे लोगों में फिर एक संदेश गया कि कांग्रेस में आज भी गांधी परिवार ही प्रमुख है। आप इस संदेश की व्याख्या कैसे करेंगे?
किशोरी लाल शर्मा: संदेश कई तरह के होते हैं। परिवार को देखने का भी कई नजरिया हो सकता है। जनता सबसे पहले यह देखती है कि इस परिवार की कुर्बानी कितनी है। इतिहास से लेकर आज तक, इस परिवार में कोई भी राजनीति में पीछे के दरवाजे से नहीं आया। हर किसी का अपना संघर्ष है। हर कोई जनता से अपने तरीके से जुड़ा है। प्रियंका गांधी कभी भी अराजनीतिक नहीं थीं। वो आसमान से उतरी हुईं उम्मीदवार नहीं थीं। वो तीन दशक से ज्यादा अपनी मां और भाई के साथ राजनीति में जूझ रही हैं। उन्होंने अपने हिस्से की लड़ाई लड़ी। भाजपा से लेकर वाम खेमे ने उनके खिलाफ मजबूत उम्मीदवार खड़े किए। पूरी तरह से निष्पक्ष चुनाव हुआ। जनता ने उन्हें प्यार से चुना। उन्होंने पूरा राजनीतिक प्रशिक्षण लिया है। वायनाड की उम्मीदवारी और जीत प्रियंका गांधी के संघर्ष का हासिल है। जनता प्रियंका गांधी के परिवार के संघर्ष और कुर्बानी को जानती है।
परिवार के एक और सदस्य ने भी चुनाव लड़ने की इच्छा जाहिर कर दी थी। राबर्ट वाड्रा भी संसद जाने के लिए उत्सुक दिखे थे।
किशोरी लाल शर्मा: अमेठी की जनता के लिए पहली पसंद गांधी परिवार का सदस्य ही था। इसी को देखते हुए यह बात सामने आई कि राहुल जी और प्रियंका जी के नहीं आने की स्थिति में वाड्रा जी आ सकते हैं। लेकिन परिवार ने समझाया कि किशोरी जी चालीस साल से हमारे साथ हैं और परिवार के सदस्य हैं। प्रियंका गांधी ने हमेशा मेरा हौसला बढ़ाया।
राबर्ट वाड्रा सहित गांधी परिवार के सदस्यों पर भ्रष्टाचार के कई मामले चल रहे हैं।
किशोरी लाल शर्मा: कितने सालों से राबर्ट साहब पर केस चल रहा है? जब चुनाव आता है तो भाजपा को इन मामलों की याद आ जाती है। हरियाणा सरकार कह चुकी है कि इनके खिलाफ कुछ नहीं मिला है। वे कुछ करेंगे भी नहीं। क्योंकि उन्हें पता है कि इस तरह के सैकड़ों मामले उनसे जुड़े सैकड़ों लोगों पर दर्ज हैं।
पार्टी के अंदर भी परिवार के नेतृत्व के खिलाफ भावना उठती रही है। ‘जी-23’ के नेताओं में से कई ने अपनी नाखुशी जताई थी।
किशोरी लाल शर्मा: जी-23’ का मामला बिल्कुल अलग था। वे मुद्दे अब सुलझाए जा चुके हैं। सांगठनिक स्तर पर उन नेताओं की पूरी भागीदारी है। पार्टी का सांगठनिक ढांचा पूरे लोकतांत्रिक तरीके से चलता है। गांधी परिवार जानता है कि चीजों को कैसे चलाया जाता है।
2014 की बड़ी हार के बाद क्या कारण है कि 2024 में तीसरी बार भी पार्टी लोगों का भरोसा नहीं जीत पाई। लोकसभा में सुधार हुआ भी तो हरियाण व महाराष्ट्र में बड़ी नाउम्मीदी हाथ लगी। राहुल गांधी का राजनीतिक श्रम तो दिखता है लेकिन हर चुनाव के बाद कांग्रेस पीछे जाती दिख रही है।
किशोरी लाल शर्मा: देखिए, राहुल जी जितनी मेहनत करते हैं, कोई नेता उतनी मेहनत नहीं करता। लेकिन जिस तरह का राजनीतिक श्रम और साथ उन्हें मिलना चाहिए वह नहीं मिल पाता। अब अगर राज्यों का नेतृत्व ही उन्हें गुमराह करे तो फिर क्या किया जा सकता है? अगर नेता मेरे ऊपर विश्वास करता है तो मेरा कर्त्तव्य बनता है कि मैं उनके सामने सही चीजें रखूं। सवाल है कि हम पीछे क्यों हो रहे हैं तो राहुल जी हर टिकट खुद ही तो नहीं बांटेंगे? मेरा अपना मानना है कि राज्यों के नेतृत्व को साफ मन से काम करना चाहिए, तभी कांग्रेस राजनीतिक सफलता हासिल करेगी। राहुल गांधी आज जनता के हक में बोलने वाले देश के सबसे भरोसेमंद नाम बन चुके हैं। कोई है जो जनता के लिए लड़ाई लड़ रहा है।
आरोप है कि राहुल गांधी की लड़ाई सिर्फ दो उद्योगपतियों के खिलाफ सिमट कर रह गई है?
किशोरी लाल शर्मा: वे सभी उद्योगपतियों के खिलाफ नहीं हैं। जो लोग देश के संसाधनों पर एकतरफा वर्चस्व कायम करने की कोशिश कर रहे हैं सिर्फ उनकी मुखालफत है।
नरेंद्र मोदी देश में बड़ी राजनीतिक शक्ति के रूप में स्थापित हो चुके हैं। क्या कांग्रेस के पास उनके बरक्स कोई चेहरा है।
किशोरी लाल शर्मा: जी बिल्कुल। राहुल गांधी आज वो राजनीतिक शक्ति हैं जो उनकी सबसे बड़ी चुनौती हैं।
आप राहुल गांधी और प्रियंका गांधी दोनों के करीब रहे हैं। क्या आप कभी दोनों की तुलना करते हैं?
किशोरी लाल शर्मा: दोनों भाई-बहन हैं तो कुछ समानता है। मैं तुलना नहीं करता।
परिवार से राजनीतिक प्रतिद्वंद्विता की खबरें भी बाहर आती रहती हैं?
किशोरी लाल शर्मा: ऐसा कुछ भी नहीं है। प्रियंका गांधी अपने भाई के लिए कोई भी कुर्बानी करने के लिए तैयार रहती हैं। कई मौकों पर उन्होंने यह साबित भी किया है।
आप पहली बार संसद पहुंचे हैं। कैसा अनुभव हो रहा है आपको?
किशोरी लाल शर्मा: विपक्ष की बात नहीं सुनी जा रही। सरकार को विपक्ष का सम्मान करना चाहिए।
एक सांसद के रूप में आप किन मुद्दों को संसद में उठाना चाहेंगे?
किशोरी लाल शर्मा: महंगाई, किसान और नौजवानों के मुद्दे सबसे पहले हैं। कामगारों के मुद्दे पर भी काम करना है। किसानों की समस्या तो पूरा देश देख रहा है। उद्योगपतियों के लिए एनपीएस है। किसी किसान की भैंस मर गई तो उसके सामने बीमा कंपनी भी हजार शर्तें रख देती है ताकि हर्जाना न मिल पाए। ट्रैक्टर के कर्ज का ब्याज देख लीजिए और कार के कर्ज का ब्याज देख लीजिए। आपको अंतर साफ पता चल जाएगा।
हालिया विधानसभा चुनावों के बाद इंडिया गठबंधन में कांग्रेस को लेकर कटुता बढ़ रही है। बिखरते गठबंधन को संभालने की कोई योजना है?
किशोरी लाल शर्मा: उस गठबंधन का संसद में एक हासिल रहा। जिन्होंने 400 पार का नारा दिया था वो 240 पर सिमट गए। अब वे बैसाखियों के सहारे हो गए। गठबंधन की ताकत एकता में ही है। राज्यों में दलों के अपने-अपने हित सामने आते हैं तो टकराव भी सामने आता है। झारखंड में तो अच्छा काम हुआ। हर दल को अपनी राजनीतिक हैसियत समझ कर ही कोई मांग रखनी चाहिए। इस पर काम हो रहा है।
पहला और दूसरा पुरस्कार गंवा कर कांग्रेस झारखंड के सांत्वना पुरस्कार से ही क्यों खुश रहना चाहती है?
किशोरी लाल शर्मा: हम अपनी हार पर पूरा मंथन कर रहे हैं। हरियाणा से लेकर महाराष्ट्र, उपचुनावों तक जिम्मेदारों से जवाब मांगा गया है। पार्टी पूरी तरह बहसतलब है।