एक शाम एक चैनल में एक ‘हैशटैग’ दिखा : ‘बालक’ बरक्स ‘बैल’… फिर एक लाइन दिखी कि ‘सोशल मीडिया में तूफान..!’ एंकर ने कहा कि राजनीति का यह ‘नया नीच स्तर’ है, तो एक विपक्षी प्रवक्ता ने एंकर को ही लपेट दिया कि वे कहें ‘बाल बुद्धि’ तो ठीक, हम कहें ‘बैल बुद्धि’ तो गलत। एक ‘बीचवाला’ कहिन कि ‘बालक’ कहना अनुचित, लेकिन ‘बैल’ कह के आप भी तो उन्हीं के स्तर पर आ गए! एक विपक्षधर ने कहा कि चुनाव के बाद विपक्ष फार्म में है। वह कह रहा है कि ‘कहानी तुमने शुरू की है, तो खत्म हम करेंगे!’
पक्ष और विपक्ष में हुआ टकराव
फिर एक अन्य विपक्षधर ने दो टूक कहा कि आप एक मारोगे तो हम दो मारेंगे… शठे शाठ्यम समाचरेत..! सोशल मीडिया पर हमारे नेता को इतने ‘लाइक’ मिले हैं, जबकि आपके नेता को उनसे काफी कम मिले हैं। ‘बीचवाला’ बोला कि सोशल मीडिया पर लोग ऐसे कटाक्षों को ‘मनोरंजन’ की तरह लेते हैं। एंकर अंत में अफसोस करता रहा कि हमारी राजनीतिक भाषा को यह क्या हो गया है, लेकिन न ‘बालवादी’ रुके न ‘बैलवादी’!
फिर एक दिन एक ‘प्यू रिसर्च’ का सर्वे आया, जिसे कई चैनलों ने हाथोंहाथ लिया। चुनाव के बाद किए सर्वे में ‘प्यू’ ने बताया कि भारत में 77 फीसद जनता जनतंत्र को पसंद करती है, जबकि अमेरिका में कुल 37 फीसद पसंद करती है। एक पक्षधर ने आरोप लगाया कि चुनाव के दौरान विपक्ष ने सत्ता के खिलाफ एक ‘फर्जी’ अभियान चलाया कि ‘जनतंत्र खतरे में है’, जबकि ‘प्यू’ रपट के अनुसार यहां जनतंत्र सबसे ज्यादा ‘जिंदाबाद’ है!
और यह जनतंत्र नहीं तो और क्या है कि इन दिनों प्रधानमंत्री की हर बात पर ‘हाय हाय’ है : वे रूस गए तो हाय-हाय! पुतिन से ‘जादू की झप्पी’ की तो हाय-हाय! प्रवासी भारतीयों से मिले तो हाय-हाय! विपक्ष का एक ही राग कि प्रधानमंत्री के पास रूस जाने की फुर्सत है, मणिपुर जाने की नहीं, कि कश्मीर में इतने शहीद हो गए, लेकिन उनको बाहर जाने से फुर्सत नहीं।
इसी बीच, एक विपक्षी नेता द्वारा एक शहीद हुए ‘अग्निवीर’ के परिवार वालों को मुआवजा न दिए जाने का आरोेप और सेना का जवाब कि नियमानुसार इतना मुआवजा दिया गया और इतना नियमानुसार प्रक्रिया में है। और इस पर पक्षधर कि सिर्फ इतनी शिकायत कि सेना को लेकर विपक्ष का राजनीति करना ठीक नहीं! फिर एक दिन एक विपक्षी नेता ने चोट मारी कि अयोध्या में मंदिर आंदोलन को हराया, तो पक्षधर का जवाब आया कि इनको अयोध्या की जीत का नशा चढ़ गया है।
फिर एक के बाद एक बिहार के तेरह पुलों के टूटने की खबरें। फिर एक दिन बिहार कोे ‘विशेष दर्जा’ या ‘पैकेज’ पर ठहरी हुई बहसें! इसी तरह, एक दिन लुधियाना में एक शिवसैनिक को सरेआम ‘हैक’ कर देने की खबर ने, फिर एक दिन तमिलनाडु में बसपा के अध्यक्ष आर्मस्टांग को सरेआम ‘हैक’ करने की खबर ने, अपने ‘जनतंत्र’ को ‘चार चांद’ लगा दिए! ऐसी नृशंस और बर्बर हत्याओं का कुछ पक्षधरों ने तो विरोध किया, लेकिन बाकी सब चुप्पी लगाए रहे!
यह अपनी-अपनी चुनी हुई चुप्पियों का जनतंत्र है! अपना शिकार हो तो रोओ, दूसरे का हो तो चुप लगाओ! फिर एक दिन आया एक तलाकित मुसलिम औरत के हक में देश के सर्वाेच्च न्यायालय का देश के कानून के अनुसार मुआवजा देने का आदेश… और सारी बहसों में एक बार फिर ‘शाहबानो’ वाले तर्क-कुतर्क आ विराजे। इस्लामी तत्त्ववादी कहें कि मुसलिमों को ही क्यों निशाने पर लिया जाता है! जब कहा गया कि सबके लिए एक कानून हो, तो उन्होंने कहा कि ये हमारे धर्म में हस्तक्षेप है जो स्वीकार्य नहीं।
अफसोस कि इस मुद्दे पर ऐसी दुखियारी मुसलिम औरतों के पक्ष में न कोई ‘स्त्रीवादी’ बोला न ‘जयसंविधानवादी’ ही बोला! लेकिन एक एंकर ने साफ कहा कि इस फैसले ने ‘समान नागरिक संहिता’ (यूसीसी) का रास्ता साफ कर दिया है! और अंत में, ‘अनंत अंबानी और राधिका’ की शादी! एक चैनल ने लाइन दी : ‘दुनिया की सबसे महंगी शादी’, सिर्फ ‘विवाह पूर्व’ में एक हजार करोड़ रुपए खर्च। एक चैनल पर शादी के दृश्यों के कुछ टुकड़े : ‘अंबानीजन’ और ‘बालीवुड’ हीरो-हीराइनें ‘ओम् शांति ओम्’ गाने पर नाचते गाते! पाप गायक ‘टिंबरलेक’ और हालीवुड की हीरोइन कार्दशियन की ‘स्पेशल अपीअरेंस’ और नाच गान! बड़ी साज-सज्जा! पैसे का निर्लज्ज प्रदर्शन! शादी में राजनीति भी आ रही है। ममता दीदी आ रही हैं, मगर ‘गांधी परिवार’ नहीं जा रहा।
चलते चलते : ‘ईडी’ के मामले में सर्वाेच्च अदालत ने केजरीवाल को अंतरिम जमानत दे दी। इसे लेकर ‘आप’ के नेता ‘बल्ले बल्ले’ करते नजर आए, जबकि एक भाजपा प्रवक्ता ने उनके उत्साह पर ‘पानी फेर दिया’ कि इस जमानत का मतलब यह नहीं कि वे निर्दाेष हैं। मुकदमा तो चलना है!