कुछ दिन पहले की बड़ी खबर रही कि अभिनेता सैफ अली खान पर हमला हुआ। फिर खबर आई कि हमलावर पकड़ा गया और इसके बाद खबर आई कि सैफ अस्पताल से मुक्त होकर अपने घर गए। बस यहीं उनके जाने की ‘एक अदा’ ने उनको फिर विवाद में ला दिया। हमले को लेकर कई सवाल तो पहले ही उठते दिखते थे कि जो पकड़ा गया, वह वैसा नहीं दिखता जो सीसीटीवी के फुटेज में दिखता है। फिर जो इतने पास छिपा था, उसे इतने दिन बाद कैसे पकड़ा!
फिर चले गोले सैफ के घर जाने की मुद्रा पर। एक नेता ने कहा कि इतनी तेजी से वे ठीक कैसे हो गए! एक मंत्री ने भी वार किया कि क्या हमलावर ‘कूड़ा’ हटाने आया था! महायुति की पुलिस ‘महायुति सरकार’ के मंत्री… फिर भी ऐसी शंकाए! ये क्या हो रहा है ‘महायुति’ में! सवाल पर सवाल उठाए जाते रहे कि असली हमलावर कौन था… उसका मकसद क्या था… सैफ को अस्पताल कौन ले गया… वे तैमूर को ही साथ क्यों ले गए… पुलिस ने सैफ का बयान क्यों नहीं लिया! फिर इस कहानी में पानी मिलाती एक खबर आई कि रेमो फर्नांडीज, संध्या, हास्य कलाकार राजपाल यादव और कपिल शर्मा को पाकिस्तान से जान से मारने की ‘आनलाइन’ धमकी मिली। इसी के साथ कई चैनल ‘फिल्मी सितारों’ को अब तक मिली धमकियां दिखाते रहे।
सबसे बड़ी कहानी ‘महाकुंभ’ ने ही बनाई कि दस दिन में कितने करोड़ ने स्नान किया। एक संवाददाता ने तो कृत्रिम मेधा वाले ‘नारद जी’ से पचास रुपए में ‘बात कराने’ का अवसर दिया। एंकर नारद जी से सवाल पूछती तो वे पहले ‘नारायण नारायण’ बोलते, फिर दो तीन वाक्य में जवाब देते। इस कलयुग में नारद जी भी बिकते नजर आते हैं! महाकुंभ में मुख्यमंत्री समेत उत्तर प्रदेश के सारे मंत्रियों द्वारा संगम में एक साथ डुबकी लगाने की रपट भी आई। इसके बाद एक चैनल पर एक ‘कामरेड’ कहते दिखे कि किसी जनप्रतिनिधि को हक नहीं कि वह किसी एक धर्म की ओर झुका दिखे। पक्षधरों का जवाब रहा कि जब उनके नेता टोपी पहन कर इफ्तार में जा सकते हैं, तब दूसरे नेता कुंभ में क्यों नहीं जा सकते… स्नान क्यों नहीं कर सकते..!
योगी जी ने उधर ‘आस्था की डुबकी’ ली, फिर दिल्ली की रैली में अपनी डुबकी को ही चुनौती बना दिया कि संगम में डुबकी लगाने की तरह क्या केजरीवाल भी अपने मंत्रियों के साथ यमुना में डुबकी लगा सकते हैं! इसका सीधा जवाब न देकर केजरीवाल ने ‘प्रतिचुनौती’ से ही जवाब दिया कि क्या योगी जी उत्तर प्रदेश के स्कूलों को दिल्ली के स्कूलों जैसा बनाएंगे! फिर अचानक ‘आहत भावनाओं’ का दौर आया! एक दिन कुछ सिख नेता कहते दिखे कि दिल्ली के नेताओं ने सिख समाज की भावनाएं आहत की हैं, वे माफी मांगें। अगले रोज दिल्ली के नेता भी कहते दिखे कि उनके विपक्षियों ने पंजाबियों की भावनाएं आहत की हैं… वे माफी मांगें..! ऐसी हजारों माफियां अब भी हवा में तैरती हैं, जिनको किसी ने किसी से नहीं मांगा… फिर भी न जाने क्यों, कुछ लोग एक दूसरे को माफी मांगने के लिए कहते रहते हैं!
अब तक सामने आई खबरें बताती हैं कि इस बार दिल्ली का चुनाव अपेक्षाकृत अधिक खुला कवरेज पा रहा है। कई चैनलों के कई संवाददाता दिल्ली के मुहल्ले-मुहल्ले से सीधा प्रसारण करते… कइयों के कैमरे आम आदमी के दिल की बात को जस का तस प्रसारित करते हैं। कुछ कैमरों के आगे बहुत से लोग अपने दिल की बात सीधे-सीधे कह देते हैं, जिससे मालूम होता है कि इस बार का चुनाव अधिकांश जगहों पर द्विकोणीय है, लेकिन कहीं-कहीं त्रिकोणीय भी है।
अपने कई अंग्रेजी चैनल ट्रंप को ऐसे ‘हौवे’ के रूप में दिखाते हैं कि अब ट्रंप अपनी पत्नी के साथ चर्च जा रहे हैं… अब वे शपथ ले रहे हैं… अब वे ‘मेक अमेरिका ग्रेट अगेन’ यानी ‘मागा’ की नीतियों की घोषणा कर रहे हैं! ऐसी बातें विदेश नीति के कई विशेषज्ञों को भी हैरान परेशान करती दिखीं।
ट्रंप की इस कहानी के साथ ही कई अंग्रेजी चैनल ‘दावोस’ में होती ‘विश्व आर्थिक मंच’ की खबरें भी दिखाते रहे। कुछ ‘विश्व सेठ’ और ‘विश्व मुनीम’ ट्रंप की नीतियों के बाद की स्थितियों को लेकर भविष्यवाणियां करते हुए भी मस्त दिखते। ऐसे दृश्यों को देख अकबर इलाहाबादी का यह शेर याद आता है कि: ‘कौम के गम में डिनर खाते हैं हुक्काम के साथ- रंज लीडर को बहुत है मगर आराम के साथ!’
विश्व आर्थिक मंच को देख कर लगता है कि दुनिया के कुछ बड़े मोटे लोगों को कुछ देर के लिए कुछ दुबला करने वाली सारी वित्त चर्चा दुनिया के सबसे महंगे बर्फीले रिसार्ट में ही हो सकती हैं! लेकिन एक दिन एक आइआइटी के निदेशक ने कुछ चैनलों में गोमूत्र के ‘चिकित्सीय फायदों’ के बारे में बोल दिया। एक पक्षधर ने कहा कि गोमूत्र के लाभों को लेकर दुनिया की कई विज्ञान पत्रिकाओं में शोध पत्र छपे हैं तो गोमूत्र में कुछ तो होगा। लीजिए, संघ के एक नेता ने फिर कह दिया कि अहिंसा को बचाने के लिए कभी कभी हिंसा भी जरूरी होती है!