एक दिन सईद मिर्जा ने ‘कश्मीर फाइल्स’ को ‘गारबेज’ (कूड़ा) कह कर अपनी भड़ास निकाली! हाय! कितने घटिया चैनल हैं कि इतने बड़े कलाकार के निंदा वाक्य को किसी ने निंदनीय तक न माना! एक दिन एक चैनल ने एनआइए की चार्जशीट के हवाले से बताया कि अमरावती में कोल्हे के हत्यारे ‘तबलीगी जमात’ से जुड़े थे… वे लोगों में दहशत पैदा करना चाहते थे! लेकिन बहसों में कुछ चर्चक उसी तरह के तर्क देते दिखे, कि उसने ये ये कहा तो उसकी प्रतिक्रिया में ये हुआ। जो हुआ प्रतिक्रिया में हुआ, यानी जो हुआ सही हुआ!

इसी बीच चीन में कोरोना के नए बहुरूप ने चैनलों में दस्तक दी। चैनलों पर विशेषज्ञ-डाक्टर आ जुटे और बताते रहे कि चीन में कोरोना क्यों बढ़ रहा है और कि भारत उससे कैसे बचे? अगले दिन कोरोना के लिए ‘नेजल स्प्रे’ की खबर हर चैनल पर थी। विशेषज्ञ बताते कि यह आसान और एकदम सुरक्षित है। फिर खबर आई कि निजी अस्पतालों में इसकी फीस आठ सौ रुपए होगी और सरकारी अस्पताल में तीन सौ पच्चीस रुपए!

अगले रोज फिर विशेषज्ञों ने बताया कि जिनको तीसरी खुराक यानी बूस्टर डोज लग चुकी है, उनको ‘नेजल स्प्रे’ की जरूरत नहीं है! फिर चैनलों पर चेतावनी आने लगी कि सावधान! चालीस दिन बाद कोरोना अपने यहां भी चरम पर होगा। पांच देशों से आने वालों के लिए ‘आरटीपीसीआर टेस्ट’ अनिवार्य है। और यह भी बताया जाने लगा कि कोरोना को फैलने से रोकने के लिए कोरोना सावधानियां ही कारगर इलाज हैं।

सबसे अधिक विचलित करने वाली खबरें चीन में कोरोना के शिकारों की रहीं। कुछ वीडियो हृदय विदारक दृश्य दिखाते रहे… एक दृश्य में कमरे में पीले कपड़ों में लिपटी दर्जनों लाशें पड़ीं हैं। दूसरे दृश्य में एक स्त्री खड़ी-खड़ी गिर जाती है। उसके दोनों बच्चे नहीं जानते कि वह क्यों गिरी? दृश्यों में रोते-धोते लोग उसी तरह के दिखे, जिस तरह के पिछले बरस अपने यहां दिखे थे।

इसी बीच एक दिन टीवी अभिनेत्री बीस वर्षीया तुनिषा की आत्महत्या की कहानी ‘ब्रेक’ हुई कि वह अपने ‘मेकअप रूम’ में लटकी पाई गई। फिर एक दिन कहानी में ‘लव जिहाद’ का प्रवेश हुआ। सहअभिनेता शीजान को गिरफ्तार कर लिया गया। वह कहता दिखा कि ‘श्रद्धा कांड’ के बाद उसने तुनिषा से ‘ब्रेकअप’ कर लिया था… तुनिषा की मां कहती दिखी कि तुनिषा शीजान के घर जाती थी, उसके तौर-तरीके बदल रहे थे। मां ने हत्या की आशंका भी जताई! फिर एक दिन एक विपक्षी नेताजी बोल दिए कि हिंदुस्तान का माहौल मुसलमानों के रहने लायक नहीं है…

इस बीच एक खबर स्वास्थ्य मंत्रालय ने बनाई। उसने राहुल को एक पत्र लिख कर कहा कि यात्रा में या तो कोरोना सावधानियों का पालन करें या उसे स्थगित करें! फिर क्या था? अपने महायात्री जी फैल गए। कहने लगे कि कोविड तो एक बहाना है, यात्रा ही निशाना है। चलते-चलते ‘भारत जोड़ो यात्रा’ दिल्ली पहुंची तो दिल्ली में उसे अच्छी भीड़ मिली। यात्रियों का जोश देखने योग्य था। चैनल लाइन लगाकर ‘लाइव’ दिखाते रहे। दिल्ली में आते ही राहुल ने पहले श्रीराम मंदिर जाकर पूजा की, फिर निजामुद्दीन चिश्ती की मजार पर चादर चढ़ाई और हाथ जोड़े।

इस सेक्युलरवादी कार्यक्रम के बाद वे लाल किले से सरकार पर तो बरसे ही, टीवी चैनलों पर भी बरसे, फिर ‘विक्टिम कार्ड’ खेला कि भाजपा ने मेरी छवि खराब करने के लिए करोड़ों रुपए खर्च किए, लेकिन मैं एक शब्द न बोला, फिर अपनी पीठ थपथपाई कि मैंने एक महीने में सच्चाई बता दी और सच्चाई को कोई दबा नहीं सकता…

बहती गंगा में हाथ धोने के लिए तमिल अभिनेता कमल हासन भी मौके पर मौजूद रहे और हिंदी में यह वाक्य बोले कि भारत जोड़ने की मदद करो, तोड़ने की मदद न करो… और अगले ही रोज एक चैनल ने खबर दी कि उन्होंने फिर हिंदी थोपने के खिलाफ बोला।

कमाल के हैं कमल हासन जी कि अपनी फिल्में तो हिंदी में थोपते रहते हैं और कमाई करते हैं, लेकिन हिंदी का नाम आते ही गुस्सा हो जाते हैं। फिर एक दिन एक कांग्रेस नेता कह दिए कि ‘खड़ाऊं यूपी में आई है, राम भी आएंगे, राहुल ‘सुपर ह्यूमन’ हैं। हम सर्दी में जैकेट पहने हैं, वो टीशर्ट पहन कर चल रहे हैं… वे योगी हैं, जो तपस्या कर रहे हैं…

भाजपा प्रवक्ता इस ‘रूपकालंकार’ में फंस गए। कुछ कहे कि यह चापलूसी है… राम साक्षात ईश्वर हैं। राम कोई नहीं हो सकता। फिर, कहां राम और कहां राहुल? एक ने कहा कि चलो, इस बहाने राम का नाम तो इनकी जुबान पर आया!

बहरहाल, शुक्रवार की सुबह हर चैनल पीएम मोदी जी की सौ बरस की माताजी के निधन के शोक में डूबा दिखा! देर तक किसी ने टुच्ची राजनीति नहीं की! राहुल और ममता तक ने शोक संवेदना प्रकट की। सच! दुख सबको मांजता है!