यह आपराधिक है, यह अश्लील है।’
‘पानी तो गोल्फ कोर्स भी गटकते हैं। पहले उनका पानी बंद करवाएं! आइपीएल दस साल से चल रहा है। इसी बार ऐसा क्या है कि उसके पानी के पीछे पड़ गए? यह सेलेक्टिव समाजवाद है!
एक एनजीओ एक्टिविस्ट सवाल करती हैं: जिस वक्त सूखे से लोग मर रहे हों, वहां ऐसा क्राइम माफ नहींं किया जा सकता। कैलिफोर्निया में सूखे के वक्त कह दिया गया था कि कोई अपनी गाड़ी नहीं धोएगा और लॉन में पानी नहीं देगा और यहां पानी का विलास हो रहा है! क्यों?
‘हम सीवेज ट्रीटेड पानी देंगे…’
‘क्रिकेट के मैदान में उसे लगाना शुद्ध बदतमीजी है, उसे विदर्भ के खेतों को दो। यह लाखों प्यासे लोगों का अपमान है।’
टीवी के परदे पर एंकर समेत दस विचारक लटके हैं। पांच आइपीएल के जबर्दस्त पक्षधर हैं, बाकी उसके आलोचक! फ्रेम में लटके महानुभावों में से एक अचानक बढ़िया से कप से कुछ सुड़कने लगता है। वह कॉफी है, चाय है, पानी है कि कोई प्रिय पेय है, नहींं मालूम! रात के साढ़े नौ बजे अगर बीच बहस में समाजवाद का दौरा पड़ता है तो बोलते-बोलते गला सूख जाता होगा। बेचारा विचारक कुछ तो पिएगा! कप में विचार की तरह रहता होगा!
करोड़ों के एसी स्टूडियो में बीस लाइटों के बीच तीन-चार कैमरों के सामने समाजवादी दौरा अक्सर इसी तरह पड़ता रहता है! जब तक स्टूडियोज में ब्रांडेड बोतल का पानी है तब तक बहसों के बीच ऐसा समाजवादी दौरा पड़ते रहना है।
ब्रेक के बाद वाले टाइम में अभी-अभी मांउटेन ड्यू की एक बोतल स्क्रीन पर नाचते-गाते गई है और उसके ठीक बाद माधुरी दीक्षित अपने मियां और दो बच्चों के साथ बताने लगी हैं कि हमारे शरीर में सत्तर फीसद पानी होता है। शुद्ध पानी, एरो पानी पीजिए, यह पानी विटामिन वाला! जिसके पास पैसा है, पानी भी है, वह भी विटामिन वाला!
‘पानी स्पेशल’ चलती है, तो बनती है बड़ी खबर। स्पेशल लातूर पहुंचती है तो बनती है बड़ी खबर, लेकिन लातूर में पहुंचते ही टैंकरों में जरा-सा बदलाव कर दिया जाता है। टैंकरों पर सीएमजी के चित्र लटका दिए जाते हैं, जिन पर लिखा है: ‘जाहीर आभार’! जो पानी जनता का ‘हक’ था उसके लिए भी ‘जाहीर आभार’ कराया जा रहा है और एक भी चैनल इस दीनता की आलोचना नहीं करता!
एनडीटीवी में प्रणय राय शाहरुख खान के साथ ‘जबरा डांस’ पर ठुमकते दिखते हैं। बुलाई ऑडिएंस है। उल्लसित ताली है और मस्त ठिठोली है। शाहरुख की आने वाली फिल्म ‘फैन’ का यह एक मौलिक लांच है। शाहरुख देवता हैं और चैनल पुजारी! आरती है कार्यक्रम! शाहरुख कहते हैं कि वे मेरे ‘फैन’ हैं और मैं उनका ‘फैन’ हूं! यह ‘फैन’ का विज्ञापन है। चैनल शाहरुख का ‘फैन’ है, शाहरुख चैनल का फैन!
शनि शिंगणापुर की जय! शनि महाराज की जय! तृप्ति देसाईजी की फतह! चार सौ साल बाद पूजा का अधिकार मिला। बिना विघ्न के और इतनी जल्दी? अचानक शंकराचार्य स्वरूपानंदजी को भान हुआ और बोल उठे: यह ठीक नहींं है, शनि की दृष्टि पड़ने से रेप बढ़ सकते हैं… कैसा ‘मिसोजिनिस्टिक’ और ‘सेक्सिस्ट’ बयान? बयान दिया तो टीवी पर हल्ला मचवाने के लिए था, लेकिन चैनल बहुत उत्तेजित न हुए। अगले दिन खामोश हो गए। स्वामीजी का बयान बेकार गया!
केरल के कोल्लम का पुत्तिंगल मंदिर एक खतरनाक खबर बना। एक तो मंदिर में पटाखे और दूसरी यह कि पूजा के वक्त वहां पटाखेबाजों में पटाखे फोड़ने की स्पर्धा भी हुआ करती है, जिसे लोग देखने आते हैं! ऐसे में वही हुआ जिसकी शिकायत एक बूढ़ी औरत चार साल से करती आ रही थी और जिसकी किसी ने न सुनी।
कैमरे पटाखों के बड़े-बड़े सिलेंडर खोलों को दिखा कर बताते थे कि पटाखे बहुत ताकतवर थे! मलयाला मनोरमा चैनल के फुटेजों में जिस तरह की आतिशबाजी देर तक दिखती रही, उससे पता चलता था कि समारोह में पटाखेबाजों और दर्शकों का क्या बना होगा? लेकिन तुरंत ही ऐन मौके पर दिखे सीएम, राहुल और मोदीजी! ऐसी तुरंता हमदर्दी, लेकिन थी स्पर्धात्मक! दृश्य में राजनीति तो दिखी, हमदर्दी जरा भी न दिखी। जिस तरह पटाखे फटे, उसी तरह शायद हमदर्दियां भी फट चुकी हैं!
खबर बनाने वालों में सिर्फ केजरीवालजी आगे नहीं हैं, उनसे आगे हैं उनसे कथित नाराज लोग और भाजपा नेता! प्रेस कॉन्फ्रेंस में केजरीवाल ने क्या बोला यह देर तक पता नहीं लगा, लेकिन उस ‘बैक पैक’ वाले, ऐनक वाले, नौजवान का जूता बड़ी खबर बना। जूता फेंकने वाले ने बेहद शांत भाव से निशाना लगाया, जैसे कि जूता फेंकने में एक्सपर्ट हो! अगर केजरीवाल का रक्षक नहीं लपकता, तो वह शायद निशाने पर ही लगता!
ऐसे जूते धन्य हैं, जो नेता से भी बड़ी खबर बनाया करते हैं!
पनामा पेपर्स की बड़ी रपटें रहीं, लेकिन एक भी चैनल का एंकर उत्तेजित न दिखा। लगता है चैनलों को किसी ने लखलखा सुंघा दिया। इतना काला धन और टैक्स के स्वर्ग से खबर। पेपर्स ही पेपर्स और एक से एक बड़ा नाम और कहीं कोई जुंबिश नहीं। अपने समाजवादी चैनल तक को कोई नाराजगी नहीं! यह क्या हो रहा है?
इस बार देशभक्ति का दौरा लगभग हर चैनल को पड़ा। जेआइटी की टीम क्या आई कि चैनलों को लगा कि अपने ही देश में अपने ही निमंत्रण पर आइएसआइ को बुलाया जा रहा है? क्यों? हर चैनल पूछने लगा कि इससे क्या मिलेगा? क्या वे मान जाएंगे कि उनका हाथ था पठानकोट हमले में?
बेचारे सरकारी प्रवक्ता, भाजपा प्रवक्ता पानी-पानी कि क्या जवाब दें, लेकिन बचाव करने की ड्यूटी तो करनी पड़ती है, सो बेचारे कभी इस बाजू बचते, कभी उस बाजू बचाते! लेकिन एंकर और रिटायर्ड जनरल इस कदर नाराज दिखे कि बस चलता तो जेआइटी को धक्के मार कर बाहर निकाल देते!
केजरीवाल कब चूकते। बोल उठे: पाकिस्तान के आगे किसी पीएम ने इस कदर घुटने नहीं टेके, जितने मोदीजी ने टेके हैं। उनके साथी कपिल मिश्राजी तो और दो हाथ आगे निकल कर कुछ ज्यादा ही बोल गए और चर्चाएं जेआइटी से हट कर उनके बयान पर आ गर्इं। उस कमेंट की कांग्रेस के प्रवक्ताओं तक को भर्सना करनी पड़ी कि देश का पीएम हम सबका पीएम है और उनके बारे में इस तरह की बात नहींं कही जानी चाहिए थी!