सप्ताह के व्रत त्योहार (9 से 15 जनवरी 2023): वैदिक पंचांग अनुसार वर्तमान सप्ताह की शुरुआत माघ मास के कृष्ण पक्ष की द्वितीया तिथि से हो रही है। वहीं नक्षत्र आश्लेषा रहेगा। साथ ही योग विष्कुम्भ और करण वणिज रहेगा।  इस सप्ताह अंगारक गणेश चतुर्थी, लोहड़ी, मकर संक्रांति आदि पड़ रही हैं। आइए जानते हैं इनकी तिथि और महत्व…

अंगारकी गणेश चतुर्थी व्रत: Angarki Ganesh Chaturthi Vrat (10 जनवरी, मंगलवार)

अंगारकी गणेश चतुर्थी व्रत भगवान गणेश को समर्पित होता है। विनायकी चतुर्थी मंगलवार को होने के कारण इसे अंगारकी चतुर्थी कहा जाता है। अंगारकी चतुर्थी में गणेश भगवान की विधि-विधान के साथ पूजा की जाती है। मान्यता है कि जो लोग इस दिन भगवान गणेश की उपासना करते हैं। भगवान गणेश उनकी सभी मनोकामनाओं को पूर्ण करते हैं। साथ ही सभी कष्ट हर लेते हैं।

शास्त्रों के अनुसार मंगलदेव की कठिन तपस्या से प्रसन्न होकर भगवान गणेश ने उन्हें वरदान दिया था कि जिस दिन भी चतुर्थी तिथि मंगलवार को होगी उसे अंगारकी गणेश चतुर्थी कहा जायेगा। इसलिए जिन लोगों की कुंडली में मंगल दोष है वो लोग इस दिन भगवान गणेश की विशेष पूजा- अर्चना कर सकते हैं। जिससे उन्हें मंगल दोष से छुटकारा मिल सकता है।

लोहड़ी: Lohri 2023 (13 जनवरी, शुक्रवार)

हर साल लोहड़ी का पर्व मकर संक्रांति से एक दिन पहले मनाया जाता है। यह त्योहार पंजाब और हरियाणा में मुख्य रूप से मनाया जाता है। लोहड़ी का पर्व सिख समुदाय के लोग मनाते हैं। इस दिन लकड़ियों और उपलों से घर के बाहर या फिर खुली जगह पर आग जलाई जाती है। उस आग के चारों ओर लोग परिक्रमा करते हैं। साथ ही लोग डांस भी करते हैं। वहीं लोहड़ी के पावन पर्व पर नई फसल को काटने का परंपरा है। साथ ही अग्नि में रवि की फसल के तौर पर तिल, रेवड़ी, मूंगफली, गुड़ आदि चीजें अर्पित की जाती हैं। मान्यता है कि जो चीज अग्नि में चढ़ाई जाती है। वो पितरों को प्राप्त होती है। वहीं इस दिन दुल्ला भट्टीवाला गीत भी गाया जाता है।

मकर संक्रांति: Makar Sankranti 2023 (14 जनवरी, शनिवार)

वैदिक ज्योतिष के अनुसार जब सूर्य देव मकर राशि में प्रवेश करते हैं, तो मकर संक्रांति का पर्व मनाया जाता है। आपको बता दें कि सूर्य देव 14 जनवरी की रात 8 बजे के आसपास मकर राशि में गोचर करने जा रहे हैं। इसलिए मकर संक्रांति का पर्व 14 जनवरी से शुरू हो जाएगा। लेकिन उदया तिथि के अनुसार यह पर्व 15 जनवरी को ही मनाया जाएगा। साथ ही पुण्यकाल भी 15 जनवरी की सुबह रहेगा। इस सूर्यदेव दक्षिणायन से उत्तरायण हो जाते हैं। वहीं मकर संक्रांति के दिन स्नान और दान करने का विशेष महत्व है। इस दिन गंगा में स्नान करना चाहिए। साथ ही तिल, गुड़, खिचड़ी और वस्त्रों का दान करना चाहिए।

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