Maharashtra News: शिवसेना नेता संजय राउत ने 8 अगस्त को सत्र न्यायालय में अपनी मां को एक चिट्ठी लिखी थी, जिसे बुधवार (12 अक्टूबर, 2022) उनके ट्विटर हैंडल से ट्वीट किया गया है। बता दें, मनी लॉन्ड्रिंग के आरोप में संजय राउत जेल में बंद हैं। संजय राउत ने मां को लिखी चिट्ठी में कहा कि आज राज्य षडयंत्रकारियों के हाथ लग गया है। वे शिवसेना के अस्तित्व और महाराष्ट्र के गौरव को कुचलना चाहते हैं। राउत ने आरोप लगाया कि हर कोई जानता है कि उनको झूठे और फर्जी आरोपों के तहत फंसाया गया है और बंदूक की नोक पर बयान लिए जाते हैं।
संजय राउत ने लिखा, ‘आपकी तरह शिवसेना भी मेरी मां है। मुझ पर अपनी माँ (पार्टी) को धोखा देने का दबाव बनाया गया। सरकार के खिलाफ न बोलने की धमकी दी गई थी, क्योंकि यह महंगा साबित होगा। मैंने खतरे पर ध्यान नहीं दिया, इसलिए मैं आपसे दूर हूं।’ राउत ने आगे लिखा मां, मैं अवश्य वापस आऊंगा। महाराष्ट्र और हमारे देश की आत्मा को इतनी आसानी से नहीं मारा जा सकता। देश के लिए लड़ रहे हजारों सैनिक सीमा पर खड़े हैं और महीनों घर नहीं आते। कुछ कभी नहीं आते। लड़ाई में ऐसा ही होता है। मैं भी अन्याय के आगे नहीं झुक सकता। मैं अन्याय के खिलाफ लड़ रहा हूं। इसलिए मुझे तुमसे दूर जाना पड़ा। क्या मुझे आपसे ही ये आत्मबल नहीं मिला ?
भुजबल, राणे के शिवसेना छोड़ने के बाद भी मैंने आपका गुस्सा देखा है। अब फिर जब शिंदे नाम का एक गुट फूट पड़ा और उद्धव ठाकरे पर हमला करने लगा, ‘कुछ करो, शिवसेना को बचाओ!’ आप ही थे जिन्होंने ऐसा कहा था। ‘ये लोग क्यों टूट गए? वे क्या चाहते थे? राउत ने आगे लिखा कि आप भी खबर देखकर ऐसा सवाल पूछ रही थीं। शिवसेना को बचाने के लिए हमें लड़ना होगा। वीर शिवाजी हर बार पड़ोसी के घर क्यों पैदा होते हैं? ये है प्रश्न है। मैंने तुमसे धनुष सीखा। यह आप ही थे, जिन्होंने हमारे मन में यह बात बैठा दी कि हमें कभी भी शिवसेना और बालासाहेब के साथ बेईमानी नहीं करनी चाहिए।
पत्र में लिखा कि ईडी और इनकम टैक्स आदि के डर से कई विधायकों ने शिवसेना छोड़ दी। मैं बेईमानों की सूची में नहीं जाना चाहता। किसी को दृढ़ रहना होगा। मुझमें वह साहस है। आदरणीय बालासाहेब और आपने वह साहस दिया। सब को पता है। मुझ पर झूठे आरोप लगाए गए। अप्रत्यक्ष रूप से ठाकरे का समर्थन छोड़ने का सुझाव दिया गया है।
उद्धव ठाकरे मेरे प्रिय मित्र और सेनापति: संजय राउत
राउत कहा कि उद्धव ठाकरे मेरे प्रिय मित्र और सेनापति हैं। इतने कठिन समय में अगर मैं उन्हें छोड़ दूं तो कल बालासाहेब को क्या चेहरा दिखाऊंगा? शिवसेना के मुखपत्र ‘सामना’ के कार्यकारी संपादक राउत ने लिखा कि स्वतंत्रता सेनानियों लोकमान्य तिलक और विनायक दोमादार सावरकर को समान व्यवहार का सामना करना पड़ा था। संजय राउत ने अदालत के बाहर एक बेंच पर बैठकर उस समय यह पत्र लिखा, जब उन्हें न्यायिक हिरासत में भेजा गया।
बता दें, राउत को प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने 1 अगस्त को मुंबई में पात्रा ‘चॉल’ के पुनर्विकास में कथित अनियमितताओं से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग मामले में गिरफ्तार किया था। वह फिलहाल न्यायिक हिरासत में है। ईडी की जांच उपनगरीय गोरेगांव में चॉल या घरों के पुनर्विकास और कथित रूप से उनकी पत्नी और सहयोगियों से संबंधित वित्तीय लेनदेन से संबंधित 1,034 करोड़ रुपये की कथित वित्तीय अनियमितताओं से संबंधित है।